Tuesday, 13 February 2024

हम तो तीन ही मांग रहे हैं

मांग रहे हैं उत्तर प्रादेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने बुधवार को अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रातिष्ठा का जिव््रा करते हुए काशी और मथुरा की तरफ इशारा किया और कहा कि अयोध्या का मुद्दा जब लोगों ने देखा तो नंदी बाबा ने भी इंतजार किए बगैर रात में बैरिकेड तोड़वा डाले और अब हमारे वृष्ण कन्हैया भी कहा मानने वाले हैं। मुख्यमंत्री ने किसी का नाम लिए बगैर कहा कि पांडवों ने कौरवों से सिर्प पांच गांव मांगे थे लेकिन सैंकड़ों वर्षो से यहां की आस्था केवल तीन (अयोध्या, काशी और मथुरा) के लिए बात कर रही है। योगी आदित्यनाथ ने विपक्ष पर हमला करते हुए सवाल किया कि सनातन धर्म की आस्था के तीन प्रामुख स्थलों अयोध्या, काशी और मथुरा का विकास आखिर किस मंशा से रोका गया था। योगी आदित्यनाथ ने विधानसभा में राज्यपाल के अभिभाषण पर चर्चा में भाग लेते हुए अपने संबोधन में कहा, सदियों तक अयोध्या वुत्सित मंशा के लिए अभिशप्त थी और वह एक सुनियोजित तिरस्कार भी झेलती रही। लोक आस्था और जनभावनाओं के साथ ऐसा खिलवाड़ संभवत: दूसरी जगह देखने को नहीं मिला होगा। अयोध्या के साथ अन्याय हुआ। मुख्यमंत्री ने कहा, भारत के अंदर लोक आस्था का अपमान हो, बहुसंख्यक समाज गिड़गिड़ाए, यह पहली बार देखने को मिला। दुनिया देख रही है कि स्वतंत्र भारत में यह काम पहले होना चाहिए था। वर्ष 1947 में प्रारंभ होना चाहिए था और इस आस्था के लिए बारबार गुहार लगाता रहा। उन्होंने कहा हमने जो कहा सो किया। जो संकल्प लिया उसकी सिद्धि भी की। हम केवल बोलते नहीं हैं, करते हैं। उन्होंेने कहा कि हम मानते हैं कि मंदिर का विवाद न्यायालय में था लेकिन वहां की सड़कों को तो चौड़ा किया जा सकता था। वहां के घरों का पुनरुद्धार किया जा सकता था। अयोध्यावासियों को बिजली आपूर्ति की जासकती थी। वहां स्वच्छता की व्यवस्था तो की जा सकती थी। वहां स्वास्थ्य की बेहतर सुविधाएं की जा सकती थीं। वहां हवाईं अड्डा बनाया जा सकता था। सवाल यह है कि भाजपा इस मुद्दे पर वैसे आगे बढ़ेगी? इस सवाल पर पाटा के एक वरिष्ठ नेता ने कहा, जब हम राम मंदिर का प्रास्ताव लाए थे, तब हालात अलग थे। हम विपक्ष में थे इसलिए हमें लम्बी अदालती कार्रवाईं से होकर गुजरना पड़ा। अब वेंद्र और यूपी दोनों जगह हम सरकार में हैं। हम मुस्लिम पक्षों से बात करके हल निकालने की कोशिश करेंगे। यूपी सरकार जन्मभूमि को लेकर कानून भी बना सकती है। अदालत जाने का विकल्प सबसे आखिरी होगा? श्रीवृष्ण जन्मभूमि को लेकर प्रास्ताव के सवाल पर पाटा नेताओं का कहना है कि यह एक बड़ा संकल्प है और आने वाले वुछ साल में यह पाटा के शीर्ष नेतृत्व के सत्ता संतुलन का कारक बन सकता है। एक विचार यह है कि पाटा के राष्ट्रीय अध्यक्ष की तरफ से प्रास्ताव लाया जाए। दूसरा विचार यह है कि राज्य इकाईं प्रास्ताव लाए, जिसका अनुमोदन राष्ट्रीय परिषद करे। तीसरा विचार यह है कि धार्मिक या सांस्वृतिक संगठनों की तरफ से प्रास्ताव लाकर भाजपा से मांग पूरी करने को कहा जाए और फिर उस पर राष्ट्रीय परिषद की मुहर लगाईं जाए।

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