Tuesday 6 February 2024

झारखंड के फकीराना अंदाज वाला मुख्यमंत्री


पैरों में चप्पल, ढीली शर्ट-पैंट और सिर के बालों पर फैली सफेदी। चंपई सोरेन की यही पहचान है। वे सादगी से जीवन जीते रहे हैं चंपई सोरेन। अब चंपई सेरेन ने शुक्रवार को झारखंड के 12वें मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली। राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने चंपई को सीएम, कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम और राजद विधायक दल के नेता सत्यानंद को मंत्रीपरिषद की शपथ दिलाई। चंपई सोरेन को विधानसभा में 5 फरवरी को विश्वास मत हासिल करना था जो उन्होंने हासिल कर लिया। इसके लिए विधानसभा का दो दिवसीय विशेष सत्र बुलाया गया है। दूसरी ओर गठबंधन ने विधायकों को तोड़फोड़ से बचाने के लिए हैदराबाद भेज दिया था। गठबंधन ने गुरुवार को जारी वीडियो में 43 विधायकों का समर्थन दिखाया था। हेमंत सोरेन से प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की पूछताछ को लेकर ये संकेत मिलने लगे थे कि वो पद छोड़ सकते हैं। मीडिया रिपोर्टों में मंगलवार से नए सीएम के तौर पर हेमंत सोरेन की पत्नी कल्पना सोरेन के नाम की अटकलें लगाई जा रही थीं। लेकिन बुधवार शाम नए नेता के तौर पर चंपई सोरेन का नाम सामने आया। पिछले बुधवार को हेमंत सोरेन की गिरफ्तारी और इस्तीफे के बाद चंपई को विधायक दल का नेता चुन लिया गया था और वह 43 विधायकों के समर्थन का पत्र राज्यपाल को सौंप चुके थे। लेकिन राजभवन से नई सरकार के गठन करने का समय नहीं मिलने से अनिश्चितता का माहौल बना हुआ था। झारखंड मुक्ति मोर्चा और गठबंधन के अन्य दलों में टूट की आशंका जाहिर की जा रही थी। राज्यपाल द्वारा शपथ ग्रहण न करवाने को लेकर तरह-तरह की अफवाहें उड़ने लगी थी। राज्यपाल की ओर से मुख्यमंत्री को शपथ दिलाने में हुई देरी पर शुक्रवार को लोकसभा में विपक्षी दलों ने काफी हंगामा किया। विपक्ष का कहना था कि बिहार में नीतीश कुमार को इस्तीफा देने के तुरन्त बाद नई सरकार के गठन के लिए आमंत्रित किया था। लेकिन झारखंड में ऐसा क्यों नहीं हुआ? चंपई सोरेन झारखंड मुक्ति मोर्चा के 67 वर्षीय नेता पार्टी प्रमुख शिबू सोरेन और उनके बेटे हेमंत सोरेन दोनों के विश्वसनीय रहे हैं। हेमंत सोरेन के मंत्रिमंडल में वे परिवहन और खाद्य व आपूर्ति विभाग का काम देख रहे थे। झारखंड राज्य गठन के आंदोलन में वे शिबू सोरेन के निकट सहयोगी रहे हैं। विधानसभा में वे सरायकेला सीट पर सात बार विधायक रहे हैं। 11 नवंबर 1956 को जन्मे चंपई सोरेन ने दसवीं तक की ही पढ़ाई की है। उल्लेखनीय है हेमंत सोरेन पर आदिवासी क्षेत्र की भूमि खरीद में कथित हेराफेरी का आरोप लगाया गया है। किसी राज्य के चुने हुए मुख्यमंत्री पर ऐसे आरोप लगाना वाकई संगीन मामला है और इसमें कतई संदेह नहीं कि इसकी कड़ी जांच होनी चहिए और अगर वे भ्रष्टाचार में लिप्त पाए जाते हैं तो कानून अपना काम करे पर गिरफ्तारी तभी होनी चाहिए जब आरोप सिद्ध हो जाए। जनता द्वारा चुनी गई सरकार के प्रमुख की गिरफ्तारी कोई सामान्य मामला नहीं है और इसका आधार स्पष्ट होना चाहिए। वैसे भी धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) में जमानत मुश्किल से मिलती है। हेमंत सोरेन को गिरफ्तार करके अगर इरादा झारखंड सरकार को गिराना था या राष्ट्रपति शासन लगाने का इरादा था तो यह चाल फेल हो गई। झारखंड मुक्ति मोर्चा गठबंधन सरकार बरकरार है। शायद यह सोचा गया होगा कि पूरे देश के आदिवासी भाजपा के खिलाफ न हो जाएं जिसका सीधा असर 2024 के लोकसभा चुनाव पर पड़ता इसलिए चंपई सोरेन को एक पूरे दिन प्रतीक्षा के बाद शपथ दिलाई गई।

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