Saturday, 4 May 2024

भाजपा का अभेद्य गृह राज्य गुजरात


आएगा तो मोदी ही। कांग्रेस खत्म हो चुकी है। भाजपा क्लीन स्वीप करेगी। ये वो शब्द हैं जो गुजरात की प्रत्येक लोकसभा सीट पर हर दूसरा या तीसरा मतदाता दोहराता है। लेकिन भाजपा इन्हीं शब्दों से परेशान है। भाजपा को डर यह है कि कहीं उसका कैडर वोटर अति आत्मविश्वास में वोट डालने नहीं गया तो? अगर गुजरात में 6 से 7 प्रतिशत वोटिंग कम होती है तो भाजपा को 3 से 4 सीटों पर नुकसान हो सकता है। बीते दो चुनावों में भाजपा को कांग्रेस से 26 से 30 प्रतिशत ज्यादा वोट मिले थे। भाजपा के लिए अभी भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, प्लस प्वाइंट बने हुए हैं। मोदी की गारंटी शब्द पर मतदाता भरोसा करने को तैयार हैं। अयोध्या राम मंदिर, 370 का खात्मा, सर्जिकल स्ट्राइक, इकोनॉमिक ग्रोथ, चीन-पाकिस्तान पर प्रैशर, विकसित भारत, हिंदुत्व की एकजुटता जैसे मुद्दे भाजपा का सबसे बड़े टॉनिक बने हुए हैं। हालांकि कुछ माइन्स प्वाइंट भी हैं। स्थानीय नेताओं के भ्रष्टाचार, घमंड व बयानबाजी नेगेटिव प्वाइंट हैं। टिकटों में मनमानी से कार्यकर्ता नाराज हैं। अमरेली के रुपाला को राजकोट, भावनगर के मांडविया को पोरबंदर, मोरबी के चंदू शिरोही को सुरेन्द्र नगर से टिकट देने पर स्थानीय कार्यकर्ता नाराज चल रहे हैं। देशभर की राजनीति में अचानक चर्चा में आए गुजरात के क्षत्रिय चुनावी रंग की नई इबारत लिखने का दावा कर रहे हैं। खुद को मजबूत हिंदू समझने वाले क्षेत्रिय हिंदुत्व की लय पर चलने वाली भाजपा से बैर लेने में हिंदुत्व पर ही हिचक रहे हैं। शायद यही वजह है कि वो भाजपा के खिलाफ प्रदर्शन के लिए काले नहीं, बल्कि भगवा झंडे का इस्तेमाल कर रहे हैं। यह अपने आप में पहला और अनूठा है। राजनीति दो लफ्जों से बदल सकती है। ब्रिटिशर्स के सामने राजा-महाराजा झुक भी गए और रोटी-बेटी तक का व्यवहार किया। केन्द्राrय मंत्री राजकोट से भाजपा के लोकसभा प्रत्याशी पुरुषोतम रुपाला के इन्हीं दो लफ्जों ने राजनीति के राजपूत एंगल में भूचाल ला दिया है। हुआ यूं कि पिछले महीने रुपाला दलित समाज के एक व्यक्ति के यहां किसी की मृत्यु पर शोक संवेदनाएं प्रकट करने गए थे। वो दलितों की प्रशंसा करते हुए कहने लगे कि आप लोग कभी झुके नहीं, आपके कारण ही सनातन धर्म टिका हुआ है। वरना राजा-महाराजों ने अपनी बेटियों की शादी अंग्रेजों से कर डाली। रुपाला के बयान पर क्षत्रिय समाज नाराज हो गया और उन्होंने भाजपा से रुपाला का टिकट वापस लेने की मांग की। विरोध में रैलियां होने लगीं। जामनगर, सुरेन्द्र नगर, भावनगर और ऐसी ही कुछ 5-6 जगहों पर क्षत्रिय समाज का जुटना हुआ। राजकोट में रैली हुई तो कई लाख लोग शामिल हुए। इसमें 30 हजार तो महिलाएं थीं। खास ये था कि इस रैली के लिए न किसी को बुलाया गया न ही बस और गाड़ियां बुक हुईं। लोग खुद यहां पहुंचे। उनका बैर न भाजपा से था न मोदी से। उनकी मांग थी रुपाला से टिकट वापस लो। भाजपा हाईकमान इस विरोध का ड्रैमेज कंट्रोल करने में लगा हुआ है। देखना यह है कि वह कितना डैमेज कंट्रोल कर पाता है? क्षत्रिय विवाद से कांग्रेस को कितना नफा-नुकसान होगा, इस सवाल पर कांग्रेस चुप्पी साधे हुए है।

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