Saturday 25 May 2024

सोशल मीडिया की बढ़ती ताकत


ऐसे में जब मेन स्ट्रीम मीडिया सवालों के घेरे में है, सोशल मीडिया चुनाव में एक महत्वपूर्ण हथियार बन गया है। खासकर विपक्षी दलों के लिए। देश के एक बहुत बड़े तबके तक पहुंच होने के चलते राजनीतिक दल इस पर पैसा पानी की तरह बहा रहे हैं। भारत में जिस तरह से गांव-गांव लोगों के पास स्मार्ट फोन हैं और इंटरनेट की सुविधा है। ऐसे में यह प्रचार का एक सशक्त माध्यम बनकर उभरा है। चाहे एक मिनट की रील हो या फिर एक्स या यूट्यूब, फेसबुक से लेकर इंस्टाग्राम, नेता अपनी बात को बड़े प्रभावी ढंग से देश के बड़े वर्ग तक पहुंचाने में सफल रहे हैं। देखा जाए तो इस बार चुनाव का नैरेटिव मेन स्ट्रीम मीडिया से नहीं, बल्कि सोशल मीडिया से तय किया जा रहा है। इस काम में पीएम मोदी का सीधा मुकाबला यदि कोई कर रहा है तो वह कांग्रेस के राहुल गांधी हैं। सोशल मीडिया की ताकत समझने के लिए यह जानना जरूरी है कि देश में यूट्यूब के 46 करोड़ दर्शक हैं। इंस्टाग्राम पर 36 करोड़ भारतीय सक्रिय हैं। फेसबुक पर यह संख्या 38 करोड़ है और एक्स पर 2.71 करोड़ लोग सक्रिय हैं। इनमें सबसे ज्यादा लोकप्रिय रील्स का बाजार है। शार्ट वीडियो बेस का चलन कितना है इसे आंकड़ों से समझा जा सकता है। औसतन एक भारतीय रील्स पर 38 मिनट का समय बिताता है। रील्स को देखने वाले 64 प्रतिशत लोग छोटे शहरों के हैं तो गांवों में रहने वाले 45 प्रतिशत हैं, सोशल मीडिया की ताकत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पीएम मोदी के एक्स पर 6 करोड़ फालोवर हैं तो वहीं इंस्टाग्राम पर 89.1 बिलियन लोग फॉलो करते हैं। सोशल मीडिया पर जो दो प्रमुख चेहरे छाए हुए हैं वह मोदी और राहुल हैं। राहुल गांधी के यूट्यूब पर पिछले माह 35 करोड़ व्यूज आए। इस समय राहुल गांधी का यूट्यूब चैनल नंबर वन पर है। उनके चैनल को 5.55 मिलियन लोगों ने सब्सक्राइब किया है। इनके इंस्टाग्राम एकाउंट पर 7.9 मिलयन सब्सक्राइबर हैं। एक्स पर उनको 25.5 मिलियन, फेसबुक पर 70 लाख और व्हाट्सप पर 63 बिलियन लोग फालो करते हैं। सोशल मीडिया की सक्रियता का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि जब पीएम मोदी ने कांग्रेस के घोषणा पत्र पर सवाल उठाया, उसके बाद कांग्रेस के घोषणा पत्र को 88 लाख बार डाउनलोड किया गया। कांग्रेsस ने 20 हजार स्वयंसेवकों की फौज बना रखी है, जो व्हाट्सप के जरिए पांच लाख लोगों के सीधे संपर्क में है। इस मामले में भाजपा कांग्रेस से भी आगे है। पीएम मोदी कुछ सोशल मीडिया को लेकर बेहद सहज रहते हैं और इसी के चलते भाजपा के आईटी सेल के पास लाखों लोगों की टीम है जो भाजपा और सरकार तक मोदी व अन्य नेताओं के लिंक को हर मिनट शेयर करते हैं। सोशल मीडिया की ताकत को समझते हुए ही राजनीतिक दलों ने अपने चुनावी अभियान का बहुत बड़ा फंड सोशल मीडिया पर खर्च किया है। सोशल मीडिया के बड़े प्लेटफार्म हजारों करोड़ रुपए की चांदी भारत के लोकसभा चुनाव में काट रहे हैं।

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