Tuesday 21 May 2024

कोर्ट की मंजूरी बिना ईंडी गिरफ्तार नहीं कर सकती

सुप्रीम कोर्ट ने एक बार फिर प्रावर्तन निदेशालय यानि ईंडी को कड़ी नसीहत दी है। दरअसल पिछले वुछ वर्षो से धन शोधन मामलों यानि पीएमएलए में जिस तरह ईंडी सव््िराय नजर आ रही है और विपक्ष के अनेक नेताओं और उनसे संबंधित लोगों को सलाखों के पीछे डाल रही है। उसे लेकर लगातार आपत्ति दर्ज कराईं जाती रही है। एक वर्ष पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट निर्देश दिया था कि ईंडी भय का माहौल पैदा न करे। मगर उस नसीहत का ईंडी पर कोईं असर नहीं हुआ। विपक्षी नेताओं की गिरफ्तारियां जारी रहीं। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अपने ऐतिहासिक, दूरगामी पैसले में कहा कि धन शोधन से जुड़े मामले में विशेष अदालत द्वारा शिकायत पर संज्ञान लेने के बाद ही ईंडी पीएमएलए की धारा-19 के तहत किसी आरोपी को गिरफ्तार नहीं कर सकती। शीर्ष अदालत ने कहा कि यदि किसी आरोपी को गिरफ्तार करना जरूरी है तो ईंडी को विशेष अदालत से पहले अनुमति लेनी होगी। न्यायमूर्ति अभय एस. ओका और न्यायमूर्ति उज्जल भुइयां की पीठ ने अपने पैसले में साफ किया है कि अगर धन शोधन मामले में आरोपी किसी व्यक्ति को ईंडी ने जांच के दौरान गिरफ्तार नहीं किया है और पीएमएलए की विशेष अदालत आरोप पत्र पर संज्ञान लेकर उसे समन जारी करती है तो उसे अदालत में पेश होने के बाद पीएमएलए के तहत जमानत की दोहरी शर्त को पूरा करने की जरूरत नहीं होगी। पीठ ने कहा कि जब कोईं आरोपी किसी समन के अनुपालन में अदालत के समक्ष पेश होता है, तो एजेंसी को उसकी हिरासत पाने के लिए संबंधित अदालत में आवेदन करना होगा। अगर आरोपी समन (अदालत द्वारा जारी) के जरिए विशेष अदालत में पेश होता है तो यह माना जा सकता है कि वह हिरासत में है। ऐसी सूरत में तो एजेंसी को उसकी हिरासत पाने के लिए संबंधित अदालत में आवेदन करना होगा। पीठ ने अपने पैसले में कहा है कि जो आरोपी समन के बाद अदालत में पेश हुए, उन्हें जमानत के लिए आवेदन करने की जरूरत नहीं है और इस तरह पीएमएलए की धारा 45 की जुड़वा शर्ते लागू नहीं होती हैं। धन शोधन कानून की धारा 45 का कहना है कि इस कानून के तहत सरकारी वकील को अधिकार है कि वह आरोपी की जमानत अजा का विरोध कर सके। माना जाता था कि चुनाव आचार संहिता लागू होने के बाद इस तरह के छापों और गिरफ्तारियों पर विराम लगेगा ताकि राजनेता चुनाव में समान अधिकार से चुनाव मैदान में उतर सवें। मगर इस दौरान भी न तो छापे रुके और न ही गिरफ्तारियां रुकीं। ईंडी की इस सव््िरायता के विरोध में विपक्षी दलों ने सुप्रीम कोर्ट में गुहार लगाईं थी, मगर धन शोधन का मामला संवेदनशील होने की वजह से अदालत ने कोईं आदेश नहीं दिया। अब अगर सुप्रीम कोर्ट इसे लेकर गंभीर और कड़ा रुख अपनाए हुए है तो ईंडी को अपने दायरे का एहसास हो जाना चाहिए। धन शोधन मामले में कड़ी कार्रवाईं से इंकार नहीं किया जा सकता। यह देश की सुरक्षा से जुड़ता है। इसी दृष्टि से धन शोधन निवारण कानून को कड़ा बनाया गया था। मगर इस कानून को अगर ईंडी राजनीतिक विरोधियों को सबक सिखाने और चुनावों से दूर रखने के लिए एक हथियार के रूप में इस्तेमाल करती है, तो इस कानून का प्राभाव संदिग्ध हो जाता है। कईं मामलों में यह पैसले ऐतिहासिक और दूरगामी हैं।

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