Thursday 12 April 2018

क्या आधार बैंकों की धोखाधड़ी को रोक सकता है?

विशिष्ट पहचान नम्बर यानि आधार की अनिवार्यता का दायरा सरकार लगातार बढ़ाती जा रही है। इसके पीछे सरकार कई प्रकार के तर्प दे रही है। उदाहरण के तौर पर प्रशासनिक कामकाज, योजनाओं और वित्तीय लेनदेन में पारदर्शिता सुनिश्चित करने से लेकर आतंकवाद से कारगर ढंग से निपटने जैसे तमाम तर्प दिए जा रहे हैं। पर आधार के मिसयूज होने पर सरकार कोई टिप्पणी नहीं कर रही है और न ही बता रही है कि सरकार के पास आधार के दुरुपयोग रोकने के लिए क्या कारगर योजना है? सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को केंद्र सरकार के इस तर्प को खारिज कर दिया कि पहचान संख्या आधार हर भ्रष्टाचार को रोकने का एक सुनिश्चित हथियार है। कोर्ट ने कहा कि आधार हर धोखाधड़ी को नहीं पकड़ सकता। मुख्य न्यायाधीश जस्टिस दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पांच जजों की संविधान पीठ ने यह टिप्पणी आधार कानून की कानूनी वैधता का परीक्षण करने के दौरान कही। अटॉर्नी जनरल केके वेणुगोपाल ने जब यह कहा कि आधार के जरिये हजारों करोड़ रुपए की धोखाधड़ी, बेनामी लेनदेन पकड़े गए हैं और तमाम फर्जी कंपनियों का खुलासा हुआ है। इस पर जस्टिस डीवाई चन्द्रचूड़ ने कहा कि आधार प्रत्येक धोखाधड़ी का इलाज नहीं है। खासकर बैंकों में धोखाधड़ी रोकने में यह कामयाब नहीं है। यदि कोई व्यक्ति अलग कंपनियां शुरू कर रहा है तो यह अपने आपमें धोखाधड़ी नहीं है। समस्या तब आती है जब बैंक मल्टीपल एंट्री के जरिये लोन देता है। आधार में ऐसा कुछ नहीं है जिससे व्यक्ति को वाणिज्यिक गतिविधियों की श्रृंखला में लेनदेन करने से रोका जा सके। हम नहीं समझते कि आधार ऐसे बैंक धोखाधड़ी को रोक सकता है। हां, कल्याणकारी योजनाओं में धोखाधड़ी को रोकने की बात समझी जा सकती है। निजता को नागरिक का मौलिक अधिकार मानने के सर्वोच्च न्यायालय के ऐतिहासिक फैसले से सरकार के रुख को तगड़ा झटका तो लगा, पर वह अपनी जिद पर कायम रहते हुए हर चीज को आधार से जोड़ने के नए-नए फरमान जारी करती रही है। एक बार फिर अदालत ने सरकार के रूप में प्रथम दृष्टया असहमति जताई है। देखना यह है कि क्या सरकार के रुख में कोई परिवर्तन आता है और अदालत में चल रहे मामले का अंतिम परिणाम क्या होता है? सुप्रीम कोर्ट ने केवल कुछ आतंकवादियों को पकड़ने के लिए पूरी जनता के अपने मोबाइल फोन आधार से जोड़ने पर भी केंद्र पर सवाल खड़े किए हैं। अगर कल को अधिकारी प्रशासनिक आदेशों के जरिये नागरिकों के आधार के तहत डीएनए जोड़े तो?

-अनिल नरेन्द्र

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