Friday 6 April 2018

सचिन तेंदुलकर सही मायनों में एक लीजेंड हैं

राज्यसभा से रिटायर हो रहे 40 सांसदों में से तीन ने अपने छह साल के कार्यकाल में एक भी सवाल नहीं पूछा। वहीं राकांपा के सांसद और सचिन तेंदुलकर ने उल्लेखनीय काम किया। राकांपा सांसद डीपी त्रिपाठी सदन में हाजिरी को लेकर शीर्ष पर रहे। राज्यसभा के रिकार्ड के मुताबिक वह 99 प्रतिशत बैठकों में शामिल रहे। सदन में 60 सांसद रिटायर हुए लेकिन इनमें से 20 दोबारा चुनकर वापस आए। सदन में अपने कार्यकाल में एक भी सवाल नहीं पूछने वाले सांसद के. पारासरन, के. चिरंजीवी और फिल्म अभिनेत्री रेखा हैं। पारासरन और रेखा को तत्कालीन यूपीए सरकार ने नामित किया था जबकि दक्षिण भारतीय सिनेमा के सुपर स्टार चिरंजीवी कांग्रेस के टिकट पर आंध्रप्रदेश से राज्यसभा आए थे। क्रिकेट के मैदान पर बल्ले से विपक्षी टीमों को जवाब देने के लिए मशहूर सचिन तेंदुलकर ने संसद की पिच पर भी आलोचकों को अपने ही अंदाज में जवाब दिया है। उन्होंने पिछले छह साल में राज्यसभा सांसद के तौर पर वेतन और भत्ते के मिले करीब 90 लाख रुपए प्रधानमंत्री राहत कोष में दान कर यह जता दिया कि उन्हें आखिर क्यों  लीजेंड कहा जाता है। सचिन का कार्यकाल 26 अप्रैल को खत्म हो रहा है। हाल में उन्हें अन्य रिटायर हो रहे सांसदों के साथ औपचारिक विदाई दी गई। सचिन को 26 अप्रैल 2012 को राज्यसभा सांसद मनोनीत किया गया था। वह राज्यसभा पहुंचने वाले पहले सक्रिय खिलाड़ी थे। बतौर सांसद उन्हें कांग्रेस नेता राहुल गांधी के पड़ोस में बंगला आवंटित किया गया था पर उन्होंने लेने से इंकार कर दिया था। कुछ माह पहले सचिन ने सदन में राइट टू प्ले पर अपनी बात रखने के लिए खड़े हुए लेकिन हंगामे के चलते अपनी बात नहीं रख सके थे। तेंदुलकर को इन वर्षों में संसद में कम उपस्थिति के लिए कई बार आलोचना झेलनी पड़ी। हालांकि उन्होंने अपनी सांसद निधि का अच्छा प्रयोग किया। उनके कार्यालय से जारी आंकड़ों के मुताबिक वह देशभर में 185 परियोजनाओं को चला रहे हैं। इन परियोजनाओं को आवंटित 30 करोड़ रुपए में से 7.4 करोड़ रुपए शिक्षा के क्षेत्र में खर्च करने का दावा किया गया है। इनमें क्लास रूम के निर्माण और नवीकरण समेत शिक्षा से जुड़े कई विकास कार्य शामिल हैं। सांसद आदर्श ग्राम योजना कार्यक्रम के तहत सचिन ने दो गांवों को भी गोद लिया जिसमें आंध्रप्रदेश का पुत्तम राजू के प्रिगा और महाराष्ट्र का दौजां गांव शामिल हैं। इससे पहले बतौर सांसद सचिन ने सांसद स्थानीय क्षेत्र विकास (एमपी लैंड) कोष से जम्मू-कश्मीर के कुपवाड़ा जिले के एक स्कूल की इमारत के निर्माण के लिए 40 लाख रुपए दिए थे। सचिन के इस कदम की महबूबा मुफ्ती ने भी तारीफ की थी। सचिन सही मायनों में एक लीजेंड हैं। उन्होंने यह साबित भी कर दिया।

-अनिल नरेन्द्र

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