-आदित्य नरेन्द्र-
इसे भारतीय राजनीति की एक विडंबना ही कहा जाएगा कि यहां के राजनीतिक
दल अपनी छवि गढ़ने के लिए स्वतंत्र नहीं हैं क्योंकि यहां किसी पार्टी की छवि गढ़ने
का काम दोतरफा होता है। एक तरफ एक राजनीतिक दल अपनी छवि अपनी राजनीति के हिसाब से बनाने
का प्रयास करता है तो वहीं दूसरी ओर उसके विरोधी राजनीतिक दल साम, दाम, दंड, भेद का
इस्तेमाल कर उसे कठघरे में खड़ा करके उस पर दाग लगाने का प्रयास करते हैं ताकि उन्हें
पालिटिकल माइलेज मिल सके। जब से देश आजाद हुआ है भारत में इसी तरह की राजनीति बार-बार
देखने में आई है। कोई भी छोटी या बड़ी राजनीतिक पार्टी इसे अछूती नहीं है। पिछले दिनों
पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इस मामले में अपनी पीड़ा को यह कहते हुए व्यक्त
भी किया था कि कांग्रेस को मुस्लिम समर्थित पार्टी दिखाने का प्रयास किया गया जिससे
कांग्रेस की छवि को नुकसान पहुंचा। केंद्र की सत्ता में आने के बाद पिछले कुछ सालों
से भाजपा के नेताओं को भी यही परेशानी हो रही है। उन्हें लगता है कि गुजरात और देश
के दूसरे राज्यों में ऐसी घटनाएं लगातार हो रही हैं जिससे उस पर मुस्लिम, दलित और महिला
विरोधी होने का ठप्पा लगाया जा रहा है। ऐसे में अगले साल होने वाले आम चुनावों को देखते
हुए भाजपा हाई कमान की पेशानी पर बल पड़ना स्वाभाविक ही है। हाल ही में घटित उत्तर
प्रदेश के उन्नाव और जम्मू-कश्मीर के कठुआ में हुए दो मामलों ने भाजपा नेताओं की चिन्ता
को और भी ज्यादा बढ़ा दिया है क्योंकि जहां उन्नाव मामले में एक भाजपा विधायक कुलदीप
सिंह सेंगर को आरोपी बनाकर सीबीआई ने अरेस्ट कर लिया है वहीं कठुआ में प्रदेश सरकार
के दो भाजपा मंत्रियों लाल सिंह एवं चन्द्र प्रकाश को बलात्कार एवं हत्या के मामले
के आरोपियों के समर्थन में की गई एक रैली में हिस्सा लेने पर अपना इस्तीफा देना पड़ा
है। इस मामले में आठ साल की पीड़ित बच्ची मुस्लिम बक्करवाल समुदाय से थी जिनका पेशा
भेड़-बकरी चराने का है। यह वही बक्करवाल समुदाय है जो अकसर भारतीय रक्षा बलों एवं प्रदेश
पुलिस को पाक घुसपैठियों की जानकारी देकर सतर्प करता रहा है। इन दोनों मामलों में भाजपा
नेताओं का नाम उछलने से भाजपा नेता अपनी कोई भी प्रतिक्रिया देने में सतर्पता बरत रहे
हैं। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने इस मौके का फायदा उठाकर प्रधानमंत्री नरेंद्र
मोदी पर यह कहते हुए निशाना साधा है कि देश इंतजार कर रहा है कि महिलाओं के खिलाफ हो
रही हिंसा पर प्रधानमंत्री कुछ बोलें। उन्होंने ट्विटर पर लिखकर पूछा है कि बलात्कार
और हत्या के आरोपियों को सरकार क्यों बचा रही है। इससे एक दिन पहले ही उन्होंने कांग्रेस
नेताओं और कार्यकर्ताओं के साथ इंडिया गेट पर दोनों मामलों के पीड़ितों को समर्थन देने
के लिए कैंडल मार्च का आयोजन भी किया था।
जाहिर है कि इससे भाजपा पर दबाव पड़ा है। अंबेडकर जयंती की पूर्व
संध्या पर दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में पीएम मोदी ने इसका जवाब देते हुए कहा
कि ऐसी घटनाएं निश्चित तौर पर सभ्य समाज के लिए खतरनाक हैं। उन्होंने कहा कि इन मामलों
में कोई भी अपराधी नहीं बचेगा। न्याय होगा और पूरा होगा। उन्नाव गैंगरेप मामला उत्तर
प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लिए भी खासा सिरदर्द बढ़ाने वाला है। इस मामले
से उत्तर प्रदेश को पूरी तरह अपराधमुक्त बनाने के उनके दावों को धक्का लगा है। उन्होंने
अपराधियों को खुली चुनौती देते हुए कहा था कि अपराधी या तो अपराध छोड़ दें या फिर उत्तर
प्रदेश से बाहर चले जाएं। नहीं तो उन्हें ऐसी जगह जाना पड़ेगा जहां कोई भी नहीं जाना
चाहता। धड़ाधड़ एनकाउंटर उनके इस संकल्प की गवाही भी दे रहे थे। लेकिन उन्नाव गैंगरेप
मामले में भाजपा विधायक का नाम उछलने के बाद कांग्रेस सहित अन्य विपक्षी दल मुख्यमंत्री
के प्रदेश को अपराधमुक्त बनाने के दावे की खिल्ली उड़ाते हुए पूछ रहे हैं कि क्या भाजपा
विधायकों के लिए कोई अलग कसौटी है। आखिर क्यों हाई कोर्ट को यह निर्देश देना पड़ा कि
भाजपा विधायक को अरेस्ट किया जाए। उनका सवाल है कि क्यों ताकतवर आदमी के सामने कानून
घुटने टेक देता है। हालांकि योगी सरकार ने इस मामले में सक्रियता दिखाने की कोशिश की
थी लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। पीड़िता द्वारा सीएम के आवास के बाहर आत्महत्या
करने का प्रयास और उसके पिता की पुलिस हिरासत में संदिग्ध मौत ने मामले को एकतरफा मोड़
दे दिया था। मामले को एसआईटी को सौंपने और पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई से भी कोई फायदा
नहीं हुआ क्योंकि यह मामला लगभग 10 महीने पहले शुरू हुआ था। इस मामले में भाजपा विधायक
की दबंगई और पुलिस व प्रशासन का आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई को लेकर अनमनेपन `हम तो
डूबेंगे सनम तुमको भी ले डूबेंगे' वाली कहावत को चरितार्थ किया है। ऐसे में कठुआ
और उन्नाव मामलों से भाजपा को सिर्प जम्मू-कश्मीर या उत्तर प्रदेश ही नहीं बल्कि पूरे
उत्तर भारत में नुकसान होने की आशंका है। यदि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ डैमेज कंट्रोल
में नाकामयाब रहे तो 2019 में होने वाले आम चुनाव में भाजपा के अश्वमेघ यज्ञ का घोड़ा
उत्तर प्रदेश में अटक सकता है जहां से लोकसभा की 80 सीटें हैं।
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