Saturday 21 April 2018

स्वाति मालीवाल की जान अब खतरे में है

महामहिम रामनाथ कोविंद ने बुधवार को कठुआ बलात्कार और हत्या मामले को घृणित और शर्मनाक करार देते हुए इसकी निन्दा की। राष्ट्रपति ने कहा कि हमें इस बात पर आत्मचिन्तन करने की जरूरत है कि हम कैसा समाज विकसित कर रहे हैं। राष्ट्रपति ने कहा कि बच्चों के खिलाफ होने वाली हिंसा मानवता के लिए बहुत चिंतित करने वाली बात है और बच्चों को सुरक्षा मुहैया कराने के लिए दृढ़ निश्चय की जरूरत है। उधर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लंदन में कहा कि दुष्कर्म तो दुष्कर्म है और इस पर राजनीति नहीं होनी चाहिए। हाल की वारदातों पर उन्होंने कहा कि दुष्कर्म देश के लिए शर्म की बात है। भारत में बच्चियों से दुष्कर्म के मामले में बुधवार को दिन में लंदन की सड़कों पर प्रदर्शनों के बाद शाम को वेस्टमिस्टर के सेंट्रल हॉल में भारत की बात सबके साथ कार्यक्रम में मोदी ने कहा कि नन्हीं बच्ची से दुष्कर्म होना बहुत ही तकलीफदेह है। जब सभी मान रहे हैं कि बच्चियों के साथ दुष्कर्म होना काबिले बर्दाश्त नहीं और इस मुद्दे पर हमें राजनीति नहीं करनी चाहिए तो अनशन पर बैठी दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्षा स्वाति मालीवाल भी तो यही ही कह रही हैं। अनशन पर बैठी स्वाति की सातवें दिन हालत खराब हो रही है। स्वाति पिछले सात दिनों से सिर्प पानी के सहारे अनशन पर बैठी हैं। बीते सात दिनों में स्वाति से मिलने दिल्ली सरकार के मुख्यमंत्री व अन्य मंत्री के अलावा विभिन्न दलों के सांसद भी राजघाट पहुंचे हैं, लेकिन केंद्र सरकार की ओर से कोई अभी तक नहीं पहुंचा। स्वाति बेशक सत्तारूढ़ दल से अलग विचारधारा वाली पार्टी की हों पर जो बात या मांग वह कर रही हैं उस पर तो किसी को ऐतराज नहीं होना चाहिए। खुद प्रधानमंत्री कह रहे हैं कि इस मुद्दे पर हमें राजनीति नहीं करनी चाहिए। स्वाति अनशन पर इसलिए बैठी हैं कि महिलाओं के साथ हो रहे रेप के मामलों में सख्त से सख्त कानून बने। उनकी सेहत में लगातार गिरावट आ रही है। लंबे वक्त तक अनशन ले सकता है जान। डाक्टरों का कहना है कि अगर जल्द स्वाति का अनशन नहीं टूटता तो कुछ भी हो सकता है। स्वाति ने भी जिद्द पकड़ रखी है। वह कहती हैं कि प्रधानमंत्री जिद्दी हैं तो मैं उनसे ज्यादा जिद्दी हूं। जब तक वह मेरी मांग नहीं मानेंगे तब तक मैं अपना अनशन नहीं तोड़ूंगी। हम स्वाति जी से कहना चाहते हैं कि वह इसे प्रतिष्ठा का सवाल न बनाएं। शायद ही पूरे देश में कोई ऐसा व्यक्ति हो जो आपकी मांगों का समर्थन न करता हो। पर आप यह हठ छोड़ दें कि पीएम ही आपकी बात पर रिएक्ट करें। हम तो समझते हैं कि अगर दिल्ली के उपराज्यपाल या कोई केंद्रीय मंत्री उन्हें आश्वासन दे कि उनकी मांगों पर गौर किया जाएगा तो यह अनशन समाप्त हो सकता है। स्वाति मालीवाल का अनशन खतरनाक स्टेज पर पहुंच रहा है और अगर जल्द इसका हल नहीं किया गया तो बुरा अंत हो सकता है।

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