Saturday 28 April 2018

अर्श से फर्श पर गिरने की आसाराम की कहानी

हमें न्यायालय पर पूरा भरोसा था, जो सच साबित हुआ है। हमारी बेटी बहुत हिम्मत वाली है। उसकी हिम्मत से ही हम इस ढोंगी बाबा को उसके किए की सजा दिला पाए हैं। यह कहना है पीड़िता के पिता का और यह बात कही उन्होंने आसाराम बापू के बारे में। बुधवार को जोधपुर की विशेष अदालत ने कथित संत आसाराम को एक नाबालिग लड़की से रेप करने के मामले में आजीवन कैद और एक लाख का जुर्माने की सजा सुना दी। एक नाबालिग लड़की से बलात्कार के मामले में हुई गिरफ्तारी से आसाराम बापू का मायालोक तो करीब पांच साल पहले ही दरक गया था, अब उम्रकैद ने उनके गुनाहों को बाकी सजा काटने का पूरा इंतजाम कर उनके कथित आध्यात्मिक साम्राज्य के ताबूत में आखिरी कील ठोक दी है। पोक्सो समेत कुल 14 धाराओं में दोषी करारा दिए गए आसाराम को पूरी जिन्दगी जेल में बितानी होगी। स्पेशल जज ने कहाöआसाराम का अपराध घिनौना है, उसे मौत होने तक जेल में रहना होगा। यह निर्भया केस के बाद हुए कानूनी बदलाव का ही नतीजा है कि आसाराम को जिन्दगीभर के लिए जेल में रहने की सजा सुनाई गई है। आसाराम को रेप की जिन धाराओं में जीवनभर जेल की सजा हुई है, वे निर्भया केस के बाद जोड़ी गई थीं। इसके तहत गैंगरेप में 20 साल से लेकर मौत होने तक जेल में रहने का प्रावधान किया गया था। वही ऐसा शख्स रेप करता है जिस पर पीड़िता भरोसा करती थी तो 10 साल से तमाम उम्र का नियम बनाया गया। इन दोनों ही धाराओं में आसाराम को सजा दी गई है। अदालत का फैसला सुनते ही आसाराम रोने लगा, पगड़ी उतारकर 10 मिनट कुर्सी पर बैठा रहा। यह आसाराम के विरुद्ध अय्याशी का एक अकेला मामला नहीं है। बलात्कार के एक मामले में गुजरात में जारी सुनवाई पर फैसला आने ही वाला है। आसाराम पर हत्या के भी मामले हैं। संत कहलाते हुए भी उनके लिए घृणित कुकृत्यों पर अदालतों के कठोर रुख को देखते हुए आसाराम का अब छूटना असंभव लगता है यानि कि उनके गुनाहों ने वह गत बना दी कि वे अपनी स्वाभाविक गति को प्राप्त हो गए हैं और होते जा रहे हैं। इससे पहले गुरमीत राम रहीम के मामले में हरियाणा के पंचकुला में उनके कथित भक्तों की ओर से जो बवाल काटा गया था, उसे देखते हुए जोधपुर प्रशासन ने कड़ी सुरक्षा का इंतजाम किया था। आसाराम भी उन कथित धर्मगुरुओं की श्रेणी में आते हैं जिनके तमाम घटनाओं के बावजूद अनुयायियों के एक हिस्से में उनकी आस्था बनी रहती है। देश में ऐसे बाबाओं, संतों, महात्माओं की कमी नहीं है जो अपने शिष्यों की नजर में लगभग भगवान का स्थान पाकर भी घृणित कृत्यों को अंजाम देते रहते हैं। शिष्यों का समूह इन कथित धर्मगुरुओं के आभामंडल से इस कदर प्रभावित रहता है कि उनके बारे में कुछ भी नेगेटिव सुनने को तैयार नहीं होता। पर असुमल हरापालानी उर्प आसाराम का आभामंडल इनसे कहीं बड़ा था और उनके भक्तों में नामचीन राजनीतिक शख्सियतों से लेकर दिग्गज कारोबारी घराने के लोग तक शामिल थे। एक राज्य से दूसरे राज्य में पांव फैलाना, जमीन कब्जा कर आश्रम बनवाने और गैर-कानूनी धंधा करने से लेकर आपत्तिजनक गतिविधियों में लिप्त होने के बावजूद लंबे समय तक आसाराम आध्यात्मिक गुरु का चोला पहनकर लोगों को भरमाते रहे तो इसके पीछे ताकतवर भक्तों का हाथ भी था। जबकि आसाराम की कलई खोलने वाले पत्रकार से लेकर उन्हें गिरफ्तार करने की हिम्मत दिखाने वाली आईपीएस अधिकारी उनके और उनके भक्तों के निशाने पर रहे। आसाराम की हवस का शिकार बनी उस नाबालिग लड़की की बात करें तो उसका पूरा परिवार आसाराम में ऐसी श्रद्धा रखता था कि जब उस बच्ची ने आसाराम की गलत हरकतों की शिकायत की तो मां-बाप ने उलटा उसे ही डांट दिया। तारीफ होनी चाहिए उस लड़की के साहस की, जो मां-बाप की डांट-डपट के बावजूद आसाराम की काली करतूतों को बर्दाश्त करने को राजी नहीं हुई। वह न केवल आसाराम के चंगुल से भाग निकली बल्कि अपने मां-बाप को भी आसाराम की सच्चाई का यकीन दिलाया और उन्हें यह लंबी, कठिन लड़ाई लड़ने के लिए तैयार किया। आसाराम पर रेप के और मामले भी चल रहे हैं। इन मुकदमों के दौरान न केवल पीड़ित परिवारों को धमकाने की कोशिश होती रही है बल्कि गवाहों पर जानलेवा प्रयास होते रहे हैं। आसाराम प्रकरण वास्तव में धर्म, धर्मभीरुता का विवेकहीन विशाल अंध परिदृश्य, भक्तों की श्रद्धा-आस्था का दोहन करते ईश्वर के यह तथाकथित प्रतिनिधि, उनसे सत्ता के आशीर्वाद या कहें भक्तों का एकमुश्त वोट एक ही ठोर पा लाने की लालसा में भंवर जलाती हमारी राजनीति और उसकी देखादेखी बंदगी करती प्रशासनिक व्यवस्था का निर्लज्ज विमर्श है। इसने समुदायों के सही और गलत के विवेक को अस्थिर ही नहीं कभी-कभी गलत रास्ते पर डाला है। इस पंक्ति में आसाराम ही नहीं है, उनके साथ बेटे नारायण स्वामी, राम रहीम व दर्जनों अन्य कथाकथित धर्मगुरु शामिल हैं। ऐसे में अभिभावकों से यही अपील की जा सकती है कि वे इन कथित संत-महात्माओं में चाहे जितनी आस्था भी रखें, पर कम से कम अपने नाबालिग बच्चों को इनसे कोसों दूर रखें। उन्हें पढ़ाई-लिखाई के जरिये अपना व्यक्तित्व विकसित करने का पूरा मौका दें ताकि अपने जीवन से जुड़े बड़े फैसले वे खुद ही ले सकें। आम लोग ही सर्वशक्तिमान हैं और वही इन ढोंगियों की पोल खोल रहे हैं।

-अनिल नरेन्द्र

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