Wednesday, 4 April 2018

आतंकियों के खिलाफ सात साल की सबसे बड़ी कार्रवाई

कश्मीर में सुरक्षाबलों ने रविवार को आतंकियों के खिलाफ पिछले सात साल की सबसे बड़ी कार्रवाई की। रविवार के दिन तीन मुठभेड़ें हुईं। इनमें 13 आतंकी मारे गए और एक को जिन्दा पकड़ लिया गया। 12 आतंकी शोपियां इलाके में मारे गए जबकि एक अनंतनाग में ढेर हुआ। मारे गए आतंकियों में लगभग 10 महीने पहले शहीद हुए लेफ्टिनेंट उमर फैयाज के दो कातिल भी शामिल थे। इस दौरान तीन सैन्यकर्मी भी शहीद हो गए। द्रगड़, कयछूटा और पेंठ डायलगाम गांवों में मुठभेड़ के दौरान लोगों ने सुरक्षाबलों पर पत्थरबाजी की। इस दौरान क्रॉस फायEिरग में फंसकर चार लोगों की मौत हो गई। शोपियां, अनंतनाग और पुलवामा में लोग सड़कों पर उतर आए। उन्हें खदेड़ने के लिए आंसू गैस के गोले और पैलेट गन चलानी पड़ी। झड़पों में जवानों समेत 90 से ज्यादा लोग घायल हो गए। सुरक्षाबलों को सूचना मिली थी कि शोपियां के द्रगड़ और कयछूटा गांवों और अनंतनाग के पेठ डायलगाम में बड़ी संख्या में आतंकी मौजूद हैं। इन्हें अमरनाथ यात्रा, सुरक्षाबलों और राजनेताओं पर हमलों की साजिश रचने के लिए बैठक करनी थी। इनमें हिजबुल और लश्कर के ही आतंकी थे। सुरक्षाबलों ने शनिवार रात करीब एक बजे घेराबंदी शुरू कर दी। जवाबी कार्रवाई में शोपियां के द्रगड़ में सात, कयछूटा में पांच आतंकी मारे गए। निश्चित रूप से एक दिन में 12 आतंकियों को मार गिराना सुरक्षाबलों और सेना की एक बड़ी कामयाबी है। यह कामयाबी इसलिए कहीं अधिक उल्लेखनीय है क्योंकि मारे गए आतंकियों में लेफ्टिनेंट उमर फैयाज के हत्यारे भी शामिल हैं। एक दिन में 12 आतंकियों का मारा जाना यह भी बताता है कि सेना, पुलिस व अर्द्धसैनिक बल आतंकवाद को कुचलने के लिए प्रतिबद्ध हैं। बीते साल तो दो सौ से अधिक आतंकी मारे गए थे, जो अपने आपमें एक रिकार्ड है। अनंतनाग के मुठभेड़ में एसएसपी ने आतंकियों को सरैंडर कराने के लिए उनके घर के लोगों को मौके पर बुलाया। वह आधे घंटे तक समझाते रहे। एक ने बात नहीं मानी और मारा गया। दूसरे ने सरैंडर कर दिया। दुख की बात यह है कि आतंकियों से मुठभेड़ के दौरान कुछ कश्मीरी युवक उल्टा सुरक्षाबलों पर ही पथराव करने पर उतारू हो गए। सेना को सेल्फ डिफेंस में गोली चलानी पड़ी और क्रॉस फायEिरग में चार लोगों की मौत हो गई। इस सिलसिले को जल्द थामा जा सकता है, लेकिन तभी जब कश्मीरी जनता पाकिस्तान परस्त तत्वों के बहकावे में आने से बचेगी। केंद्र और राज्य सरकार दोनों को मिलकर आतंक और अलगाव के खिलाफ जनता को इनका साथ देने का माहौल बनाना चाहिए। उन्हें पाकिस्तान की गेम समझनी होगी।

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