Saturday 25 September 2021

जमानत पर बाहर आके कर डालीं 52 वारदातें

हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अदालतों को यह पता लगाने के लिए किसी आरोपी के पिछले जीवन की पड़ताल करनी चाहिए कि क्या उसका रिकॉर्ड खराब है और क्या वह जमानत पर रिहा होने पर गंभीर अपराधों को अंजाम दे सकता है? न्यायमूर्ति धनंजय वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एमआर शाह की खंडपीठ ने पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा हत्या और आपराधिक षड्यंत्र के आरोपों का सामना कर रहे एक व्यक्ति को दी गई जमानत को रद्द करते हुए यह टिप्पणियां कीं। पीठ ने कहा कि जमानत याचिकाओं पर फैसला करते हुए आरोप और सुबूत की प्रकृति भी अहम बिन्दु होते हैं। दोषसिद्धी के मामले में सजा की गंभीरता भी इस मुद्दे पर निर्भर करती है। अपने पहले के आदेशों का जिक्र करते हुए पीठ ने कहा कि जमानत से इंकार कर स्वतंत्रता से वंचित रखने का मकसद दंड देना नहीं है बल्कि यह न्याय के हितों पर आधारित है। न्यायालय ने कहाöजमानत के लिए आवेदन देने वाले व्यक्ति के पिछले जीवन के बारे में पड़ताल करना तार्किक है, यह पता लगाया जाए कि क्या उसका खराब रिकॉर्ड है, खासतौर पर ऐसा रिकॉर्ड जिससे यह संकेत मिले कि वह जमानत पर बाहर आने पर गंभीर अपराधों को अंजाम दे सकता है। सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश कितना सही साबित हुआ इसका उदाहरण हमें जल्द ही मिल गया। कोरोना की वजह से बेल पर आए बदमाश ने एक के बाद एक 52 चेन स्नैचिंग की वारदात कर डालीं। ज्यादातर वारदात द्वारका, पश्चिम और रोहिणी जिले में की गई हैं। बदमाश इतना शातिर है कि उसने यह सभी वारदातें एक बाइक के जरिये अंजाम दीं। इसके बावजूद वह कई दिनों तक पुलिस की पकड़ से बाहर रहा। हर चार-पांच वारदात के बाद वह बाइक का कलर स्टीकर लगवाकर चेंज करवा लेता था। द्वारका एएटीएस टीम ने बदमाश को राजस्थान के गूगामेड़ी से गिरफ्तार किया। डीसीपी संतोष कुमार मीणा ने बताया कि अर्जुन उर्फ गोपू पर कुल 26 मामले विभिन्न थानों में दर्ज हैं। अब तक गोपू 100 से अधिक चेन स्नैचिंग कर चुका है। 14 सितम्बर को पुलिस को गोपू के बारे में सूचना मिली। करीब 72 घंटे तक उसका पीछा किया गया। पुलिस को देखकर गोपू ने भागने की कोशिश की और वह खेतों में करीब दो किलोमीटर अंदर तक भाग गया, लेकिन पकड़ा गया। इसने जमानत के बाद बाहर आकर छह महीने में कर डाली स्नैचिंग की 52 वारदातें। सुप्रीम कोर्ट की हिदायत के मद्देनजर छोटी अदालतों को आरोपी का बैकग्राउंड चैक करके ही जमानत देनी चाहिए। इस पर थोड़ी-सी लापरवाही का फायदा गोपू जैसे अपराधी पूरा उठाते हैं।

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