Thursday, 23 September 2021

पंजाब के पहले दलित गैर जाट सिख मुख्यमंत्री

आखिर पंजाब कांग्रेस में काफी समय से चली आ रही खींचतान का पटाक्षेप शनिवार को कैप्टन अमरिंदर सिंह के मुख्यमंत्री पद से इस्तीफे के साथ हो गया। पंजाब में दो दिन की मशक्कत के बाद रविवार शाम को चरणजीत सिंह चन्नी (51) का नाम मुख्यमंत्री पद के लिए तय हो गया। कांग्रेस विधायक दल की बैठक में उनके नाम पर मुहर लग गई। रविवार को दिनभर सुखजिंदर सिंह रंधावा, सुनील जाखड़ और नवजोत सिंह सिद्धू के नाम पर चर्चा चलती रही। अंबिका सोनी के सीएम पद की पेशकश को ठुकराने की खबर भी आई। उन्होंने किसी सिख को ही मुख्यमंत्री बनाने की वकालत की। चमकौर साहिब विधानसभा सीट से विधायक चरणजीत सिंह चन्नी पंजाब सरकार में तकनीकी मंत्री रह चुके हैं। रामदसिया सिख समुदाय से ताल्लुक रखने वाले चन्नी वर्ष 2017 में 49 साल की उम्र में कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार में कैबिनेट मंत्री बने थे। वह पंजाब विधानसभा में विपक्ष के नेता भी रह चुके हैं। वहीं अमरिंदर सिंह ने बताया, मुझे पता चला कि कांग्रेस विधायक दल का नया नेता चुनने की बात हो रही है। तब मैंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को सुबह करीब 10 बजे फोन किया। मैंने कहा कि मेम यह सब क्या हो रहा है? मुझे लगता है कि मुझे इस्तीफा दे देना चाहिए। मैं आपको इस्तीफा भेज रहा हूं। इस पर सोनिया गांधी ने कहा कि आईएम सॉरी अमरिंदर आप अपना इस्तीफा दे सकते हैं। मैंने कहा, ओके मैम। उन्होंने कहा- सोनिया गांधी और उनके बच्चें के साथ निकटता के कारण उन्हें इस तरह से अपमानित किए जाने की उम्मीद नहीं थी। एक चिट्ठी में उन्होंने सोनिया को लिखा है कि पंजाब की बुनियादी चिंताओं को समझे बिना ही इस काम (नेतृत्व परिवर्तन) को अंजाम दिया गया है। अमरिंदर सिंह जैसे वरिष्ठ और अनुभवी नेता मुख्यमंत्री पद से ऐसी विदाई के बहरहाल हकदार नहीं थे, जिसने 2017 में विपरीत स्थिति में पंजाब में कांग्रेस को भारी बहुमत से जीत दिलाई। हालांकि मुख्यमंत्री बनने के बाद कैप्टन के रवैए से ही नहीं, जरूरी मुद्दों पर उनकी निष्क्रियता से भी उन पर सवाल उठने शुरू हो गए थे, चाहे वह चुनावी वादा पूरे न करना हो, अपने विधायकों मंत्रियों और नेताआंs से दूरी बनानी हो, बेरोजगारी और उद्योगों की बदहाली पर उनकी खामोशी और भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच उनकी चुप्पी हो। अकाली दौर में मुख्यमंत्री रहे विक्रम सिंह मजीठिया के ड्रग्स मामले की जांच की अपने ही विधायकों की मांग पर कुछ न करने से उन पर अकालियों से साठगांठ का आरोप भी लगा। पंजाब से शुरू हुआ किसान आंदोलन ने अमरिंदर सरकार की छवि पर असर डाला, तो प्रशांत किशोर के आंतरिक सर्वे ने यह निष्कर्ष निकाला कि कैप्टन के नेतृत्व में कांग्रेस पुन सत्ता में नहीं आ सकती। पंजाब में कांग्रेस ने चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बनाकर दलित कार्ड चला है। इसमें दोनों आप और भाजपा बैकफुट पर जरूर आ गई हैं। वैसे कांग्रेसी कार्यकर्ता इस बात से भी खुश हैं कि आखिरकार कांग्रेस नेतृत्व ने एक महत्वपूर्ण निर्णय ले लिया। निष्क्रिय पड़ा कांग्रेस हाई कमान एक्टिव हो रहा है। कांग्रेस ने भले ही अगले विधानसभा चुनाव को देखते हुए नेतृत्व परिवर्तन का यह जोखिम उठाया है पर पंजाब जैसे सीमांत प्रदेश में जिसकी सीमा पाकिस्तान से लगती हो ऐसा कोई भी कदम उठाने से बचना चाहिए, जिससे राजनीतिक अस्थिरता पैदा हो सकती है। चरणजीत सिंह चन्नी को बधाई। पर अब उनकी जिम्मेदारी होगी कि आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को पुन सत्ता में लाएं।

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