Thursday, 23 September 2021

अमेरिकी नागरिक काबुल में छिपने को मजबूर

अमेरिकी ग्रीन कार्ड धारक कैfिल्फोर्निया का यह जोड़ा अपने तीन छोटे बच्चों के साथ अफगानिस्तान की राजधानी काबुल में हर रात अलग-अलग घर में गुजारता है। दोनों वयस्क बारी-बारी से सोते हैं ताकि जब एक सो रहा हो तो दूसरा बच्चों पर नजर रखे और यदि तालिबान के लोगों के आने की आहट हो तो वहां से भाग सकें। दो हफ्ते में वह सात बार स्थान बदल चुके हैं और रहने व खाने के लिए अपने संबंधियों पर निर्भर हैं। उन्हें बेसब्री से इंतजार है एक कॉल का जिसमें कोई उन्हें अफगानिस्तान से निकालने में मदद करने की बात कहे। अमेरिकी विदेश विभाग के अधिकारी ने उन्हें कई दिन पहले फोन किया था और कहा था कि उनकी जिम्मेदारी एक व्यक्ति को दी गई है लेकिन उसके बाद से किसी ने उनसे संपर्क नहीं किया। अब यहां से निकलने के लिए वह एक अंतर्राष्ट्रीय बचाव संगठन के संपर्क में है। एसोसिएटिड प्रेस को भेजे संदेश में बच्चों की मां ने कहा-हम डरे हुए हैं और छिप कर रह रहे हैं। अफगानिस्तान से अमेरिकी सेना की वापसी के साथ अमेरिका के अनेक नागरिक, अमेरिका के स्थायी निवासी, ग्रीन कार्ड धारक, वीजा आवेदक समेत ऐसे कई लोग हैं जिन्हेंने 20 साल चले युद्ध में अमेरिकी सैनिकों की मदद की थी और वह अफगानिस्तान से नहीं निकल पाए हैं। ऐसे सभी लोगों से बात करने पर पता चला कि वह सत्तारूढ़ तालिबान से डरे हुए हैं। उन्हें ऐसा लगता है कि तालिबान के लोग उन्हें खोज लेंगे, जेल में डाल देंगे या फिर मार ही डालेंगे क्योंकि वह अमेरिकी हैं और उन्होंने अमेरिकी सरकार के लिए काम किया है। इन लोगों को चिंता है कि बाइडेन प्रशासन ने उन्हें निकालने के लिए प्रयास करने का तो वादा किया था, अब वह भी रुक गए है। हाल ही में अमेरिकी सेना की मदद करने वाले को हेलीकाप्टर से लटकाकर फांसी दी गई और काबुल में पहुंचाया था।

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