Friday 24 September 2021

आत्महत्या या हत्या?

अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि के आकस्मिक निधन की खबर से पुंभनगरी व प्रयागराज में शोक की लहर दौड़ गई। संत समाज ने परिषद अध्यक्ष के निधन पर जहां गहरा शोक व्यक्त किया है वहीं उनकी मौत की निष्पक्ष जांच की मांग की है। संतों का कहना है कि अखाड़ा परिषद अध्यक्ष के आत्महत्या कर लेने की बात पर उन्हें बिल्कुल भी यकीन नहीं हो रहा है, मौत की हकीकत सामने आनी चाहिए। बता दें कि अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत नरेंद्र गिरि की सोमवार को संदिग्ध हालात में मौत हो गई। बाघंबरी मठ के कमरे में फंदे पर उनका शव लटका मिला। मौके पर मिले सुसाइड नोट में शिष्य आनंद गिरि की प्रताड़ना से तंग आकर खुदकुशी की बात लिखी है। इसके बाद हरिद्वार से आनंद गिरि और प्रयागराज से बंधवा हनुमान मंदिर के पुजारी आद्या तिवारी व बेटे संदीप तिवारी को हिरासत में ले लिया गया है। मठ भी सील कर दिया गया है। महंत नरेंद्र गिरि बाघंबरी मठ के अध्यक्ष, निरंजनी अखाड़े के सचिव और बंधवा हनुमान मंदिर के बड़े हनुमंत भी थे। शिष्यों के मुताबिक रोज की तरह सोमवार दोपहर भी महंत ने शिष्यों के साथ बैठकर भोजन किया। फिर मठ परिसर में ही बने कमरे में यह कहते हुए चले गए कि वह आराम करने जा रहे हैं। आमतौर पर वह शाम चार बजे पदाधिकारियों के साथ चर्चा में बैठ जाते थे पर पांच बजे तक भी वह बाहर नहीं आए, तो सेवादार बबूल जगाने पहुंचा। देर तक आवाज देने पर भी बाहर नहीं आए तो उसने सुमित नामक शिष्य को बुलाया और दोनों ने धक्का देकर दरवाजा खोला, भीतर महंत फांसी पर लटके हुए थे। शोर मचाने पर बाकी शिष्य व पदाधिकारी भी पहुंच गए। उन्होंने शव को नीचे उतारा, तब तक उनकी मौत हो चुकी थी। प्रथम दृष्टया मामला खुदकुशी का लग रहा है। सूचना पर मैं (केपी सिंह, आईजी रेंज प्रयागराज) अन्य पुलिस अफसरों के संग मौके पर पहुंचा, तब तक शव नीचे उतारा जा चुका था। सुसाइड नोट मिला है। उसकी फोरेंसिक जांच कराई जाएगी। सुसाइड नोट में महंत जी ने आनंद गिरि को जिम्मेदार ठहराते हुए लिखा है कि मेरे लिए सम्मान सब कुछ है इसके बिना जीवन व्यर्थ है। अधिकारियों के अनुसार सुसाइड नोट वसीयतनामे की तरह लिखा है। महंत जी ने यह भी लिखा है कि किस शिष्य को क्या व कितना देना है। बाघंबरी मठ और निरंजनी अखाड़े की अकूत धन-सम्पदा का विवादों से पुराना रिश्ता है। सैकड़ों बीघा जमीन बेचने और सेवादारों के नाम प्रॉपर्टी खरीदने को लेकर महंत नरेंद्र गिरि व आनंद गिरि के बीच अरसे से विवाद चल रहा है। निरंजनी अखाड़े के मठ के दो महंतों की संदिग्ध मौतें पहले भी हो चुकी हैं। भूमि विवाद को लेकर राइफलें भी तन चुकी हैं। गुरु-शिष्य का विवाद मई में गौशाला भूमि की लीज निरस्त कराए जाने पर खुलकर सामने आया। आनंद को लीज पर दी इस जमीन पर पेट्रोल पम्प प्रस्तावित था। कुछ दिन बाद ही महंत नरेंद्र गिरि ने लीज निरस्त कर दी। आनंद का कहना थाöगुरु जी जमीन बेचना चाहते थे। विवाद इतना बढ़ गया कि अखाड़े और पद से आनंद को निष्कासित कर दिया गया। आनंद को हरिद्वार जाना पड़ा। हरिद्वार में भी आनंद के आश्रम को सील करवा दिया गया। उनके सुरक्षा गार्ड भी वापस ले लिए गए। महंत नरेंद्र गिरि ने आत्महत्या की या उनकी हत्या की गई? कई सवाल उठ रहे हैं। मामला खुदकुशी का है, तो क्या बड़ा कारण था कि महंत ने ऐसा आत्मघाती कदम उठाया? आत्महत्या से पहले क्या उनकी ऐसी मनोदशा थी कि इतना लंबा सुसाइड नोट लिख सकें? सुसाइड नोट में आनंद गिरि का भी नाम है, तो क्या आनंद उन्हें परेशान कर रहे थे? पुलिस के आने से पहले शिष्यों ने दरवाजा क्यों तोड़ा? शव भी फंदे से उतार लिया? पुलिस ने निर्देशित क्यों नहीं किया कि फोरेंसिक टीम पहुंचने से पहले शव को न छुआ जाए?

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