Tuesday, 28 September 2021

शूटआउट एट रोहिणी कोर्ट

दिल्ली की रोहिणी जिला अदालत के भीतर हुई गैंगवार और पुलिस फायरिंग की घटना स्तब्ध कर देने वाली तो है ही, लेकिन हाल के वर्षों में राजधानी और उसके आसपास जिस तरह से आपराधिक गुटों के बीच हिंसक प्रतिद्वंद्विता बढ़ी है, उसे देखकर अप्रत्याशित नहीं है। यह घटना अपराधियों के बढ़ते मनोबल को भी रेखांकित करती है। शुक्रवार दोपहर रोहिणी कोर्ट में पेशी के लिए लाए गए गैंगस्टर जितेंद्र मान उर्प गोगी की गोली मारकर हत्या कर दी गई। यह मामला उस वक्त हुआ जब गोगी की पेशी एएसजे गगनदीप सिंह के कोर्ट में हो रही थी। स्पेशल सेल द्वारा दोपहर करीब एक बजे गोगी को कोर्ट रूम में लाया गया। उस वक्त दो बदमाश यूपी बागवत निवासी राहुल और बक्करवाला निवासी जगदीश उर्प जग्गा कोर्ट रूम में वकील बनकर बैठे हुए थे, जिन्होंने गोगी को देखते ही उस पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी। अफरातफरी के बीच स्पेशल सेल की टीम के अलावा थर्ड बटालियन की टीम ने भी एके-47 से गोलियां चलाईं। कोर्ट रूम के अंदर हुए इस शूटआउट के दौरान पुलिस ने दोनों बदमाशों को मौके पर ढेर कर दिया। घायल और अचेत हालत में गोगी को नजदीकी अस्पताल में लाया गया, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। बताया जाता है कि कोर्ट परिसर के इस शूटआउट में मची भगदड़ में एक महिला वकील भी जख्मी हो गईं। हालांकि आधिकारिक तौर पर इसकी पुष्टि नहीं हो सकी। पुलिस अधिकारी ने बताया कि तिहाड़ जेल में बंद गोगी को दिल्ली पुलिस द्वारा कोर्ट में पेशी के लिए लाया गया था। कोर्ट में वकील की ड्रेस में पहले से ही दोनों बदमाश मौजूद थे। पुलिस ने बताया कि गैंगस्टर गोगी की पेशी के दौरान सुरक्षा की दृष्टि से उक्त कोर्ट रूम को पहले से खाली करवा लिया गया था। कोर्ट रूम में सिर्प जज, जज के कर्मचारी, वकीलों और पुलिस टीम के अलावा किसी को प्रवेश नहीं करने दिया गया था। यही कारण है कि बदमाशों की फायरिंग के बाद में पुलिस फायरिंग में सिर्प तीन लोगों की मौत हुई। वरना सामान्य परिस्थिति में और भी लोगों की जान जा सकती थी। रोहिणी कोर्ट नम्बर 207 में वकील की ड्रेस पहने पहले से ही मौजूद थे दोनों बदमाश। जिन्होंने गोगी को देखते ही फायरिंग शुरू कर दी। इस फायरिंग में गोगी को करीब आठ गोलियां लगीं जिससे मौके पर ही उसकी मौत हो गई। फायरिंग के बाद दोनों बदमाश उस गेट से निकलने की कोशिश करने लगे, जिस गेट से जज कोर्ट रूम में आते हैं। कोर्ट में स्पेशल सेल के साथ ही थर्ड बटालियन के कमांडो ने बदमाशों पर फायरिंग शुरू कर दी पर पुलिस ने उन्हें मार गिराया। कुल मिलाकर जज महोदय के सामने ही लगभग 40 राउंड फायर हुए। ताजा घटना में अदालत लेकर गए पुलिस दस्ते को इस बात की आशंका जरूर रही होगी कि कोई अनहोनी घटना हो सकती है, इसलिए वह हथियारबंद होकर गए थे और हमलावरों को मार गिराने में सफल हुए। इस मामले में यह दिल्ली पुलिस की बड़ी कामयाबी कही जा सकती है। मगर उसके सामने यह चुनौतियां तो हैं ही कि ऐsसे बदमाशों में वह कैसे खौफ पैदा कर अपराध पर अंकुश लगा सके। पिछले कुछ दिनों से दिल्ली में अपराधियों का मनोबल बहुत बढ़ गया है। यह जमीनों पर कब्जा कराने, सुपारी लेकर हत्या करने जैसी घटनाओं को बेखौफ होकर अंजाम देते रहते हैं। इस पर अंकुश लगाना अत्यावश्यक है। बलात्कार, छेड़खानी, रंगदारी करने वाले भी भय नहीं खाते। पुलिस की सफलता इस बात में मानी जाएगी कि वह अपराधियों के मन में भय पैदा कर सके।

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