Thursday 30 September 2021

नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई निर्णायक चरण में

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने रविवार को नक्सल प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से इस समस्या के समाधान के लिए प्राथमिकता देने का आग्रह किया ताकि एक साल के भीतर इस खतरे को खत्म किया जा सके। उन्होंने नक्सलियों तक धन के प्रवाह को रोकने के लिए एक संयुक्त रणनीति बनाने को कहा। एक आधिकारिक बयान में कहा गया है कि 10 नक्सल प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों, राज्य के मंत्रियों और शीर्ष अधिकारियों को संबोधित करते हुए गृहमंत्री ने कहा कि नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई अब अंतिम चरण में पहुंच गई है तथा इसे तेज और निर्णायक बनाने की जरूरत है। शाह ने कहा कि वामपंथी उग्रवाद (एलडब्ल्यूई) हिंसा के कारण मरने वालों की संख्या एक साल में घटकर 200 हो गई है। इस बैठक में छह मुख्यमंत्रियों और चार अन्य राज्यों के शीर्ष अधिकारियों ने भाग लिया। लगभग तीन घंटे तक चली बैठक के दौरान माओवादियों के मुख्य संगठनों के खिलाफ कार्रवाई, सुरक्षा के क्षेत्र में खालीपन को भरने और प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) एवं राज्य पुलिस द्वारा ठोस कार्रवाई जैसे अन्य अहम मुद्दों पर चर्चा की गई। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री वाईएस जगमोहन रेड्डी और केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन बैठक में शामिल नहीं हुए, लेकिन इन चार राज्यों का प्रतिनिधित्व वहां के वरिष्ठ अधिकारियों ने किया। सूत्रों ने बताया कि बैठक में नक्सलियों के खिलाफ अभियान तेज करने, सुरक्षा के क्षेत्र में पैदा हुए खालीपन को भरने, चरमपंथियों को मिलने वाली आर्थिक मदद का प्रवाह रोकने और ईडी, एनआईए और राज्य पुलिस द्वारा ठोस कार्रवाई किए जाने पर चर्चा की गई। बैठक में नक्सली मामलों की जांच करने और अभियोग चलाने, नक्सलियों से जुड़े मुख्य संगठनों के खिलाफ कार्रवाई, राज्यों के बीच समन्वय, राज्य खुफिया शाखाओं और राज्यों के विशेष बलों का क्षमता निर्माण और मजबूत पुलिस थानों के निर्माण पर चर्चा की गई। गृहमंत्री ने मुख्यमंत्रियों और अधिकारियों के साथ मिलकर नक्सल प्रभावित इलाकों में सुरक्षा स्थिति और माओवादियों के खिलाफ चल रहे अभियानों तक विकास परियोजनाओं की समीक्षा की। अमित शाह ने इन राज्यों की जरूरतों, उग्रवादियों से निपटने के लिए तैनात बलों की संख्या, नक्सल प्रभावित इलाकों में किए जा रहे सड़कों, पुलों, विद्यालयों और स्वास्थ्य केंद्रों के निर्माण जैसे विकास कार्यों का जायजा लिया। केंद्रीय गृह मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक देश में माओवादी हिंसा में काफी कमी आई है और यह खतरा अब लगभग 45 जिलों में है। हालांकि देश के कुल 90 जिलों को माओवादी प्रभावित माना जाता है और यह मंत्रालय की सुरक्षा संबंधी व्यय (एमआरई) योजना के अंतर्गत आते हैं। नक्सल समस्या को वामपंथी (एलडब्ल्यूई) भी कहा जाता है। यह समस्या 2019 में 61 जिलों में देखी गई। देश में 2015 से 2020 तक वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में विभिन्न हिंसात्मक गतिविधियों के कारण लगभग 380 सुरक्षा कर्मी, 1000 असैन्य नागरिक और 900 नक्सली मारे गए हैं। आंकड़ों में कहा गया है कि इसी अवधि में 4200 नक्सलियों ने आत्मसमर्पण भी किया है। हम उम्मीद करते हैं कि अब गृहमंत्री अमित शाह ने खुद इनीशिएटिव लिया है तो इस ज्वलंत समस्या का जरूर कोई हल निकलेगा।

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