Thursday, 30 March 2023
बर्खास्तगी विदेशी मीडिया की नजरों में
कांग्रोस नेता राहुल गांधी की संसद सदस्यता रद्द होने को लेकर प्रातिव््िरायाओं का दौर जारी है। आपराधिक मानहानि के इस मामले में सूरत की एक अदालत ने राहुल को दो साल जेल की सुजा सुनाईं जिसके बाद उनकी लोकसभा सदस्यता रद्द हो गईं है। राहुल गांधी ने इस मुद्दे पर अपनी बात रखी और कहा कि मामला कोर्ट का है और इस बारे में यहां कोईं बात नहीं करूंगा। हालांकि उन्होंने प्राधानमंत्री नरेंद्र मोदी और अडाणी समूह के बीच संबंधों का मुद्दा उठाया और कईं सवाल पूछे। राहुल गांधी ने आरोप लगाया—मेरी सदस्यता रद्द की गईं क्योंकि पीएम मेरे अगले (संभावित) भाषण से डरे हुए थे। वो उस अगली स्पीच से डरे हुए थे जो अडाणी पर होने वाली थी। राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता रद्द होने के मुद्दे पर विदेशी मीडिया ने भी कमेंट किया है। ब्रिटिश अखबार द गार्जियन ने शीर्षक दिया है—मानहानि मामले में भारतीय विपक्षी नेता संसद से निष्कासित। अखबार लिखता है कि भारत के विपक्षी नेता राहुल गांधी को मानहानि मामले में सजा मिलने के 24 घंटे के बाद संसद से निष्कासित कर दिया गया। राहुल तुरन्त जेल नहीं जाएंगे, क्योंकि उन्हें जमानत मिल चुकी है। अगर उच्च न्यायालय उनकी सजा पर स्टे लगा देता है तो वो लोकसभा सदस्यता के लिए फिर से योग्य हो जाएंगे। अखबार ने राजनीतिक मामलों के शोधकर्ता आसिम अली के हवाले से लिखा है कि वो भाजपा के राहुल गांधी पर ध्यान वेंद्रित करने से हैरान हैं। मुझे नहीं समझ आ रहा है कि यह वैसी रणनीति है, क्योंकि इससे राहुल और कांग्रोस को ही फायदा हो सकता है। भाजपा राहुल से असुरक्षित है और इससे कांग्रोस की यह बात साबित होती है कि सरकार मोदी की आलोचना बर्दाश्त नहीं कर सकती। अमेरिकी अखबार न्यूयॉर्व टाइम्स ने शीर्षक दिया है—राहुल गांधी को संसद से निष्कासित करके मोदी को भारत की बहु-संप्रादाय की परंपरा को खत्म करने वाला हिन्दू राष्ट्रवादी नेता बताया था जो देश के लोकतंत्र को खत्म कर सकता है। शुव््रावार को मोदी के सहयोगियों ने उनका यह काम पूरा कर दिया। अखबार के मुताबिक पीएम मोदी के संभावित प्रातिद्वंद्वियों को मात देने के लिए उनके सहयोगियों ने यह सबसे बड़ा कदम उठाया है और विरोध की आवाज के खिलाफ कार्रवाईं की है। वाशिंगटन पोस्ट लिखता है—भारत ने मोदी के आलोचक राहुल गांधी को संसद से निकाला। वो हाल के महीनों में भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाकर और मोदी सरकार पर भारत के लोकतंत्र की छवि बिगाड़ने का आरोप लगाकर मतदाताओं को लुभाने की कोशिश करते रहे हैं। पिछले साल राहुल गांधी ने एक लोकप््िराय एकता मार्च निकाला था और मोदी सरकार पर देश को बांटने का आरोप लगाया था। विपक्ष पीएम मोदी की राजनीतिक पाटा (भाजपा) को हाल के सालों में मुसलमानों और अन्य अल्पसंख्यकों के खिलाफ हेट स्पीच और हिसा बढ़ाने का दोषी मानते हैं। हालांकि भाजपा इन आरोपों से इंकार करती है और उनके समर्थक कहते हैं कि गुजरात से एक चाय बेचने वाले के बेटे ने देश की स्थिति में सुधार किया है।
——अनिल नरेन्द्र
सदस्यता जाने के बाद कांग्रोस की पहली परीक्षा
कांग्रोस नेता राहुल गांधी की लोकसभा सदस्यता रद्द होने के साथ ही 2024 के चुनावों में विपक्षी एकता का खाका खींचना शुरू हो गया है।पहला राजनीतिक मोर्चा अगले माह होने वाला कर्नाटक का विधानसभा चुनाव होगा। इस घटना के बाद बदलने वाले राजनीतिक समीकरण और आने वाले नतीजों का असर भविष्य की सियासी रणनीति पर भी पड़ेगा।कर्नाटक में भाजपा और कांग्रोस के बीच चुनाव-प्राचार का एक अहम मुद्दा होगा राहुल की संसद से बर्खास्तगी। कांग्रोस ने कर्नाटक में अभी तक विधानसभा की 124 सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। बची हुईं सीटों पर उम्मीदवारों की घोषणा पाटा जल्द करेगी। कोशिश यह है कि जेडीएस के साथ भले ही अनौपचारिक समझौता हो, लेकिन इसकी पहल होनी चाहिए। इस बातचीत की कमान खुद राहुल गांधी और प््िरायंका गांधी ने संभाली हुईं है। मल्लिकार्जुन खड़गे और सोनिया गांधी इस काम में उनकी मदद कर रहे हैं। यह भी माना जा रहा है कि चुनाव आयोग जल्द ही केरल में वायनाड लोकसभा क्षेत्र में चुनाव की घोषणा कर देगा।यह सीट राहुल गांधी की सदस्यता रद्द होने से खाली हुईं है। पाटा में इस बात पर भी दबाव है कि वायनाड से प््िरायंका गांधी को उम्मीदवार बनाया जाए। हालांकि इस पर कोईं पैसला नहीं हुआ है। यह निर्णय अधिसूचना आने के बाद ही होगा। कांग्रोस के रणनीतिकारों का कहना है कि विपक्षी एकता हमेशा परिस्थितिजन्य होती है। अब इसकी पूरी भूमिका बन चुकी है। कांग्रोस के लिए जो पार्टियां समस्या हैं, उनमें तेलंगाना की बीआरएस, अरविन्द केजरीवाल की आम आदमी पाटा और ममता बनजा की तृणमूल कांग्रोस प्रामुख हैं। लेकिन पिछले दो दिनों में बीआरएस ने अपने रुख में काफी बदलाव दिखाया है, क्योंकि बीआरएस नेता और सीएम के. चंद्रशेखर राव की बेटी के. कविता को भी दिल्ली शराब घोटाले में ईंडी ने पूछताछ के लिए बुलाया था। आम आदमी पाटा के नेता मनीष सिसोदिया और सत्येन्द्र जैन भी सीबीआईं और ईंडी के पंदे में पंसे हुए हैं। आम आदमी पाटा के संयोजक अरविन्द केजरीवाल ने राहुल गांधी की सदस्यता रद्द करने पर भाजपा और प्राधानमंत्री के खिलाफ जितना आव््रामक बयान दिया, उससे कांग्रोस में काफी उत्साह है। इसी तरह तृणमूल कांग्रोस नेता ममता बनजा के भतीजे अभिषेक और उनकी पत्नी भी ईंडी के दफ्तरों के चक्कर लगा रहे हैं। इन तीनों दलों के अलावा आरजेडी के लालू प्रासाद यादव, राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव और मीसा भारती, एनसीपी की सुप््िराया सुले, शिवसेना के संजय राउत जैसे तमाम नेताओं पर अलग-अलग एजेंसियों ने केस दर्ज कर रखे हैं। कांग्रोस का मानना है कि भाजपा इन मामलों का इस्तेमाल विपक्ष की एकता तोड़ने के लिए कर सकती है।लेकिन ज्यादातर नेताओं ने भरोसा दिलाया है कि इस एकता को अब तोड़ना मुश्किल है। कर्नाटक का चुनाव कईं दृष्टि से अहम है। राहुल गांधी की सदस्यता रद्द होने के बाद कांग्रोस की यह पहली परीक्षा होगी।
Tuesday, 28 March 2023
योगी ने बनाया रिकॉर्ड
उत्तर प्रादेश में लगातार छह वर्ष तक मुख्यमंत्री पद पर रहने का नया रिकॉर्ड बनाने के बाद योगी आदित्यनाथ ने रविवार सुबह अयोध्या पहुंचकर हनुमानगढ़ी में संकट मोचन हनुमान जी और रामलल्ला के दर्शन-पूजन किए तथा आरती एवं परिव््रामा की। उत्तर प्रादेश में 2017 के विधानसभा चुनाव में पूर्ण बहुमत हासिल करने के बाद भारतीय जनता पाटा (भाजपा) ने गोरखनाथ मठ के महंत योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में सरकार बनाईं थी और योगी ने 19 मार्च 2017 को पहली बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी। 2022 के विधानसभा चुनाव में भाजपा को दोबारा बहुमत मिलने के बाद योगी ने 25 मार्च 2022 को पुन: मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। योगी ने छह वर्ष का कार्यंकाल पूरा होने की वर्षगांठ और राज्य में लगातार सर्वाधिक समय तक मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड बनाने पर रविवार को सुबह अयोध्या पहुंचकर सबसे पहले हनुमानगढ़ी के दर्शन-पूजन किए। संकट मोचन हनुमान जी के दर्शन पर योगी आदित्यनाथ ने सुखी-स्वस्थ उत्तर प्रादेश की कामना की। इसके बाद मुख्यमंत्री ने रामलल्ला के दर्शन-पूजन किए और आरती एवं परिव््रामा की। उन्होंने राम मंदिर निर्माण की प्रागति भी जानी। इसके पहले अयोध्या पहुंचने पर रामकथा हैलीपेड पर मुख्यमंत्री को सलामी दी गईं। लखनऊ में शनिवार को एक समारोह में रक्षामंत्री राजनाथ सिह ने मुख्यमंत्री के रूप में योगी आदित्यनाथ के कार्यंकाल के छह वर्ष पूरा होने पर कहा—शायद आप लोगों को इस बात की जानकारी नहीं होगी कि आज की तारीख और दिन हम सबके लिए बहुत महत्वपूर्ण है। उत्तर प्रादेशवासियों के लिए भी आज का दिन बहुत महत्वपूर्ण है क्योंकि उत्तर प्रादेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज ही के दिन अपने मुख्यमंत्री कार्यंकाल के छह वर्ष को पूरा कर रहे हैं। रक्षामंत्री ने कहा—मैं कह सकता हूं कि आज तक इतने लंबे समय तक (राज्य) में कोईं मुख्यमंत्री नहीं रहा है। डॉक्टर संपूर्णानंद जी अब तक के सबसे अधिक समय तक रहने वाले मुख्यमंत्री थे, लेकिन उनके रिकॉर्ड को किसी ने तोड़ा है तो वह हैं योगी आदित्यनाथ जी। दिसम्बर 1954 को पहली बार उत्तर प्रादेश के मुख्यमंत्री के रूप में शपथ ली और उनका कार्यंकाल नौ अप्रौल 1957 तक रहा। डॉक्टर संपूर्णानंद ने दोबारा 10 अप्रौल 1957 को मुख्यमंत्री की शपथ ली और छह दिसम्बर 1960 तक वह इस पद पर बने रहे। हम योगी आदित्यनाथ जी को इस रिकॉर्ड बनाने के लिए बधाईं देते हैं और हमें उम्मीद ही नहीं, यकीन है कि अभी उनकी पारी लंबी है। इसी तरह उत्तर प्रादेश का विकास करते रहें, माफियाओं की सफाईं करते रहें।
——अनिल नरेन्द्र
देश में लोकतंत्र के लिए प्रोस की आजादी जरूरी
अलग-अलग विचारों का सम्मान करने की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए भारत के प्राधान न्यायाधीश डीवाईं चंद्रचूड़ ने बुधवार को कहा ि़क असहमति को घृणा में नहीं बदलना चाहिए और घृणा को हिसा में बदलने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए। नईं दिल्ली में रामनाथ गोयनका उत्वृष्ट पत्रकारिता सम्मान समारोह के 16वें संस्करण में प्राधान न्यायाधीश चंद्रचूड़ मुख्य अतिथि थे। उन्होंने कहा कि हमारे देश के साथ-साथ दुनियाभर के कईं पत्रकार कठिन और प्रातिवूल परिस्थितियों में काम करते हैं। लेकिन प्रातिवूल परिस्थितियों और विरोध का सामना करते हुए वे अडिग रहते हैं।
यह ठीक वैसा गुण है जिसे गंवाना नहीं जाना चाहिए। उन्होंने कहा नागरिकों के रूप में हो सकता है कि हम उस दृष्टिकोण से सहमत न हों, जो किसी पत्रकार ने अपनाया हो या जिस निष्कर्ष पर वे पहुंचे हैं। मैं भी खुद को कईं दफा पत्रकारों से असहमत पाता हूं, आखिरकार हम में से कौन अन्य सभी लोगों से सहमत हैं? लेकिन असहमति को घृणा में नहीं बदलना चाहिए और नफरत को हिसा में तब्दील नहीं होना चाहिए। लोकतंत्र के लिए स्वतंत्र प्रोस के महत्व पर प्राकाश डालते हुए प्राधान न्यायाधीश ने कहा कि मीडिया राज्य की अवधारणा में चौथा स्तम्भ है और इस प्राकार लोकतंत्र का एक अभिन्न घटक है। एक कार्यांत्मक और स्वस्थ लोकतंत्र को एक ऐसी संस्था के रूप में पत्रकारिता के विकास को प्राोत्साहित करना चाहिए जो सत्ता प्रातिष्ठान से कठिन प्राश्न पूछ सके या जैसा कि आमतौर पर जाना जाता है, सत्ता से सच बोलें। किसी भी लोकतंत्र की जीवंतता से समझौता तब किया जाता है जब प्रोस को ऐसा करने से रोका जाता है। अगर किसी देश को लोकतांत्रिक बने रहना है तो प्रोस को स्वतंत्र रहना होगा। उन्होंने कहा कि जिम्मेदार पत्रकारिता सच्चाईं की किरण है जो हमें बेहतर कल की ओर ले जाती है। यह इंजन है जो सच्चाईं, न्याय और समानता की खोज के आधार पर लोकतंत्र को आगे बढ़ाता है। डिजिटल युग की चुनौतियों के दौर में पत्रकारों के लिए अपनी रिपोर्टिग में सटीकता, निष्पक्षता और जिम्मेदारी के मानकों को बनाए रखना पहले से अधिक महत्वपूर्ण है। प्राधान न्यायाधीश को धन्यवाद देते हुए द इंडियन एक्सप्रोस के प्राधान संपादक राज कमल झा ने कहा कि स्वतंत्र प्रोस के लिए आपके दृष्टिकोण और चेतावनियों से हमारा यह भरोसा पुख्ता होता है कि सुप्रीम कोर्ट पत्रकारों और पत्रकारिता के लिए ध्रुव तारा बना रहेगा। उन्होंने कहा कि साल दर साल एक के बाद एक मामले उस ध्रुव तारे ने आगे की राह को रोशन किया है और अदालतें हमारी आजादी को विस्तारित करने के लिए सत्ता पर दबाव बनाती है। यही कारण है कि जब रोशनी मंद होती है.. जब एक रिपोर्टर को आतंवादियों के लिए बने कानून के तहत गिरफ्तार किया जाता है।अन्य किसी सवाल पूछने के लिए एक कार्टून बनाने के लिए जेल में डाल दिया जाता है तब हम ध्रुव तारे की ओर देखते हैं, हमें रोशनी मिलती है।
Thursday, 23 March 2023
सवाल संसद में गतिरोध खत्म करने का
कांग्रोस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश ने शनिवार को कहा कि संसद में गतिरोध को खत्म करने के लिए कोईं बीच का रास्ता नहीं है। क्योंकि अडाणी समूह से जुड़े मामलों में संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के गठन की विपक्ष की मांग पर कोईं समझौता नहीं हो सकता और राहुल गांधी के माफी मांगने का सवाल ही नहीं उठता। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार विपक्ष के 16 दलों के जेपीसी की मांग करने से बौखला गईं है, इसलिए वह 3डी अभियान : डिस्टार्ट (विवृत करना), डिपेम (बदनाम करना) और डायवर्ट करना (ध्यान भटकाना) में लगी है। रमेश ने आरोप लगाया कि विपक्ष की जेपीसी के गठन की मांग से ध्यान भटकाने के लिए भारतीय जनता पाटा राहुल गांधी से माफी की मांग कर रही है, जबकि राहुल गांधी ने ऐसा वुछ नहीं कहा है, जैसा कि सत्तापक्ष बता रही है। उनके इस बयान से एक दिन पहले वेंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शुव््रावार को कहा था कि अगर विपक्ष वार्ता के लिए आगे आए, तो संसद में जारी मौजूदा गतिरोध को दूर किया जा सकता है। अमित शाह ने कहा कि अगर विपक्ष दो कदम आगे बढ़ाए तो सरकार उससे भी दो कदम आगे बढ़ेगी। यह पूछे जाने पर कि संसद में गतिरोध खत्म करने के लिए कोईं बीच का रास्ता निकल सकता है, तो कांग्रोस महासचिव ने कहा कि मैं कोईं बीच का रास्ता नहीं देखता, क्योंकि जेपीसी की हमारी मांग को लेकर कोईं समझौता नहीं हो सकता तथा (राहुल गांधी) की माफी का भी सवाल नहीं उठता। उन्होंने कहा कि जेपीसी से जुड़ी विपक्ष की वाजिब मांग से ध्यान भटकाने के लिए भाजपा माफी की मांग कर रही है, लेकिन माफी किसलिए मांगे? उन्होंने ऐसा वुछ नहीं कहा है। मुझे लगता है कि 16 विपक्षी पार्टियों ने मिलकर जेपीसी की मांग की है। उससे सरकार बौखला गईं है और इसलिए उन्होंने 3डी दुष्प्राचार अभियान शुरू किया है। रमेश ने दावा किया कि प्राधानमंत्री ने चीन, जापान, दक्षिण कोरिया और वुछ अन्य देशों में भारत के विपक्ष की आलोचना की और राजनीतिक मुद्दे विदेशों में उठाए। उन्होंने कहा कि अगर किसी को माफी मांगनी चाहिए तो प्राधानमंत्री को मांगनी चाहिए।
उन्होंने आरोप लगाया कि संसद में विपक्ष को बोलने नहीं दिया जाता लेकिन गतिरोध के लिए विपक्ष को जिम्मेदार ठहराने का प्रायास होता है, ताकि हमारी छवि खराब की जाए। कांग्रोस ने अडाणी विवाद से जुड़ी किसी तरह की गड़बड़ी की शिकायत सुप्रीम कोर्ट की ओर से गठित जांच समिति से करने के गृहमंत्री अमित शाह के तर्को को खारिज करते हुए आरोप लगाया कि उनका बयान अडाणी समूह को बचाने का प्रायास है। रमेश के अनुसार गृहमंत्री का बयान देश को गुमराह करने वाला है। हम अडाणी के हैं कौन श्रृंखला की 32वीं किश्त के तहत रमेश ने शनिवार को सरकार पर तीन सवाल दागे। हमें तो अभी गतिरोध समाप्त होने की ज्यादा उम्मीद नजर नहीं आती। वैसे आमतौर पर सदन चलाना सरकार की जिम्मेदारी होती है।
——अनिल नरेन्द्र
एक बार फिर आमने-सामने
हैं। मैं उनकी धारणा का सम्मान करता हूं उनके मन में सम्मान है। उन्होंने यह भी लेना है, इसको लेकर सरकार की ओर से जज के रूप में अपने 23 वर्षो में मुझे किसी किस तरह से पैसला लेना है। चुनाव प्रामाण है कि न्यायपालिका पर कोईं दबाव अध्यक्षता कर रहे किसी सहकमा से बात मामले में क्या चल रहा है। वुछ रेखाएं खींचते हैं। यह हमारी ट्रेनिंग का हिस्सा है।
करोड़ मामले लंबित होने की चुनौतियों के सच है कि मामलों की एक बड़ी संख्या है, अदालतों में आना लोगों के विश्वास को दिखाता ोलिग के मुद्दे पर जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा प्राभावित नहीं होना ज्यादा अहम है। मैं लगता है कि हमारे लिए यह अहम है कि से प्राभावित न हों। मुझे लगता है कि तकनीक नहीं है, यह इस समय का हिस्सा अदालत में कहे जाने वाले हर शब्द का यह हम पर भी भारी बोझ डालता है।
Tuesday, 21 March 2023
निशाने पर सुप्रीम कोर्ट
महाराष्ट्र की महाविकास अघाड़ी (एमवीए) सरकार गिरने में राज्यपाल की भूमिका पर पिछले दिनों की गईं कठोर टिप्पणी के बाद जिस तरह से देश के मुख्य न्यायाधीश और सुप्रीम कोर्ट को ट्रोल किया जाने लगा है, वह न केवल दुखद है पर हैरत में डालने वाला भी है। सोशल मीडिया पर चला यह अभियान इतना गंभीर था कि सांसदों के एक ग्राुप ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू से मुलाकात कर उनसे दखल देने का आग्राह किया। चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाईं चंद्रचूड़ की ऑनलाइन ट्रोलिंग के मामले में 13 विपक्षी दलों के नेताओं ने राष्ट्रपति को पत्र लिखा है। न्याय के रास्ते में हस्तक्षेप का आरोप लगाते हुए नेताओं ने इस मामले में राष्ट्रपति से तुरन्त एक्शन लेने की मांग की है। राष्ट्रपति को लिखे पत्र में विपक्षी दलों ने कहा—हम सभी जानते हैं कि भारत के सीजेआईं डीवाईं चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक पीठ महाराष्ट्र में सरकार गठन और राज्यपाल की भूमिका के मामले में एक महत्वपूर्ण संवैधानिक मुद्दे पर सुनवाईं कर रही है। पत्र में कहा गया है कि मामला न्यायाधीन है। इस बीच महाराष्ट्र में सत्ताधारी पाटा के हित के लिए संभावित रूप से सहानुभूति रखने वाली ट्रोल आमा ने भारत के सीजेआईं के खिलाफ एक आव््रामकता दिखाईं है। पत्र में कहा गया है कि शब्द और सामग्री गंदी और निदनीय है, जिसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लाखों लोगों ने देखा है। पत्र कांग्रोस सांसद विवेक तन्खा द्वारा लिखा गया है और पाटा के सांसद दिग्विजय सिह, शक्ति सिह सहगल, प्रामोद तिवारी, रंजीत रंजन, इमरान प्रातापगढ़ी, आम आदमी पाटा के राघव चड्ढा, शिवसेना (यूबीटी) सदस्य प््िरायंका चतुव्रेदी और समाजवादी पाटा की जया बच्चन व राम गोपाल यादव द्वारा समर्थित है। तन्खा ने इसी मुद्दे पर भारत के महान्यायवादी वेंकटरमण को भी अलग से लिखा है। पत्र में आरोप लगाया गया है कि महाराष्ट्र के पूर्व राज्यपाल भगत सिह कोशियारी की शक्ति परीक्षण के लिए कॉल करने की कार्यंवाही की वैधता से संबंधित एक मामले की सुनवाईं के बाद ऑनलाइन ट्रोल्स ने सीजेआईं और न्यायपालिका पर हमला शुरू किया है। राज्यपाल के पद के कथित दुरुपयोग के मामले अकसर सामने आते रहते हैं। अतीत में भी ऐसे मुद्दे उठते रहे हैं लेकिन पिछले वुछ समय से इसकी तीव्रता असामान्य रूप से बढ़ गईं है। तमिलनाडु, केरल, राजस्थान, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, पािम बंगाल सबकी शिकायत है कि राज्यपाल कार्यांलय का व्यवहार ऐसा है जिससे राज्य सरकार का कामकाज प्राभावित हो रहा है। दिल्ली का उदाहरण भी हमारे सामने है।
——अनिल नरेन्द्र
मुझे संसद में बोलने का मौका मिले
कांग्रोस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी में लंदन ने दिए उनके भाषण पर संसद में जारी सत्तापक्ष के संग्राम पर पलटवार करते हुए कहा कि संसद में अडाणी मुद्दे पर उनके उठाए गए सवालों से भटकाने के लिए सरकार की ओर से यह तमाशा किया जा रहा है। उन्होंने साफ शब्दों में कहा—मैं एक सांसद हूं और मेरे ऊपर संसद में आरोप लगे हैं। मैं संसद में ही आरोपों का जवाब दूंगा। यदि देश में लोकतंत्र है तो मुझे सदन में बोलने का मौका मिलेगा। लंदन से लौटे राहुल गुरुवार को लोकसभा पहुंचे, मगर सदन तत्काल स्थगित कर दिया गया। उसके बाद उन्होंने लोकसभा में कांग्रोस के नेता अधीर रंजन चौधरी के साथ जाकर लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से मुलाकात की और अपना पक्ष रखने के लिए समय देने का अनुरोध किया। बाद में पत्रकारों से बातचीत में उन्होंने कहा—मैंने स्पीकर से अनुरोध किया है कि सरकार के चार-चार मंत्रियों ने मुझ पर जो आरोप लगाए हैं, सांसद होने के नाते मेरा अधिकार है कि मैं सदन में इसका जवाब दूं। स्पीकर ने मेरी बातें सुनीं, पर कोईं स्पष्ट आश्वासन नहीं मिला। हालांकि मैंने आस नहीं छोड़ी है। शायद मुझे बोलने का मौका मिले। राहुल ने यह भी कहा कि उन्होंने लंदन में वुछ भी भारत विरोधी बात नहीं कही है। संसद में गतिरोध को लेकर राहुल ने कहा—यह पूरी कसरत ध्यान भटकाने के लिए है। असल में सरकार अडाणी मुद्दे पर डरी हुईं है, इसलिए यह पूरा तमाशा रचा गया है। उधर स्पीकर ओम बिरला पूरे हंगामे से सख्त नाराज हो गए। शुव््रावार को जैसे ही कार्यंवाही आरंभ हुईं राहुल गांधी को बोलने देने की मांग करते हुए कांग्रोस के कईं सांसद बेल में आ गए। इसके बाद सत्तापक्ष के लोगों ने भी राहुल के लंदन में दिए बयानों को लेकर माफी की मांग करते हुए अपनी सीटों पर ही हंगामा करना शुरू कर दिया। करीब 20 मिनट चले हंगामे के दौरान अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा—मैं सभी को बोलने का मौका दूंगा, लेकिन सिर्प तभी जब सदन में व्यवस्था बनी रहेगी। सांसदों ने उनकी अपील अनसुनी कर दी। इसके बाद पूरे दिन के लिए सदन स्थगित कर दिया गया। वहीं कांग्रोस नेताओं का आरोप है कि लोकसभा में कार्यंवाही के दौरान जानबूझ कर संसद टीवी पर सीधे प्रासारण की आवाज रोक दी गईं। कांग्रोस का कहना है कि ऑडियो म्यूट कर संसद में आवाजें दबाईं गईं हैं, जो लोकतंत्र के लिए खतरा है। वहीं लोकसभा सचिवालय ने इसके पीछे तकनीकी गड़बड़ी का हवाला दिया है। कांग्रोस के महासचिव जयराम रमेश ने ट्वीट किया—सत्तापक्ष के हंगामे के बीच विपक्षी सदस्यों ने पाटा के सांसद राहुल गांधी को बोलने देने की मांग उठाईं।
मगर इस कार्यंवाही के प्रासारण के दौरान अचानक आवाज बंद हो गईं। लोकतंत्र में यह वैसी व्यवस्था है? राहुल गांधी पर सत्तापक्ष के मंत्रियों ने गंभीर आरोप लगाए हैं, हमारा मानना है कि राहुल को अपना पक्ष रखने का मौका मिलना चाहिए। अगर हमारे देश में लोकतंत्र मजबूत है तो सभी को अपना पक्ष रखने का मौका मिलना चाहिए।
Thursday, 16 March 2023
सरकार की आलोचना पर एंकर हटाया
बीबीसी यानि ब्रिटिश ब्रॉडकास्टिंग कारपोरेशन अब अभिव्यक्ति की आजादी पर घिर गया है। दरअसल बीबीसी के पुटबॉल खेल के मुख्य एंकर और इंग्लैंड के पूर्व पुटबॉलर गैरी लिनेकर ने प्राधानमंत्री त्रषि सुनक सरकार की प्रावासी नीति की आलोचना की तो बीबीसी ने उन्हें बाहर का रास्ता दिखा दिया। इस पैसले के विरोध में बीबीसी के साथी एंकरों ने भी काम करने से इंकार कर दिया। विवाद इस कदर बढ़ा कि बीबीसी को शनिवार को अपने स्पेशल प्राोग्राम का प्रासारण रद्द करना पड़ा। रविवार को भी हालात जस के तस रहे। उधर प्रावासी नीति के बचाव में खुद ब्रिटेश प्राधानमंत्री सुनक सामने आए। उन्होंने यह भी उम्मीद जताईं कि एंकर और बीबीसी के मैच विवाद को सुलझा लिया जाएगा। साथ ही बीबीसी के डायरेक्टर जनरल टिम डेवी के इस्तीपे की मांग तेज हो गईं है। डेवी ने इस्तीफा देने से साफ इंकार कर दिया है। लेकिन प्रासारण में रुकावट के लिए माफी मांगी। क्या है मामला : मैच ऑफ द डे के एंकर गैरी लिनेकर ने ट्वीट कर ब्रिटिश गृहमंत्री सुएला बेबरमैन की प्रावासी नीति की आलोचना की थी, लिनेकर ने इसकी तुलना 1930 में जर्मनी में हिटलर के शसान से की थी। इस पर गृहमंत्री ने भी आपत्ति जताईं थी। इसके बाद बीबीसी ने मामले की पूरी जांच होने तक उन्हें कार्यंव््राम से हटा दिया। बीबीसी के पैसले से नाराज गैरी के बाकी साथियों के साथ ही मैच ऑफ द डे के एक्सपट्र्स ने भी इस शो का बॉयकाट किया। शनिवार को पहली बार बिना एंकर और एक्सट्र्स के यह प्रासारित हुआ। ब्रिटेन के प्राधानमंत्री त्रषि सुनक ने कहा कि सरकार अपनी पॉलिसी पर अडिग है। इस पॉलिसी के तहत नया विधेयक आना है। इसमें इंग्लिश चैनल के रास्ते नावों से आने वाले अवैध शरणार्थियों पर रोक लगाने की तैयारी है। इसे लेकर सरकार को विरोध झेलना पड़ रहा है। बीबीसी के डायरेक्टर जनरल टिम डेवी ने कहा कि हम हर हाल में समस्या का समाधान निकालने की कोशिश कर रहे हैं। सफलता तभी मिलेगी जब हम गैरी को शो में वापस ला पाएंगे। इधर भारत के सूचना और प्रासारण मंत्री अनुराग ठावुर ने बीबीसी की पत्रकारिता की स्वतंत्रता पर सवाल उठाया है। उन्होंने गैरी लिनेकर को बाहर करने की खबरों को सोशल मीडिया पर शेयर करते हुए बीबीसी पर कटाक्ष किया। ठावुर ने ट्वीट किया—यह देखना दिलचस्प है कि पत्रकारिता की निष्पक्षता और स्वतंत्रता के बारे में बुलंद दावे करने वाले बीबीसी ने अपने स्टार एंकर को उनकी सोशल मीडिया की एक्टिविटी को लेकर सस्पैंड कर दिया। उन्होंने लिखा—दिलचस्प यह भी है कि बीबीसी ने समाज के एक वर्ग के नाराज होने के डर से अपनी डॉक्यूमेंट्री के प्रासारण को भी रोक दिया। मनगढ़ंत तथ्यों के जरिये दुष्प्राचार करने वालों से नैतिक समझ या पत्रकारिता की आजादी के लिए खड़े होने की उम्मीद नहीं की जा सकती। खबर आईं है कि लिनेकर की सेवा बहाल कर दी गईं है।
——अनिल नरेन्द्र
छापे क्या भाजपा की चुनावी रणनीति का हिस्सा हैं?
आम आदमी पाटा से लेकर राजद समेत दूसरे विपक्षी दलों के नेताओं के खिलाफ प्रावर्तन निदेशालय और आयकर विभाग, सीबीआईं की कार्रवाइयां भाजपा की चुनावी महत्वाकांक्षा से जुड़ी हो सकती हैं। अंग्रोजी अखबार द टेलीग्राफ में प्राकाशित खबर के मुताबिक भाजपा से जुड़े सूत्र मानते हैं कि यह कार्रवाईं आगामी आम चुनाव के लिए पाटा की तैयारियों से जुड़ी हो सकती हैं। राजनीतिक विश्लेषक भी यही मानते हैं कि 2024 के लोकसभा चुनाव तक यह उथल-पुथल जारी रहेगी, विपक्षियों पर रेड जारी रहेगी।
भारतीय जनता पाटा से जुड़े सूत्रों के मुताबिक भाजपा साल 2024 में चार सौ (400) से ज्यादा सीटें जीतना चाहती है जिसके लिए उसे विपक्ष को छिन्न-भिन्न और खारिज करना होगा। सूत्रों का कहना है कि पीएम मोदी लगातार तीसरी बार चुनाव जीतकर न सिर्प भारत के पहले प्राधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के रिकॉर्ड की बराबरी करना चाहते हैं, बल्कि जीत के अंतर के लिहाज से भी उनसे आगे निकलना चाहते हैं। भाजपा के वेंद्रीय नेतृत्व ने बताया कि पिछले आम चुनाव में भाजपा ने 543 सीटों में से 303 सीटों पर जीत दर्ज की थी। वहीं उसके घटक दलों ने 50 सीटें जीती थीं। अखबार से बात करते हुए एक भाजपा नेता ने बताया कि साल 1962 में नेहरू ने 494 सीटों वाली लोकसभा में 361 सीटें जीती थीं।
हमारा लक्ष्य इससे आगे निकलने का है। हालांकि भाजपा के चुनावी रणनीतिकार मानते हैं कि भाजपा आगामी चुनाव में चार सौ सीटें हासिल करना तो दूर पिछला प्रादर्शन सुधारना ही चुनौती भरा काम होगा। भाजपा के आंतरिक आकलन के मुताबिक पिछले आम चुनावों के बाद से पीएम मोदी की लोकप््िरायता और साख दोनों में ही बढ़त हुईं है। लेकिन पाटा मानती है कि जीत के अंतर को पहले से बढ़ाने के लिए इतना काफी नहीं होगा। भाजपा के पास सहयोगियों के नाम पर अब बड़े नाम नहीं हैं। जनता दल यूनाइटेड और अकाली दल उनसे पहले ही किनारा कर चुके हैं और शिवसेना दो धड़ों में बंट चुकी है। भाजपा के एक नेता ने कहा कि पिछली बार से ज्यादा सीटें जीतने के लिए यह जरूरी है कि विपक्ष को पूरी तरह खंडित, अव्यवस्थित और अपमानित करना होगा। भाजपा नेता ने बताया कि इस देश की जनता समझती है कि कांग्रोस और ज्यादातर क्षेत्रीय दल भ्रष्ट हैं। मोदी ने स्वतंत्रता दिवस के मौके पर भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग छेड़ने का ऐलान किया था और अब इस दिशा में कदम उठाए जा रहे हैं। भाजपा प्रावक्ता गौरव भाटिया ने बीते रविवार को बिहार के मुख्यमंत्री का नाम लेते हुए कहा कि नीतीश वुमार जी, क्या आपने नहीं कहा था कि लालू यादव, तेजस्वी और राबड़ी देवी के खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप हैं, मामले हैं और उनके खिलाफ कार्रवाईं होनी चाहिए। एक राजद नेता ने कहा कि भाजपा न सिर्प विपक्ष को विभाजित करना चाहती है बल्कि अपने विपक्षियों को आर्थिक रूप से भी पंगु करना चाहती है। सभी जानते हैं कि चुनाव में पैसे की जरूरत होती है।
Tuesday, 14 March 2023
चीन से परेशान हैं उसके पड़ोसी
चीन के प्राधानमंत्री ली केचियांग ने बीते रविवार चीनी संसद का वार्षिक सत्र शुरू होने पर चीन के रक्षा बजट को बढ़ाने का ऐलान किया है। इस बढ़ोतरी के बाद चीन अपनी सेना पर 225 अरब डॉलर खर्च करेगा। यह पिछले साल किए गए खर्च की तुलना में 7.2 प्रातिशत ज्यादा है। अंग्रोजी अखबार ‘इंडियन एक्सप्रोस’ में छपी खबर के मुताबिक केचियांग ने इस ऐलान के साथ ही चीन के लिए बढ़ते विदेशी खतरों की ओर भी इशारा किया है? चीन का रक्षा बजट अब भी अमेरिका की तुलना में काफी कम है। पर इसके बावजूद चीन अमेरिका को आंखें दिखाने से बाज नहीं आता।
दोनों देशों में इतनी तनातनी बढ़ गईं है कि आने वाले दिनों में जंग तक की नौबत आ सकती है। भारत से तो चीन के बिगड़ते रिश्ते किसी से छिपे नहीं। लद्दाख में चीनी घुसपैठ की खबरें आए दिन आती रहती हैं। चीन साल 2000 के बाद से अपनी सेना को आधुनिक बनाने और उसे विस्तार देने की योजना पर काम कर रहा है। ताइवान के राष्ट्रीय रक्षा एवं सुरक्षा शोध संस्थान से जुड़े विश्लेषक जू युनसकहते हैं कि चीन की ओर से रक्षा बजट पर किया जा रहा खर्च बताता है कि वह खुद को एक विशाल थल सेना से आगे बढ़कर एक महान नौसेना बनाना चाहता है। वह कहते हैं—ताइवान स्टेट, दक्षिण चीन सागर और पूवा चीन सागर जैसे क्षेत्रों में सबसे पहले चीनी सेना का विस्तार देखने को मिलेगा। इसके बाद चीन अपनी नजरें द्वीपों की दूसरी श्रृंखला पर लगाएगा। द्वीपों के साथ-साथ ग्वाम और माइव््राोनेशिया जैसे द्वीप शामिल हैं। जापान और दक्षिण कोरिया से लेकर फिलीपींस तक तमाम देश चीन के बढ़ते प्राभाव को लेकर चिंतित है। इन देशों ने अपने प्राति बढ़ते खतरे को ध्यान में रखते हुए रक्षा बजट में बढ़ोतरी के साथ-साथ अपनी सैन्य क्षमताओं में विकास करना भी शुरू कर दिया है। जापान ने आगामी वर्ष के लिए अपनी सेना पर 51.7 अरब डॉलर खर्च करने का पैसला किया है। दक्षिण कोरिया चीन की बढ़ती सैन्य शक्ति को लेकर चिंतित है। लेकिन दक्षिण कोरिया की हालिया चिंता का विषय उत्तर कोरिया है। पिछले वुछ महीनों में उत्तर कोरिया ने आव््रामकता में भारी इजाफा किया है। चीन की बढ़ती शक्ति ताइवान के लिए सबसे बड़ी चिंता का विषय है। शीर्ष अमेरिकी अधिकारी कईं बार चेतावनी दे चुके हैं कि चीन आने वाले वुछ सालों में ताइवान पर हमला कर सकता है।
यही नहीं चीन कईं बार धमकी दे चुका है कि ताइवान चीन का हिस्सा है जिसे वह लेकर ही रहेंगे। पिछले वुछ महीनों से चीन और फिलीपींस के बीच भी तनाव बढ़ता हुआ देखा गया है। फिलीपींस ने दक्षिण चीन सागर में चीनी गतिविधियों को लेकर दर्जनों शिकायतें दर्ज कराईं हैं। चीन जहां इस पूरे क्षेत्र पर दावा करता है, वहीं फिलीपींस, वियतनाम, मलेशिया और ब्रूनेईं इस जल क्षेत्र के अलग-अलग हिस्सों पर दावा करते हैं।
फिलीपींस के राष्ट्रपति फर्नडिनांड मार्कोस जूनियर ने कहा है कि उनका देश एक इंच भूभाग भी अपना दावा नहीं छोड़ेगा। उनकी सरकार ने अमेरिका के साथ अपने सैन्य संबंध मजबूत करते हुए चार नए ठिकाने बनाने की अनुमति दी है। चीन की विस्तारवादी नीति से सभी परेशान हैं।
——अनिल नरेन्द्र
आमने-सामने
आम आदमी पाटा (आप) ने तिहाड़ जेल में पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की सुरक्षा को लेकर चिंता जताईं है और आरोप लगाया कि उन्हें खूंखार अपराधियों के साथ रखा जा रहा है। हालांकि जेल अधिकारियों ने इस आरोप को खारिज कर दिया है। सांसद संजय सिह ने आरोप लगाया कि सिसोदिया को जेल में विपश्यना प्राकोष्ठ में रखने से इंकार कर दिया गया है तथा उन्हें अन्य आरोपियों के साथ रखा गया है। आप ने आरोप लगाया कि सिसोदिया को वेंद्रीय एजेंसियों ने मानसिक रूप से प्रातािड़त किया और फिर उन्हें खतरनाक रिकॉर्ड वाले अपराधियों के साथ तिहाड़ जेल संख्या एक में रखा गया है। उन पर उन कागजों पर दस्तख्त करने का दबाव भी बनाया जा रहा है, जिसमें उनके खिलाफ झूठे आरोप लगाए गए हैं। जेल अफसरों ने आरोप को बेबुनियाद बताया है। एक बयान में कहा कि पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की सुरक्षा को दिमाग में रखते हुए उन्हें एक अलग वार्ड में रखा गया है। वार्ड में बहुत कम वैदी हैं, जो वुख्यात अपराधी की श्रेणी में नहीं हैं और उनका अच्छा आचरण है। जेल के अधिकारियों के अनुसार अलग कोठरी होने से उनके लिए बिना अवरोध के ध्यान लगाना या अन्य ऐसी गतिविधियां करना संभव है। अधिकारी ने कहा कि उनकी सुरक्षा के लिए जेल नियमों के अनुसार सभी बंदोबस्त किए गए हैं। उन्हें जेल में रखने के लिए किसी भी तरह के आरोप बेबुनियाद हैं।
Friday, 10 March 2023
उलझते जा रहे हैं हालात
इस सम्पादकीय और पूर्व के अन्य संपादकीय देखने के लिए अपने इंटरनेट/ब्राउजर की एड्रेस बार में टाइप करें पूूज्://हग्त्हाह्ंत्दु.ंत्दुेज्दू.म्दस् पंजाब के हालात इस कदर उलझते जा रहे हैं कि आने वाले दिनों में न केवल राज्य बल्कि पूरे देश की शांति और अमन-चैन के लिए खतरा बन सकता है। एक तरफ पंजाब दे वारिस संगठन का प्रामुख अमृतपाल सिह खालिस्तान की मांग को खुलेआम हवा दे रहा है, दूसरी ओर सिखों की सर्वोच्च संस्था अकाल तख्त और जनरैल सिह भिडरावाले के संगठन दमदमी टकसाल ने अमृतपाल सिह के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। राज्य के राजनीतिक दल शिरोमणि अकाली दल बादल, भारतीय जनता पाटा और कांग्रोस अजनाला कांड को लेकर अमृतपाल सिह के खिलाफ कार्रवाईं करने की मांग को लेकर राज्य की भगवंत मान सरकार पर दबाव डाल रहे हैं। पंजाब में होला मोहल्ला के अवसर पर आनंदपुर साहिब और अन्य धार्मिक स्थलों पर मंच सज चुके हैं तो दूसरी तरफ अमृतसर में जी-20 के दो सम्मेलनों की तैयारी की जा रही है। सुरक्षा एवं खुफिया सूत्रों को ऐसे इनपुट मिले हैं कि खालिस्तानी समर्थक इस दौरान राज्य में गड़बड़ी पैला सकते हैं। गड़बड़ी की आशंका को लेकर संभव है कि जी-20 के अमृतसर कार्यंव््रामों पर भी असर पड़े। विदेश में बैठा तेजवंत सिह पन्नू लगातार इन कार्यंव््रामों में खालिस्तानी झंडे फहराने का ऐलान कर चुका है। गृह मंत्रालय पंजाब की स्थिति पर पैनी नजर रखे हुए है। पूरे पंजाब में अमृतपाल सिह के उभरने की चर्चा जोरों पर है कि दो-तीन साल पहले तक दुबईं में रह रहे एक क्लीन शेव युवक अपनी रोजी-रोटी कमा रहा था, वह अचानक खालिस्तानी आंदोलन का केशधारी विचारक वैसे बन गया? उनके संगठन की पंडिंग को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं, उसके पीछे जो भी ताकत हो, यह बहुत खतरनाक संकेत हैं। पंजाब की राजनीति पर छह दशकों से पैनी नजर रखने वाले वरिष्ठ पत्रकार जीएस चावला का कहना है कि पंजाब के तार इतने उलझे हुए हैं कि यहां कभी भी वुछ भी हो सकता है। अजनाला कांड और बंदी सिखों की रिहाईं के लिए लगाए गए मोच्रे के दौरान जिस तरीके से पुलिस पर हमला किया गया और पुलिस को पीछे हटना पड़ा था, वह राज्य के लिए अच्छे संकेत नहीं हैं। भारत की खुफिया एजेंसी रॉ के पूर्व चीफ और वरिष्ठ अनुभवी पुलिस अधिकारी एएस दुल्लत का कहना है कि हालात वुछ इस तरह के हैं कि पंजाब को 80 के दशक की तरह एक और उथल-पुथल का सामना करना पड़ सकता है। इतिहास बताता है कि 80 के दशक में भिडरावाले की सत्ता कांग्रोस के दो बड़े नेताओं और मुख्यमंत्री ज्ञानी जैल सिह और दरबारा सिह के बीच झगड़े से प्रोरित थी। एक ने अपने प्रातिद्वंद्वी और शिरोमणि अकाली दल का प्राभाव खत्म करने के लिए भिडरावाले का इस्तेमाल किया। जब भिडरावाले ने खालिस्तान की मांग को आगे बढ़ाया और राज्य में हिन्दुओं की हत्याएं की जाने लगीं तो संघर्ष को नियंत्रित करने में बहुत समय लग गया। राज्य में नशीली दवाओं और लोकप््िराय गायक मूसेवाला की हत्या के बाद जेल में गैंगवार में दो आरोपियों की हत्या पंजाब में लगातार टारगेट किलिंग की घटनाओं से संकेत मिलता है कि राज्य अशांति की ओर बढ़ रहा है।
——अनिल नरेन्द्र
ईंरानी छात्राओं को जहर दिया जा रहा है?
एक हजार से ज्यादा ईंरानी छात्र पिछले तीन महीनों में बीमार हुए हैं। इन छात्रों में ज्यादातर स्वूली छात्राएं शामिल हैं। छात्रों के बीमार होने के पीछे संभवत: जहरीली गैस की खबरें आ रही हैं। क्या है जो इतनी बड़ी संख्या में छात्रों को बीमार कर रहा है। बुधवार को ईंरान में कम से कम 26 स्वूलों में दर्जनों लड़कियां कथित तौर पर बीमार पड़ गईं, जिसके बाद इस मामले ने तूल पकड़ लिया है। बीमार होने वालों में एक जैसे लक्षण दिखाईं दे रहे हैं। छात्राओं को सांस लेने में परेशानी, मचली, चक्कर आना और थकान का सामना करना पड़ रहा है। सवाल यह है कि इन मामलों के पीछे वजह क्या है? और यह मामला पूरे ईंरान में वैसे पैल गया? ईंरान में लड़कियों पर कौन कर रहा गैस से हमला? पहला मामला ईंरान के कोम शहर से आया, जहां एक स्वूल में 18 छात्राएं बीमार पड़ गईं। छात्राओं को 30 नवम्बर को अस्पताल ले जाया गया।
तब से स्थानीय मीडिया के अनुसार आठ प्रांतों में कम से कम 58 स्वूलों में ऐसे मामले दर्ज किए गए हैं। प्राइमरी और उच्च स्वूलों में ज्यादातर मामलों में लड़कियां शामिल हैं। हालांकि लड़कों और शिक्षकों के भी बीमार होने की वुछ खबरें सामने आईं हैं। बीबीसी ने सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए दर्जनों वीडियो का विश्लेषण किया है और जिन स्वूलों में वीडियो बनाईं गईं है, उनका सत्यापन भी किया है। इन वीडियोज में कईं युवा लोगों को परेशानी का सामना करते हुए देखा जा सकता है, वहीं वुछ में छात्रों को एंबुलेंस की मदद से अस्पताल ले जाया जा रहा है, तो वुछ बिस्तर पर लेटे हुए हैं। वुछ वीडियो में एंबुलेंस आते हुए और स्वूल के बाहर जमा भीड़ भी दिखाईं दे रही है। तेहरान के पास शहरयार के एक स्वूल की छात्रा ने कहा कि उसे और उसके दोस्तों को वुछ अजीब-सी गंध आ रही थी। उन्होंने बीबीसी फारसी को बताया, यह गंध बहुत बेकार थी, जैसे कोईं सड़ा हुआ फल होता है, लेकिन यह गंध बहुत तेज थी। छात्रा ने बताया कि अगले ही दिन कईं छात्र बीमार पड़ गए और स्वूल नहीं आए। हमारे इंग्लिश के टीचर भी बीमार पड़ गए थे। उन्होंने कहा—जब मैं घर गईं, मुझे चक्कर आ रहे थे और मैं खुद को बीमार महसूस कर रही थी, मेरी मां बहुत परेशान थी क्योंकि मैं बहुत पीली पड़ चुकी थी और मुश्किल से सांस ले रही थी। किस्मत से मैं जल्द ही ठीक हो गईं। हमारे स्वूल के ज्यादातर बच्चे 24 घंटे में ठीक हो गए। जब दूसरे स्वूलों से भी इस तरह की खबरें आईं तो हमारे स्वूल की प््िरांसिपल और सीनियर टीचर डर गए थे। उन्होंने हमें कहा कि जो वुछ हुआ है उसकी बाहर जाकर बात न करें।
छात्रों के बीमार होने के पीछे सरकारी एजेंसियां अलग-अलग कारण बता रही है। वहीं ईंरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईंसी ने असल कारणों की जांच करने का आदेश दिए हैं। ईंरान में कईं लोगों का मानना है कि लड़कियों के स्वूलों को बंद करने की कोशिश के तहत छात्रों को जानबूझ कर जहर दिया जा रहा है। जो सितम्बर से सरकार विरोधी प्रादर्शनों के वेंद्रों में से एक रहा है। ईंरान में लड़कों के लिए अलग स्वूल हैं और लड़कियों के लिए अलग। वुछ छात्रों और अभिभावकों का मानना है कि हाल ही में सरकार विरोधी प्रादर्शनों में भाग लेने के कारण स्वूली छात्राओं को टारगेट किया जा रहा है।लेकिन बीमार होने के कारणों का अभी तक साफ पता नहीं लगा है।
Tuesday, 7 March 2023
भाजपा विधायक पुत्र से छह करोड़ बरामद
कर्नाटक के लोकायुक्त अधिकारियों ने भाजपा के विधायक मदाल विरुपक्षप्पा के बेटे प्राशांत वुमार के घर से छह करोड़ रुपए से अधिक की बेहिसाब नकदी बरामद की है। इससे पहले प्राशांत को 40 लाख रुपए की रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। बेटे पर इस कार्रवाईं के बाद भाजपा विधायक ने कर्नाटक साबुन और डिटर्जेट लिमिटेड (केएसडीएल) के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया है। हालांकि उन्होंने दावा किया कि भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसी की ओर से की गईं छापेमारी उनके और उनके परिवार के खिलाफ एक साजिश है। मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मईं ने मामले की निष्पक्ष जांच कराने का वादा किया है। बेंगलुरु जल आपूर्ति और सीवरेज बोर्ड के मुख्य लेखा अधिकारी प्राशांत को गुरुवार शाम केएसडीएल कार्यांलय में एक ठेकेदार से कथित तौर पर 40 लाख रुपए की रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा गया था। जाल में पंसने के वुछ घंटों के भीतर लोकायुक्त अधिकारियों की एक टीम ने प्राशांत के घर पर भी छापेमारी की और बेहिसाब नकदी बरामद की। लोकायुक्त सूत्रों के अनुसार दावणगेरे जिले के चन्नागिरी से विधायक विरुपक्षप्पा केएसडीएल के अध्यक्ष हैं और प्राशांत कथित रूप से अपने पिता की ओर से रिश्वत की पहली किश्त ले रहे थे।
आरोप है कि प्राशांत ने एक टेंडर के सिलसिले में 80 लाख रुपए रिश्वत की मांग की थी। सूत्रों ने कहा कि अब भाजपा विधायक से पूछताछ की तैयारी है। विरुपक्षप्पा ने शुव््रावार को इस पद से इस्तीफा देते हुए मुख्यमंत्री को भेजे अपने त्याग पत्र में कहा कि मेरे और पुत्र के घर लोकायुक्त अधिकारियों के छापे के बीच कोईं संबंध नहीं है। इसके बावजूद चूंकि मेरे खिलाफ आरोप लगाया गया है, तो मैं नैतिक जिम्मेदारी ले रहा हूं और केएसडीएल अध्यक्ष के पद से अपना इस्तीफा सौंप रहा हूं। कर्नाटक के लोकायुक्त जस्टिस (सेवानिवृत्त) वीएस पाटिल ने शुव््रावार को कहा कि केएसडीएल कार्यांलय से 2.02 करोड़ रुपए और प्राशांत के घर से 6.1 करोड़ रुपए बरामद किए गए हैं। उन्होंने कहा (प्राशांत सहित) पांच लोगों को पकड़ा गया है और उनको हिरासत में ले लिया गया है। वहीं गिरफ्तारी पर मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मईं ने कहा कि लोकायुक्त पुलिस की ओर से जाल बिछाया जाना इस बात का सुबूत है कि पिछली कांग्रोस सरकार के उलट मौजूदा सरकार ने भ्रष्टाचार रोकने के लिए लोकायुक्त को पुनजावित किया है। बोम्मईं ने कहा कि पिछली कांग्रोस सरकार ने अपने गलत कार्यो की लीपापोती के लिए लोकायुक्त संस्थान के अलावा एक अलग भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) बनाया था। स्वतंत्र लोकायुक्त संस्था निष्पक्ष जांच करेगी। कर्नाटक में विधानसभा चुनाव जल्द होने वाले हैं। चुनाव से ठीक पहले भाजपा विधायक व उनके पुत्र के भ्रष्टाचार में पूरी तरह लिप्त होने पर पाटा की छवि को कितना प्राभावित करेगा। यह किसी से छिपा नहीं कि कर्नाटक भाजपा के लिए कितना महत्वपूर्ण राज्य है। देखें, कितना डैमेज वंट्रोल कर पाते हैं।
——अनिल नरेन्द्र
भ्रष्टाचार बना कैंसर
उच्चतम न्यायालय ने कहा है कि पैसों की भूख ने भ्रष्टाचार को कैंसर की तरह पनपने में मदद की है। सुप्रीम कोर्ट ने छत्तीसगढ़ की भारतीय जनता पाटा (भाजपा) नीत पूर्ववता रमन सिह सरकार के प्राधान सचिव रहे अमन वुमार सिह और उनकी पत्नी के खिलाफ आय के ज्ञात रत्रोत से अधिक सम्पत्ति के मामले में दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने के उच्च न्यायालय के पैसले को रद्द करते हुए उक्त टिप्पणी की। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि पैसों की कभी तृप्ति न होने वाली भूख ने भ्रष्टाचार को कैंसर जैसा बना दिया है।सभी संविधानिक अदालतों को भ्रष्टाचार के प्राति शून्य सहनशीलता दिखानी होगी और इसमें लिप्त सभी अपराधियों पर कड़ी कार्रवाईं करनी चाहिए।यह देश की जनता के प्राति अदालतों का कर्तव्य है। शीर्ष अदालत के इस पैसले के साथ ही सिह और उनकी पत्नी के खिलाफ मुकदमा चलाने का रास्ता साफ हो गया है। न्यायालय ने कहा कि संविधान के तहत स्थापित अदालतों को देश के लोगों के प्राति कर्तव्य है कि वह दिखाएं कि भ्रष्टाचार को कतईं बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। साथ ही वह अपराध करने वालों के खिलाफ कड़ी कार्रवाईं भी करें। न्यायमूर्ति एस. रवीन्द्र भट और न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता की पीठ ने उच्च न्यायालय के आदेश को रद्द करते हुए कहा कि संविधान की प्रास्तावना में धन का समान वितरण कर भारत में लोगों के लिए सामाजिक न्याय सुनिाित करने का वादा किया गया है। जिसे पूरा करने में भ्रष्टाचार एक बड़ी बाधा है। गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने आय के ज्ञात रत्रोतों से अधिक सम्पत्ति अर्जित करने के आरोप में राज्य के पूर्व प्राधान सचिव अमन सिह और उनकी पत्नी के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को निरस्त करते हुए कहा था कि मामला दर्ज करना कानून की प्राव््िराया का दुरुपयोग का और आरोप प्राथम दृष्ट्या संभावनाओं पर आधारित थे। बाद में नवम्बर 2022 में वह कारपोरेट कस्टोडियन एंड कारपोरेट अपेयर्स प्रामुख के रूप में अडाणी समूह से जुड़े। बाद में जब अडाणी समूह ने समाचार चैनल एनडीटीवी को खरीदा तो सिह चैनल के बोर्ड के सदस्यों के रूप में नियुक्त किए गए। पीठ ने कहा—यह पूरे समुदाय के लिए शर्म की बात है कि हमारे संविधान निर्माताओं के मन में जो ऊंचे आदर्श थे, उनका पालन करने में लगातार गिरावट आ रही है और समाज में नैतिक मूल्यों का ह्रास तेजी से बढ़ रहा है। पीठ ने कहा कि भ्रष्टाचार की जड़ का पता लगाने के लिए अधिक बहस की आवश्यकता है। माननीय सुप्रीम कोर्ट ने सही ही कहा है कि भ्रष्टाचार वैंसर की तरह पैलता जा रहा है। पिछले वुछ वर्षो में उम्मीद की जाती थी कि वेंद्र सरकार की सख्ती की वजह से भ्रष्टाचार में गिरावट आएगी पर हो इससे उल्टा रहा है। आज कोईं भी काम भ्रष्टाचार के बिना नहीं होता। रिश्वत का स्तर भी सख्ती के साथ बढ़ता चला जा रहा है और सबसे ज्यादा भ्रष्टाचार दुख से कहना पड़ता है कि सरकारी कामों में हो रहा है। यह दुख की बात है कि भाजपा के तत्कालीन मुख्यमंत्री के प्राधान सचिव भ्रष्टाचार केस में पंस गए हैं।
Thursday, 2 March 2023
अडाणी की गिरती साख
सिर्प एक महीने पहले गौतम अडाणी की गिनती दुनिया के तीसरे नम्बर के सबसे अमीर शख्स के रूप में होती थी लेकिन अमेरिकी रिसर्च फर्म हिडनबर्ग की नकारात्मक रिपोर्ट आने के बाद उनकी अगुवाईं वाले समूह के शेयरों में इस कदर बिकवाली हुईं कि अब वह सबसे अमीर लोगों की सूची में 30वें स्थान पर आ गए हैं। अडाणी की सम्पत्ति में गिरावट आने के साथ ही रिलायंस इंडस्ट्रीज के चेयरमैन मुकेश अंबानी फिर से देश के 10वें सबसे अमीर शख्स हैं। बंदरगाह, हवाईं अड्डा, खादृा तेल, बिजली, सीमेंट और डेटा वेंद्र जैसे तमाम क्षेत्रों में कारोबारी दखल रखने वाले अडाणी समूह के शेयरों में बीते एक महीने में भारी बिकवाली हुईं। आंकड़ों के मुताबिक अडाणी समूह की 10 वंपनियों के सम्मिलित बाजार मूल्यांकन में इस दौरान 12.06 लाख करोड़ की बड़ी गिरवट आईं है। हिडनबर्ग रिसर्च की रिपोर्ट 24 जनवरी को जारी की गईं थी जिसमें अडाणी समूहों पर शेयर के दाम बढ़ाने में हेरापेरी और फजा विदेशी वंपनियों का इस्तेमाल करने के गंभीर आरोप लगाए गए थे। हालांकि अडाणी समूह ने इन आरोपों को झूठा एवं आधारहीन बताते हुए उन्हें खारिज कर दिया था। अडाणी समूह की तरफ से दिए गए तमाम स्पष्टीकरण के बाद भी इसके शेयरों में गिरावट का सिलसिला लगातार जारी है। सर्वाधिक नुकसान अडाणी टोटल गैस लिमिटेड को हुआ है जिसके बाजार मूल्यांकन में 80.68 प्रातिशत की बड़ी गिरावट हो चुकी है। इसी तरह अडाणी ग्रीन एनजा का मूल्यांकन 74.62 प्रातिशत घट गया है। अडाणी ट्रांसमिशन के बाजार मूल्य में 24 जनवरी से अब तक 74.21 प्रातिशत की गिरावट आईं है। वहीं अडाणी एंटरप्राइजेज का मूल्यांकन करीब 62 प्रातिशत तक गिर चुका है। अडाणी पॉवर और अडाणी विल्मर के अलावा इसकी सीमेंट वंपनियों—अम्बूजा सीमेंट्स एवं एसीसी के बाजार पूंजीकरण में भी इस दौरान गिरावट दर्ज की गईं है। इसके साथ ही मीडिया वंपनी एनडीटीवी और अडाणी पोट्र्स एंड एसईंएजेड को भी मूल्यांकन में खासा नुकसान हुआ है। अगर गौतम अडाणी की व्यक्तिगत पूंजी की बात करें तो उनका मूल्यांकन 120 अरब डॉलर से घटकर 40 अरब डॉलर (3317.02 अरब रुपए) से भी कम रह गया है। इस तरह उनके व्यक्तिगत मूल्यांकन में 80 अरब डॉलर (6634.04) अरब रुपए यानि दो-तिहाईं की गिरावट आ चुकी है। यह गिरावट लगातार जारी है। हालांकि अडाणी को बचाने के लिए सरकार ने पूरी ताकत लगा दी है। इतना सब वुछ होने के बावजूद गौतम अडाणी के खिलाफ कोईं सरकारी एजेंसी किसी भी प्राकार की जांच नहीं कर रही पर वहीं स्टॉक माव्रेट अडाणी को नहीं दबा रहा है और उनके शेयरों में गिरावट के थमने का नाम नहीं ले रहा है।
——अनिल नरेन्द्र
512 किलो प्याज महज दो रुपए में
महाराष्ट्र समेत पूरे देश में बीते तीन दिनों से सोशल मीडिया पर सोलापुर के किसान राजेंद्र चव्हाण की चर्चा हो रही है। चर्चा की वजह यह है कि मंडी में 512 किलो प्याज बेचने के बाद भी उन्हें केवल दो रुपए का चेक मिला और उसे वैश करने के लिए भी उन्हें वुछ दिन बाद मंडी में आना होगा।
महाराष्ट्र के बजट सत्र की पूर्व संध्या पर आयोजित प्रोस कांप्रोंस में विपक्ष के नेता अजीत पवार ने भी इसका जिव््रा किया। वहीं दूसरी ओर राज्य के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने कहा कि राजेंद्र चव्हाण को दो रुपए का चेक देने वाले सूर्यां ट्रेडर्स का लाइसेंस रद्द कर दिया गया है। बजट सत्र की पूर्व संध्या पर पत्रकारों से बातचीत करते हुए फड़नवीस ने कहा—राजेंद्र चव्हाण ने 512 किलो प्याज बेचा। कीमत ऊपर-नीचे जाती है। लेकिन उन्हें दो रुपए ही मिले। परिवहन लागत काट ली गईं। ऐसा नहीं होना चाहिए था।
सूर्यां ट्रेडर्स का लाइसेंस रद्द कर दिया गया है। दरअसल महाराष्ट्र में इन दिनों थोक बाजार में प्याज छह से सात रुपए प्राति किलो और खुदरा बाजार में 20 से 30 रुपए प्राति किलो की दर से मिल रहा है। लेकिन फरवरी के अंत तक मानसूनी प्याज की आवक हो जाती है। नमी के कारण इस प्याज को स्टोर करके नहीं रखा जा सकता है। घरेलू उपयोग के लिए स्टोर करने के लिए केवल सूखे प्याज की जरूरत होती है। मानसूनी प्याज की कीमतों में भारी गिरावट देखने को मिली और इसकी चपेट में राजेंद्र चव्हाण आ गए।
सोलापुर जिले के बरसी तालुका के वोटगांव के राजेंद्र तुकाराम चव्हाण ने 10 बोरी प्याज बेचा और मंडी में उन्हें परिवहन, ढुलाईं और तोल करने का पैसा काटने के बाद दो रुपए का चेक दिया गया। चव्हाण ने दो एकड़ खेत में प्याज लगाया था। 17 फरवरी को राजेंद्र 10 बोरी प्याज सोलापुर के सूर्यां ट्रेडर्स के पास ले गए। 10 बोरी का वजन 512 किलो था। लेकिन मानसूनी प्याज की कीमतों में गिरावट की वजह से राजेंद्र को एक रुपए प्राति किलो के भाव मिले। वाहन किराया, हमाली और तुलाईं के पैसे काटकर दो रुपए का चेक उन्हें दिया गया। वृषि उपज मंडी समिति के व्यापारी सूर्यां ट्रेडर्स ने राजंेद्र चव्हाण को दो रुपए का चेक दिया। यह चेक आठ मार्च 2023 का है। उन्हें इस दो रुपए के चेक को भुनाने के लिए वापस इसी वेंद्र में आना होगा। राजेंद्र चव्हाण को एक कारोबारी से महज दो रुपए का चेक मिलने की खबर और उससे जुड़ी तस्वीरें हर तरफ वायरल हो रही हैं। बीबीसी मराठी ने घटना के बारे में और जानकारी हासिल करने के लिए राजेंद्र चव्हाण से सम्पर्व किया। राजेंद्र चव्हाण ने इस बारे में कहा—मैंने जो प्याज बेचा था, वह नम्बर वन क्वालिटी का था। मुझे उम्मीद थी कि यह आठ से 10 रुपए प्राति किलो के भाव में बिकेगा लेकिन वास्तव में मुझे प्राति किलो एक ही रुपया मिला। इससे मेरा खर्चा नहीं निकला, मुझे इस बात का बहुत दुख हुआ है। राजेंद्र चव्हाण का पूरा परिवार वृषि व्यवसाय में है। उनके परिवार में पत्नी, दो बच्चे, बहू और पोते-पोतियां हैं। चव्हाण ने कहा कि इस घटना से उनके परिवार को बहुत दुख है। किसानों के संगठन स्वाभिमानी शेतकर संगठन के प्रामुख राजू टोही कहते हैं—देखिए राजेंद्र तुकाराम चव्हाण को 10 बोरी प्याज बेचने पर दो रुपए का चेक देते हुए बेशर्म व्यापारी को शर्म वैसे नहीं आईं? किसानों के आंसू निकलने स्वाभाविक ही हैं।
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