Saturday, 22 June 2024

पहली बार चुनावी राजनीति में कदम रखेंगी

कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी वाड्रा केरल के वायनाड लोकसभा सीट से चुनाव लड़ेंगी। यह पहली बार है जब प्रियंका गांधी सीधी चुनावी रण में उतरेंगी। गांधी-नेहरू परिवार की चौथी पीढ़ी की सदस्य प्रियंका अब तक कांग्रेस के लिए सक्रिय रूप से चुनाव प्रचार करती रही हैं। हालांकि 2019 में उनके सक्रिय राजनीति में प्रवेश करने के बाद से ही वाराणसी में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के खिलाफ उनके चुनावी मैदान में उतरने की चर्चाएं लगनी शुरू हो गई थीं। लोकसभा के चुनाव में राहुल गांधी वायनाड और रायबरेली दोनों ही सीट से जीते थे। उन्होंने वायनाड सीट छोड़ने का फैसला किया और वहां से प्रियंका को चुनावी मैदान में उतारने का निर्णय किया। हालांकि इस बार 52 वषीय प्रियंका को अमेठी सीट से उतारने की चर्चा जोर-शोर से चली थी, जो गांधी परिवार की पारंपरिक सीट है। लेकिन अंतिम समय में गांधी परिवार के भरोसेमंद किशोरी लाल शर्मा को अमेठी से कांग्रेस का उम्मीदवार बनाया गया। किशोरी लाल शर्मा ने श्रीमती स्मृति ईरानी को करारी शिकस्त दी। वायनाड से प्रत्याशी बनाए जाने की घोषणा के बाद प्रियंका ने कहा कि मैं बिल्कुल भी नर्वस नहीं हूं। मैं वायनाड का प्रतिनिधित्व करने में सक्षम होने पर बहुत खुश हूं। मैं बस इतना कहूंगी कि मैं वायनाड के लोगों को राहुल की कमी महसूस नहीं होने दूंगी। प्रियंका का चुनावी मैदान में उतारने के पीछे कांग्रेस की सोची-समझी रणनीति के तहत लिया गया फैसला माना जा रहा है। पार्टी के वरिष्ठ नेता ने कहा कि जब राहुल गांधी ने रायबरेली से नामांकन किया था तभी तय हो गया था कि अगर राहुल गांधी दोनों सीटों से जीतते हैं तो प्रियंका वायनाड से लड़ेंगी। इसके पीछे दो अहम कारण हैं। राहुल गांधी अगर रायबरेली सीट छोड़ते हैं तो अभी उस राज्य से बेहतर संदेश नहीं जाता जहां से पार्टी ने अभी तुरंत बेहतर प्रदर्शन किया। साथ ही पार्टी उस राज्य को नहीं छोड़ना चाहती थी जहां 2019 और 2024 दोनों जगहों से पार्टी को लोगों का सपोर्ट मिला। पार्टी को लगता है कि वहां अगले दो साल में होने वाले विधानसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन कर सकती है। साथ ही दfिक्षण हाल में कांग्रेस का मजबूत गढ़ साबित हुआ है। यही कारण है कि राहुल गांधी को सीट छोड़ने के बाद पार्टी के पास गांधी परिवार से ही कोई उम्मीदवार देना राजनीतिक मजबूरी थी। पिछले कुछ वर्षों से कांग्रेस महासचिव के रूप में काम कर रही प्रियंका गांधी पार्टी की स्टार प्रचारक बनी हैं। चुनाव में उनकी सभाओं की मांग राज्यों में तेजी से बढ़ने लगी है। तेलंगाना, हिमाचल प्रदेश और कर्नाटक में आक्रामक प्रचार का लाभ कांग्रेस को मिला। तभी से पार्टी ने माना कि न सिर्फ प्रियंका गांधी आम लोगों से कनेक्ट कर रही हैं बल्कि उनके प्रचार का लाभ यह होता है कि वह महिला वोटरों से बेहतर तरीके से संवाद कर लेती हैं। प्रियंका गांधी पार्टी के अंदर क्राइसिस मैनेजमेंट को संभालने वाली भी बनी हैं। कई मौकों पर उन्होंने हस्तक्षेप कर चीजों को ठीक किया है। हालांकि 2022 में प्रियंका को उत्तर प्रदेश में पार्टी की जिम्मेदारी मिली थी, लेकिन तब पार्टी कुछ खास नहीं कर पाई थी। पार्टी ने कहा कि उस वक्त की जमीनी तैयारी का लाभ अब मिल रहा है। राहुल अब खासकर हिंदी बेल्ट में पार्टी को मजबूत करेंगे तो वहीं प्रियंका दfिक्षण भारत में पार्टी के वर्चस्व को बढ़ाने का प्रयास करेंगी। प्रियंका को इस बात का ध्यान रखना होगा कि भाजपा उन्हें हराने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक देगी।

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