Wednesday 26 June 2024

चर्च में घुसकर पादरी का गला रेता, फायरिंग


रूस के उत्तरी काकेशस स्थित दागिस्तान में रविवार को हथियार बंद हमलावरों ने चर्च और सिनेगॉग (यहूदियों का प्रार्थना स्थल) को निशाना बनाया। इस हमले में 15 पुलिसकर्मियों समेत कई आम लोगों के मारे जाने की खबर है। पुलिस की जवाबी कार्रवाई में 6 हमलावर मारे गए हैं। हथियारबंद लोगों ने रूस के उत्तरी प्रांत में स्थित दागिस्तान के डर्बेंट और मखचकाला में उस वक्त हमला किया, जब लोग एक प्राचीन त्यौहार मना रहे थे। हमला करने वालों की पहचान नहीं हो पाई लेकिन इस इलाके में पहले भी हमले होते रहे हैं। मरने वालों में पुलिसकर्मियों के अलावा चर्च के पादरी, सिक्युरिटी गार्ड जैसे लोग भी शामिल हैं। दागिस्तान इस हमले से पहले भी खबरों में रह चुका है। बीते साल अक्तूबर महीने में मखचकाला शहर के एयरपोर्ट में कुछ लोग घुस गए थे और इसरायल की राजधानी तेल अवीव से आए लोगों की तलाश कर रहे थे। ये सभी फिलस्तीनी समर्थक थे जो यहूदी विरोधी नारेबाजी कर रहे थे। इस घटना का वीडियो भी सामने आया था, जिसमें देखा गया था कि कैसे सैकड़ों लोग एयरपोर्ट टर्मिनल पर यहूदी विरोधी नारेबाजी कर रहे थे। कुछ लोग फिलस्तीनी झंडे लिए हुए हैं और अल्लाह अकबर के नारे लगा रहे हैं, रूस की जांच कमेटी ने इसे आतंकवादी कृत्य बताते हुए कहा है कि उसने दागिस्तान में हमले की आपराधिक जांच शुरू कर दी है। दागिस्तान रूस का एक बड़ी मुस्लिम आबादी वाला प्रांत है जो चेचेन्या के पड़ोस में है। हमले में मरने वाले पादरी की पहचान फादर निकोले के रूप में हुई है। वे 66 साल के थे। इसके पहले अधिकारियों ने बताया था कि हमलावरों ने उनका गला रेत दिया था। इसके साथ ही चर्च के बाहर तैनात एक सुरक्षा गार्ड की भी हत्या कर दी। रूसी यहूदी कांग्रेस ने बताया है कि डर्बेंट और मखचकाला में एक-एक सिनेगॉग पर हमला किया गया है। डर्बेंट के सिनेगॉग में जब हमला किया गया उसके 40 मिनट पहले प्रार्थना हो चुकी थी और वहां कोई मौजूद नहीं था। हमलावरों ने सिनेगॉग की बिल्डिंग में आग लगा दी। इस दौरान बाहर खड़े पुलिसकर्मी और सुरक्षा गार्ड हमले में मारे गए। रूसी यहूदी कांग्रेsस ने कहा कि मृतकों और घायलों की सही संख्या के बारे में अभी नहीं बताया जा सकता है। भौगौलिक रूप से बेहद खूबसूरत नजर आता हो दागिस्तान लेकिन अंदर से उतना ही अस्थिर है। 9वीं शताब्दी से ही दागिस्तान में स्थिरता नहीं देखी गई है। जार का शासन हो या फिर स्टालिन का दौर इस प्रांत के लोगों ने हमेशा मुश्किलों का ही सामना किया है। इस्लामिक ताकतों ने इस इलाके में अपनी मौजूदगी हमेशा दर्ज करवाई है। सामंतवाद के दौर के बाद इस्लाम दागिस्तान में खूब फैला। इस जगह पर तकरीबन 3000 मस्जिदों में इस्लामी संस्थान और स्कूल हैं। साल 2012 के एक सर्वे के मुताबिक 83 प्रतिशत लोग इस्लाम को मानने वाले हैं। दागिस्तान में बीते कुछ दशकों में ऐसा देखा गया है कि इस्लामिक उग्रवादी संगठन सभी सुरक्षा बलों के साथ संघर्ष करते रहे हैं, लेकिन 7 अक्टूबर 2023 से शुरू हुए इजरायल और फिलस्तीन के युद्ध के बाद दागिस्तान में यहूदियों पर हमले तेज हुए हैं। यहां की बहुसंख्यक आबादी सुन्नी मुसलमानों की है। दागिस्तान प्रसिद्ध इस्लामी योद्धा इमाम शमील का जन्म स्थान भी है।

-अनिल नरेन्द्र

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