Saturday, 8 June 2024

भाजपा विजय रथ को रोका अखिलेश यादव ने


एक जून को आखिरी चरण के मतदान के बाद जब शनिवार एग्जिट पोल आए तो ऐसा लगा कि उत्तर प्रदेश में लड़ाई एकतरफा है। लेकिन जब 4 जून को गिनती हुई तो पता चला कि भाजपा का विजय रथ अखिलेश यादव ने रोक दिया है। समाजवादी पार्टी ने उत्तर प्रदेश में 62 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे और कांग्रेस ने 17 सीटों पर। समाजवादी पार्टी 62 में से 37 सीटें जीती और कांग्रेस को 17 में से 6 पर जीत मिली। 2019 के आम चुनाव में भाजपा को उत्तर प्रदेश से 62 सीटें मिली थीं, बीएसपी को 10, सपा को 5, अपना दल (सोनेलाल) को दो और कांग्रेस को एक सीट मिली थी। चुनाव परिणाम से पहले गृहमंत्री और भाजपा के चाणक्य 75 सीटें जीतने का दावा कर रहे थे। खुद प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी बड़ी मुश्किल से लगभग डेढ़ लाख वोट से ही जीते जबकि शुरुआती गिनती में वह पीछे चल रहे थे। उत्तर प्रदेश ऐसा राज्य है, जहां से सत्ता और विपक्ष दोनों की अहम हस्तियां मैदान में थीं। बनारस से मोदी जी तो रायबरेली से राहुल गांधी और कन्नौज से अखिलेश यादव। अखिलेश यादव ने न केवल एक शानदार चुनाव ही लड़ा, साथ ही उम्मीदवारों के चयन से लेकर जनता को प्रभावित करने वाले मुद्दे भी जबरदस्त तरीके से उठाए। समाजवादी पार्टी और कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश में आर्थिक तंगी, खेती-किसानी और संविधान को कमजोर करने का मुद्दा भी उठाया। दोनों पार्टियों ने लोगों के बीच आरक्षण का मुद्दा भी उठाया। एक विश्लेषक का कहना था कि मुझे लग रहा था कि भाजपा को कम से कम 50 सीटें तो मिल जाएंगी। लेकिन 33 सीटों पर सिमटना बताता है कि पीएम मोदी और अमित शाह के घमंड को लोगों ने नकार दिया। दलितों, पिछड़ी जातियों और उदार लोकतंत्र में भरोसा रखने वाले आम लोगों को विपक्षी पार्टियां समझाने में कामयाब रहीं कि मोदी और मजबूत हुए तो संविधान खतरे में पड़ जाएगा। अमित शाह जिन्हें भाजपा का चाणक्य कहा जाता है को युवा अखिलेश ने ऐसी मात दी कि उम्र भर याद रखेंगे। अखिलेश यादव ने इस बार पुराना गढ़ तो भाजपा से छीना ही, बुंदेलखंड भी कब्जा लिया। यादव बैंक की सीटों के साथ ही बुंदेलखंड में भी तीन प्रत्याशियों को जिता दिया। दो मंत्रियों को हराने की ताकत दिखाकर मध्यप्रदेश ने समीकरण साधे इसका परिणाम यह हुआ कि लंबे समय बाद हर सीट पर तेजी से साइकिल दौड़ती नजर आई। वह गठबंधन के जरिए कमल को कई जगह उखाड़ने में भी सफल हुए और अपनी सीट पर अपने ही रिकार्ड को फिर से दोहराया। इसके साथ ही मुलायम द्वारा यूपी में बनाए रिकार्ड को भी तोड़ दिया। अखिलेश के पिता मुलायम सिंह यादव ने वर्ष 2004 में यूपी से 35 सांसदों को जिताया था। यह उनके साथ ही पार्टी का भी रिकार्ड था। 20 साल बाद अखिलेश ने इस रिकार्ड को तोड़ते हुए यूपी से 37 प्रत्याशियों को जिताया, इनमें से एक वह खुद भी हैं। उन्होंने कन्नौज सीट पर एक और रिकार्ड बनाया। 1996 से अब तक इस सीट पर उनके अलावा कोई भी प्रत्याशी ऐसा नहीं रहा जिसने एक लाख या उससे अधिक के इतर से प्रतिद्वंद्वी को हराया हो। इस बार अखिलेश ने कन्नौज से 1,70,922 मतों से जीत हासिल की। मोदी जी के रथ को अगर किसी ने रोका है तो वह हैं अखिलेश यादव। -अनिल नरेन्द्र

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