Tuesday, 4 June 2024

लोकसभा ही नहीं सुक्खू सरकार के भाग्य का भी फैसला


आगामी एक जून को हिमाचल प्रदेश की चार लोकसभा सीटों के साथ छह विधानसभा सीटों के लिए भी उपचुनाव हुए हैं। ये सीटें सुक्खू सरकार के भविष्य का फैसला भी तय करेंगी। भाजपा का दावा है कि चार जून को सुक्खू सरकार गिर जाएगी और वहां भी डबल इंजन की सरकार होगी। हिमाचल के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू लोकसभा चुनाव के प्रचार से ज्यादा विधानसभा चुनाव के प्रचार में जुटे हुए थे, क्योंकि उनकी कुर्सी का फैसला इन्हीं छह विधानसभा सीटों पर निर्भर कर रहा है। कुछ महीने पहले कांग्रेस के छह विधायकों ने अपनी ही सरकार गिराने की कोशिश की थी और भाजपा में मिल गए थे। तब तो किसी तरह से सुक्खू की सरकार बच गई, क्योंकि उस वक्त विधानसभा अध्यक्ष ने इन विधायकों की सदस्यता रद्द कर दी थी। इसी कारण छह सीटें खाली हो गई थीं। और अब उनका चुनाव भी लोकसभा सीटों के साथ हो हुआ। 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 68 विधानसभा में से 40 सीटें जीतकर सरकार बनाई थी और भाजपा 25 सीटों पर ही सिमट गई थी। तीन सीट निर्दलीयों ने जीती थी। लेकिन हाल में कांग्रेस में विद्रोह हो गया और छह विधायकों ने बगावत कर दी, जिसके कारण सुक्खू सरकार अल्पमत में आ गई। बगावत करने वालो को मुख्यमंत्री ने कहा था कि यह बिकाऊ हैं। सरकार बनाने के लिए 35 सीटों की आवश्यकता है। वैसे तो तीन निर्दलीय विधायकों ने भी सुक्खू सरकार को समर्थन दिया था, लेकिन जब कांग्रेस के विधायकों ने बगावत की तो इन तीनों निर्दलीयों ने भी समर्थन वापस ले लिया था। अब यदि छह सीटें भाजपा जीत गई तो तीन निर्दलीय विधायक भाजपा को समर्थन देने के लिए बैठे हैं। सुक्खू सरकार के पास अभी 34 विधायक हैं और विधानसभा की संख्या भी 68 से घटकर 62 रह गई है। इन छह सीटों पर चुनाव होने के बाद यदि सभी छह सीटें कांग्रेस हार गई तो उसकी 34 सीटें रह जाएंगी। भाजपा के पास 31 सीटें हो जाएंगी और तीन निर्दलीयों का समर्थन लेकर उनकी संख्या 34 होगी। ऐसी स्थिति में भाजपा आपरेशन लोटेस चला सकती है और कांग्रेस खेमें में एक बार फिर सेंधमारी कर सकती है। अगर कांग्रेस के एक-दो विधायक भी विश्वासमत के दौरान गैर हाजिर हो गए तो सुक्खू सरकार का गिरना तय है। इसमें एक और पेंच है सुक्खू सरकार में मंत्री विक्रमादित्य सिंह मंडी से चुनाव लड़ रहे हैं। यदि वह चुनाव जीत जाते हैं तो उनकी भी सीट खाली हो जाएगी। ऐसे में विधानसभा में कांग्रेस की संख्या घटकर 33 हो जाएगी और भाजपा गठबंधन की संख्या 34 हो जाएगी ऐसे में मुख्यमंत्री सुक्खू सभी छह सीटें जीतने के लिए पूरी ताकत झोंक हुए हैं। सुक्खू विक्रमादित्य के चुनाव प्रचार में कम ही जा रहे थे। क्योंकि विक्रमादित्य ने ही सुक्खू सरकार को गिराने वाले विद्रोह का नेतृत्व किया था। उन्होंने दिल्ली में भाजपा नेताओं से मुलाकात भी की थी। लेकिन किसी तरह सरकार बच गई। यहां राहुल गांधी ने चुनाव प्रचार किया और अब चुनाव तक प्रियंका गांधी ने मोर्चा संभाला हुआ था।

-अनिल नरेन्द्र

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