Saturday, 29 June 2024

राहुल गांधी बने नेता प्रतिपक्ष

कांग्रेस ने मंगलवार को ऐलान किया कि राहुल गांधी लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष होंगे। 2004 में चुनावी राजनीति में आए राहुल तब से ही कोई पद लेने से बचते रहे थे। यहां तक कि पार्टी प्रमुख के पद से भी इस्तीफा दे दिया था। लेकिन अब राहुल अनिच्छुक नेता की छवि तोड़ते दिख रहे हैं। राहुल ने नेता प्रतिपक्ष का पद ले लिया है और बुधवार को उन्होंने लोकसभा में अपनी बात भी रखी। 10 साल बाद लोकसभा को नेता प्रतिपक्ष मिला है। बुधवार को लोकसभा में बतौर नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी पहली बार बोले। उन्होंने ओम बिरला से फिर लोकसभा स्पीकर बनने पर बधाई देते हुए कहा, जाहिर है कि सरकार के पास राजनीति शक्ति है लेकिन विपक्ष भी भारत के लोगों की आवाज का प्रतिनिधित्व कर रहा है। इस बार विपक्ष भारत के लोगों की आवाज का प्रतिनिधि ज्यादा दमदार तरीके से कर रहा है। विपक्ष आपको संसद चलाने में मदद करेगा। यह बहुत महत्वपूर्ण है कि सहयोग भरोसे के साथ होना चाहिए। विपक्ष की आवाज संसद में सुनाई दे यह बहुत जरूरी है। हमें पूरी उम्मीद है कि विपक्ष की आवाज संसद में दबाई नहीं जाएगी। राहुल गांधी को करोड़ों देशवासियों ने इस उम्मीद से चुना है कि वह जनता के मुद्दे संसद में जोर-शोर से उठाएंगे। इस सरकार के तेवर पहले जैसे ही हैं। आज भी यह सरकार वैसे ही चलने की कोशिश कर रही है जैसे पिछली लोकसभा में चली थी। सीटें बेशक कम हुई हो पर तेवर वहीं है। प्राप्त संकेतों से साफ है कि डर के सहारे, ईडी के सहारे, सीबीआई के सहारे, आयकर के सहारे यह वैसे ही चलेंगे। राहुल व तमाम प्रतिपक्ष इसका कैसे मुकाबला करेगा? अरविंद केजरीवाल का उदाहरण हमारे सामने है। हेमंत सोरेन का केस किसी से छिपा नहीं। राहुल नेता प्रतिपक्ष हैं न कि सिर्फ कांग्रेस नेता। अब उन्हें पूरे प्रतिपक्ष का ध्यान रखना होगा। अरविंद केजरीवाल व हेमंत सोरेन जैसे केसों के खिलाफ पूरी ताकत से विरोध करना होगा। पार्टी हित से ऊपर उठकर संविधान की रक्षा करनी होगी। यह फिर से डर और भय का जो वातावरण पिछली सरकार ने बनाया था उसका कड़ा मुकाबला करते हुए उन्हें फेल करना होगा। जिन मुद्दों से संविधान, महंगाई, बेरोजगारी, पेपर लीक होने, ईडी और अन्य एजेंसियों का दुरुपयोग रोकने को संसद में जोर-शोर से उठाना होगा। भय और डर के वातावरण से देश को कैसे निजात दिलाई जाए इस पर रणनीति तैयार करनी होगी। राहुल गांधी के लोकसभा में प्रतिपक्ष के नेता बनने से संसद और संसद के बाहर उनका कद बढ़ेगा। इंडिया गठबंधन के घटक दलों के बीच लोकसभा में तालमेल बैठाना होगा। संसद में दोनों सदनों में प्रतिपक्ष एक रणनीति बनाकर भले हम पर ध्यान देना होगा। नेता प्रतिपक्ष शैडो प्रधानमंत्री होता है, पूरे विपक्ष का न सिर्फ नेतृत्व करता है बल्कि कई जरूरी नियुक्तियों में पीएम के साथ बैठता है। पीएम की सोच और अप्रोच में कोई बदलाव नजर नहीं आता। राहुल कैसे एडजस्ट करेंगे यह देखना होगा। काम चलाऊ रिश्ते कायम कर पाना राहुल गांधी के लिए चुनौती होगी। विपक्ष के नेता की सबसे बड़ी व महत्वपूर्ण भूमिका संयुक्त संसदीय समितियों और चयन समितियों में होती है। चयन समितियां प्रर्वतन निदेशालय (ईडी), सीबीआई, केन्द्राrय सतर्कता आयोग, केन्द्राrय सूचना आयोग, लोकपाल, ये चुनाव आयुक्तों और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के अध्यक्ष जैसे काफी महत्वपूर्ण पदों पर नियुक्तियां करती है। भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने मीडिया से कहा था, मैंने राहुल गांधी को पीछे छोड़ दिया है, अब मैं वो राहुल गांधी नहीं हूं।

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