Saturday, 15 June 2024
दलितों के नगीना बने चंद्रशेखर
नगीना सीट से सांसद बने चंद्रशेखर दलितों के नए नगीना बन गए हैं क्या? लोकसभा चुनाव में दलित नेता चंद्रशेखर आजाद ने उत्तर प्रदेश की नगीना (सुरक्षित) सीट पर भाजपा के ओम कुमार को डेढ़ लाख से भी ज्यादा वोटों से हराकर जीत हासिल की है। इस सीट पर बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) के उम्मीदवार सुरेन्द्र पाल सिंह चौथे नंबर पर रहे जिन्हें महज 13000 वोट ही मिले। यह अहम है क्योंकि साल 2019 में बसपा प्रत्याशी गिरिश चंद्र ने इस सीट पर जीत दर्ज की थी। तब समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी के बीच गठबंधन था। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के 36 साल के चंद्रशेखर की इस जीत के कई मायने हैं। खासतौर पर बहुजन समाज पार्टी की राजनीति के लिए जो इस चुनाव में खाता तक नहीं खोल पाई। एक बहन जी के शुभचिंतक का कहना था कि मायावती की राष्ट्रीय राजनीति में धीरे-धीरे अप्रासंगिक होना और चंद्रशेखर की जीत ने उन्हें यह मौका दिया है कि पूरे भारत में अपना संगठन मजबूत करें। गौतम नगर के गांव बादलपुर में जन्मी मायावती के राजनीतिक सफर में यह सबसे बुरा दौर है। पार्टी की कमान संभालने के बाद से लेकर अब तक यह पहला मौका है, जब पार्टी का मतप्रतिशत दहाई तक भी नहीं पहुंचा सका। प्रदेश में किसी सीट पर जीतना तो दूर रहा वह मुख्य लड़ाई में भी नहीं आ सकीं। बसपा सुप्रीमों के अपने घर गौतमबुद्ध नगर में भी बसपा प्रत्याशी कामयाब नहीं हो सका। अब जहां बसपा का कोई भी सदस्य नई लोकसभा में नहीं होगा और प्रदेश में भी वर्तमान में बसपा का एक ही विधायक है। वर्ष 2024 में बसपा का अपने दमखम पर चुनाव लड़ना घातक साबित हुआ। इस चुनाव में बसपा को सिर्फ 9.39 प्रतिशत ही वोट मिले और वह एक भी सीट नही जीत सकीं। किसी भी सीट पर बसपा मुख्य लड़ाई में नहीं आई। अब बहन जी को नए सिरे से नीति बनानी होगी और अगले विधानसभा चुनाव की तैयारी करनी होगी। नतीजे बताते हैं कि मायावती को अपनी जीत के जिस वोट बैंक पर भरोसा था, वह अब चंद्रशेखर के पाले में जाता दिख रहा है। नगीना में चंद्रशेखर को 5,12,552 वोट मिले, जबकि बसपा प्रत्याशी सुरेन्द्र पाल सिंह को महज 13272 वोट ही हासिल हुए। साफ है कि जाटवों ने भी बसपा को वोट नहीं दिया नगीना के अलावा डुमरियागंज सीट पर भी आजाद समाज पार्टी ने बसपा उम्मीदवार से अधिक वोट हासिल किए हैं, जो दलितों की भविष्य की बदलती राजनीति का संकेत दे रही है। डुमरियागंज में आजाद समाज पार्टी के प्रत्याशी उमर सिंह चौधरी को 81305 वोट मिले, जबकि बसपा प्रत्याशी मोहम्मद नदीम को महज 35,936 वोट ही हासिल हुए। चंद्रशेखर के तेवर दलित युवाओं को हमेशा आकर्षित करते हैं। खुद मायावती भी चन्द्रशेखर रावण की राह में तमाम रोड़े अटकाने के प्रयास करती रही हैं। मायावती के मुकाबले उन तक आसान पहुंच दलितों में उन्हें लोकप्रिय बनाती है, बसपा सुप्रीमों का कार्यकर्ताओं से दूरी बनाकर रखना, पार्टी पदाधिकारियों से अपनी सुविधानुसार मिलना और चुनावों में शिकस्त मिलने के बाद किसी पर कार्रवाई नहीं करना अब उनके समर्थकों को रास नहीं आ रही है। यही वजह है कि बसपा के वोट बैंक में लगातार गिरावट आ रही है। अब चंद्रशेखर संसद जा रहे हैं, उत्तर भारत में दलित युवा उनके साथ संगठित हो चुके हैं और अब उनको मौका मिला है तो अब उनसे अपने संगठन विस्तार की अपेक्षा है।
-अनिल नरेन्द्र
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