Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi |
Published on 16th October 2011
अनिल नरेन्द्र
सुप्रीम कोर्ट ने 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले की सुनवाई के दौरान प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर कड़ी टिप्पणी की है। यूपीए-1 की सरकार पर सवाल उठाते हुए सवाल किया कि प्रधानमंत्री नीलामी चाहते हुए भी ऐसा नहीं करवा सके? अदालत ने कहा कि मनमोहन सिंह तो नीलामी चाहते थे, लेकिन मंत्री ने उनके पत्र को नजरअंदाज कर दिया। सरकार ने भी समय रहते घोटाला रोकने के लिए उचित कदम नहीं उठाए। साथ ही जस्टिस जीएस सिंघवी और जस्टिस एमएल दत्तु की बैंच ने सीबीआई से ही एक बहुत महत्वपूर्ण प्रश्न पूछा, `मामले की सुनवाई शुरू नहीं हुई है, सवाल यह है कि आरोपियों को और कितने दिन सलाखों के पीछे रहना होगा। उन्हें जेल में रहते 7 महीने हो गए हैं, क्या सुनवाई 7 साल में शुरू होगी?' बैंच ने कहा कि प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) यदि कदम उठाता तो 1.76 लाख करोड़ के घोटाले को रोका जा सकता था। जेल में बन्द यूनिटेक वायरलेस (तमिलनाडु) प्रा. लि. के एमडी संजय चन्द्रा और स्वान टेलीकॉम के डायरेक्टर विनोद गोयनका की जमानत याचिकाओं की सुनवाई के दौरान बैंच ने केंद्र सरकार को यह फटकार लगाई। उसने कहा कि प्रधानमंत्री के पत्र की अनदेखी कर राजा ने मनमानी से `पहले आओ पहले पाओ' के आधार पर दुर्लभ स्पेक्ट्रम का आवंटन कर दिया। पीठ ने कहा, `सरकार के मुखिया पत्र लिखते हैं कि स्पेक्ट्रम असाधारण हैं और इनकी नीलामी होनी चाहिए। तत्कालीन संचार मंत्री ए. राजा इस पर राजी नहीं हुए। वित्त विभाग ने भी विरोध जताया। क्या आपको लगता है कि उस वक्त जो चल रहा था सरकार को उसकी जानकारी नहीं थी?'सुप्रीम कोर्ट ने दूध का दूध पानी का पानी कर दिया है। डॉ. मनमोहन सिंह और उनका पीएमओ सीधे तरह से घोटाले को रोकने में नाकाम हुए। बेशक इसमें कहने को वह कहें कि घोटाले में हमारी रजामंदी नहीं थी पर इससे तो इंकार नहीं कर सकते कि वह रोकना चाहते तो रोक सकते थे और दूसरी बात कि उनकी जानकारी में यह घोटाला हुआ और जहां तक सवाल है कि केस की हैडलिंग की तो सुप्रीम कोर्ट ने सही सवाल पूछा कि यह केस शुरू कब होगा? कब तक केस के आरोपियों को तिहाड़ जेल में बन्द रखेंगे? 7 महीने तो हो गए। कनिमोझी एक महिला हैं। उनको अब महिला होने के नाते जमानत मिलनी चाहिए। लगता है कि सुप्रीम कोर्ट अब ए. राजा और मुख्य आरोपियों को छोड़कर दूसरे आरोपियों की जमानत पर विचार कर सकता है। कनिमोझी की जमानत की सुनवाई 17 अक्तूबर को होनी है। संभव है कि उस दिन उनकी जमानत हो जाए। सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी का विपक्ष पूरा लाभ उठाएगा और मनमोहन सिंह पर विपक्षी दल दबाव और ज्यादा बनाएंगे।
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