Saturday, 1 October 2011

ममता ने रतन टाटा को पटखनी दे दी

Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 1st October 2011
अनिल नरेन्द्र
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री सुश्री ममता बनर्जी को बुधवार को तीन अच्छी खबरें मिलीं। पहली तो उन्होंने भवानीपुर से अपना पहला विधानसभा चुनाव जीत लिया। दूसरी, उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने बाशिरहाट (उत्तर) असेम्बली सीट भी सीपीएम से छीन ली और तीसरी, उनकी सरकार ने सिंगूर पर जो एक्ट पास किया था, उसे कोर्ट ने सही ठहराया है। अब हैडलाइंस विस्तार से। तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ममता बनर्जी भवानीपुर विधानसभा से उपचुनाव जीतकर पश्चिम बंगाल विधानसभा की सदस्य बन गई हैं। ममता ने माकपा की प्रत्याशी नंदिनी मुखर्जी को 54,213 मतों से हराया। मई में प्रदेश की पहली महिला मुख्यमंत्री ममता 1989 को छोड़कर 1989 के बाद से लगातार लोकसभा चुनाव जीत रही हैं। रविवार को हुए इस उपचुनाव में ममता को 73,635 वोट मिले जबकि सीपीएम की नंदिनी को कुल 19422 मत ही मिले। इस जीत के साथ प्रदेश की 294 सदस्यीय विधानसभा में तृणमूल कांग्रेस की सीटों की संख्या 185 हो गई है, वहीं वाम मोर्चे के विधायकों की संख्या 63 ही रह गई है।
इसे संयोग ही कहा जाएगा कि इधर ममता और उनकी पार्टी सीटें जीतती है उधर कोलकाता हाई कोर्ट में एक दूरगामी असर करने वाला एक महत्वपूर्ण फैसला आता है। यह लड़ाई थी प्रसिद्ध उद्योगपति रतन टाटा और ममता बनर्जी के बीच। कोलकाता हाई कोर्ट ने टाटा मोटर्स लि. की याचिका को खारिज करते हुए सिंगूर भूमि पुनर्वास कानून 2011 को सही ठहराया है। ममता बनर्जी सरकार ने नैनो प्रोजेक्ट के लिए टाटा मोटर्स को दी गई जमीन इस कानून के जरिये वापस ले ली है। टाटा ने कानून को हाई कोर्ट में चुनौती दी थी। लेकिन जस्टिस आईपी मुखर्जी ने कानून को सही ठहराया है। उन्होंने कहा कि टाटा मोटर्स मुआवजे के लिए आवेदन दायर कर सकती है। बहरहाल अदालत ने फैसले पर दो नवम्बर तक के लिए रोक लगाई ताकि यदि किसी को फैसले से आपत्ति हो तो वह अपील कर सके। ममता ने अदालत के इस फैसले को ऐतिहासिक करार दिया है। सिंगूर में किसानों के आंदोलन ने न केवल भारत के अन्य भागों में बल्कि पूरी दुनिया के ऐसे प्रभावितों को रास्ता दिखाया है। उन्होंने कहा कि मैं अदालत की आभारी हूं। न्यायपालिका के प्रति मेरे मन में सर्वोच्च सम्मान है। ममता ने कहा कि हम किसानों को उनकी जमीन लौटाने के लिए तौर-तरीकों पर निर्णय करेंगे। उन्होंने कहा कि सिंगूर में 600 एकड़ भूमि में एक बड़ा कारखाना लगाया जाएगा जबकि शेष 400 एकड़ भूमि 2006 में पूर्ववर्ती वाम मोर्चा सरकार के समय किए गए अधिग्रहण के दौरान मुआवजा स्वीकार नहीं करने वाले किसानों को वापस कर दी जाएगी। सिंगूर भूमि पुनर्वास और विकास कानून 2011 के बारे में उन्होंने कहा कि इस कानून के पारित किए जाने के बारे में बहुत कुछ कहा गया है और आरोप लगाए गए कि हम इसे लेकर जल्दबाजी में हैं तथा गलती कर रहे हैं। उधर टाटा समूह ने कहा कि आगे की कार्रवाई का निर्णय फैसले के अध्ययन के बाद किया जाएगा। ममता की यह जीत कई मायनों में महत्वपूर्ण है। इधर केंद्र सरकार की सेहत बहुत खराब चल रही है। ममता ने रतन टाटा जैसे व्यक्ति को हटाकर न केवल मनमोहन सिंह सरकार को करारा झटका दिया है बल्कि उद्योगपतियों को भी हिला दिया है जो राजनेताओं को अपने स्वार्थों के लिए कुछ भी करवाने में सक्षम समझते हैं। सिंगूर का मामला ऐसा है कि इसके देश के अन्य भागों पर भी असर पड़ सकता है। क्योंकि भूमि अधिग्रहण का चक्कर कई राज्यों में चल रहा है। इसमें कोई शक नहीं कि ममता आज की तारीख में भारत के राजनीतिज्ञों में से सबसे ताकतवर श्रेणी में आती हैं। यह जीत सभी के लिए मायने रखती है।

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