Saturday 8 October 2011

अगला लोकसभा चुनाव कांग्रेस राहुल के नेतृत्व में लड़ेगी


Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 8th October 2011
अनिल नरेन्द्र
अब यह साफ होने लगा है कि 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी युवराज यानि राहुल गांधी के नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी। श्री दिग्विजय सिंह तो बहुत पहले से ही कहते आ रहे हैं कि राहुल गांधी को अब देश की बागडोर सम्भाल लेनी चाहिए पर अब तो मनमोहन सिंह सरकार के नम्बर दो मंत्री व वरिष्ठतम नेता प्रणब मुखर्जी ने कह दिया है कि लोकसभा का अगला चुनाव कांग्रेस राहुल गांधी के नेतृत्व में लड़ेगी। पार्टी ने इसके लिए अपनी तैयारी पूरी कर ली है। प्रणब मुखर्जी ने राहुल का नाम आगे करके यह भी जता दिया है कि वह प्रधानमंत्री रेस में शामिल नहीं हैं। यह पता नहीं कि उन्होंने अपने मन से कहा या हालात देखकर दुःखी मन से या फिर खुंदक में। बहरहाल कारण जो भी हो, प्रणब दा का यह कहना बहुत महत्व रखता है। प्रणब के यह कहने के अगले ही दिन पार्टी प्रवक्ता राशिद अल्वी ने इसे आगे बढ़ाते हुए कहा कि राहुल गांधी कांग्रेस का भविष्य है और कांग्रेस देश का भविष्य। अल्वी ने कहा कि 42 वर्षीय राहुल गांधी कांग्रेस के सबसे बड़े नेताओं में से एक हैं और तमाम युवा नेताओं में से सबसे कद्दावर। राहुल की ताजपोशी इसलिए भी अब सम्भव लगती है, क्योंकि बेशक श्रीमती सोनिया गांधी की सफल सर्जरी हो गई है और वह ठीक लग रही हैं पर यह बीमारी ऐसी है कि यह सोनिया को चैन से जीने नहीं देगी। स्वास्थ्य के कारण सोनिया की पार्टी गतिविधियों में सक्रियता घटनी ही है। राहुल को आगे करने में पार्टी को यह भी फायदा होगा कि देश का तमाम युवा कांग्रेस के प्रति राहुल के कारण आकर्षित हो सकता है। इस घटनाक्रम से एक और बात उभर कर आती है। वह है निवर्तमान प्रधानमंत्री, डॉ. मनमोहन सिंह की कारगुजारी से पार्टी प्रसन्न नहीं है। मनमोहन सिंह का अपने मंत्रिमंडल पर ही कंट्रोल नहीं, देश को वह क्या कंट्रोल करेंगे। उनके नम्बर दो और तीन में भयंकर युद्ध छिड़ा हुआ है। उनके दाहिने हाथ को यह नहीं मालूम कि उनका बायां हाथ क्या कर रहा है। एक के बाद एक घोटाले के पर्दाफाश होने के बाद आज कांग्रेस की छवि धरातल पर है। इसे उभारने के लिए कांग्रेस को पार्टी में भारी सर्जरी करने की जरूरत है। केवल राहुल को प्रधानमंत्री प्रोजेक्ट करने से काम नहीं चलेगा। राहुल को अपनी टीम खड़ी करनी होगी। इस टीम को आने वाले दिनों में अपनी पोजीशन ग्रहण करनी होगी। यह काम शुरू भी हो चुका है। इस क्रम की शुरुआत पीएमओ पर अपना कंट्रोल करने से हो चुकी है। प्रधानमंत्री कार्यालय में प्रधान सचिव के पद पर पुलक चटर्जी की ताजपोशी और पिछले सात सालों से प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव रहे टीके नायर की विदाई और कई अन्य वरिष्ठ अफसरों का कार्यकाल पूरा होने के बाद विदाई होने से न केवल नए चेहरे ही सामने आएंगे बल्कि पीएमओ का एक नया रूप, काम करने का ढंग, सोच भी सामने आएगी। सबसे बड़ी बात कि दस जनपथ का पीएमओ पर फुल कंट्रोल होगा। पुलक चटर्जी दस जनपथ के करीबी विश्वास पात्र हैं, इसलिए उनके काम में कोई हस्तक्षेप या प्रधान सचिव की कोई भी शक्ति यदि नायर को दी गई तो दस जनपथ इसका विरोध करेगा, क्योंकि पुलक को पीएमओ में लाने वाला दस जनपथ ही है। टीके नायर से वैसे भी कांग्रेसी नाखुश थे। 2जी स्पेक्ट्रम मामले पर वित्त मंत्रालय के नोट के संबंध में जिसे बनाने में नायर की बड़ी भूमिका थी। लगता है कि अगले साल पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव राहुल के लिए ट्रायल के रूप में देखे जाएंगे। इसका मतलब है कि चुनावों तक सोनिया गांधी संगठन की बागडोर धीरे-धीरे राहुल को सौंप देंगी। हाल ही में अपनी बीमारी के दौरान उन्होंने टेस्ट केस के तौर पर राहुल को पार्टी की कमान सौंपी थी। राहुल की उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में अग्निपरीक्षा होगी। उनको मिशन 2012 में कितनी सफलता मिलती है इस पर भी कांग्रेस की नजरें टिकी होंगी। कुल मिलाकर अब यह साफ होता जा रहा है कि राहुल गांधी कांग्रेस के अगले प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार होंगे।
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