हम दिल्ली सरकार को इस बात की बधाई देना चाहते
हैं कि उसने राजधानी के उन स्कूलों पर दबाव बनाया जिन्होंने फीस बढ़ा कर ली थी। दिल्ली
सरकार की कार्रवाई से बचने के लिए राजधानी के 90 से अधिक निजी स्कूलों ने जस्टिस अनिल देव सिंह कमेटी की सिफारिशों को अभिभावकों
को लौटाई जाने वाली कुल रकम का 75 प्रतिशत हिस्सा दिल्ली हाई
कोर्ट में जमा करा दिया है। निजी स्कूलों ने सोमवार को हाई कोर्ट में यह जानकारी दी
है। न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और नजमी वजीर की खंडपीठ के समक्ष 20 अन्य स्कूलों ने दो दिन से दो सप्ताह के बीच 75 प्रतिशत
धनराशि लौटाने का आश्वासन दिया। खंडपीठ ने कहा कि जिन स्कूलों ने हाई कोर्ट रजिस्ट्रार
के समक्ष बढ़ी हुई फीस लौटाने की बात कही है, उनके खिलाफ फिलहाल
कोई सख्त कार्रवाई नहीं की जा रही है। दिल्ली सरकार का शिक्षा निदेशालय इन स्कूलों
के दावों की जांच कर 27 अक्तूबर तक रिपोर्ट दे। सरकार की तरफ
से बताया गया कि 22 सितम्बर तक 61 निजी
स्कूल 60 करोड़ रुपए जमा करा चुके हैं। वहीं निजी स्कूलों का
प्रतिनिधित्व करने वाली एक्शन कमेटी ने हाई कोर्ट के समक्ष जस्टिस अनिल देव सिंह कमेटी
की सिफारिशों को चुनौती देने वाली याचिका लगाई। इस पर अदालत ने कहा कि पहले ही कई स्कूल
कमेटी की सिफारिशों को चुनौती दे चुके हैं। ऐसे में इस याचिका का कोई औचित्य नहीं है।
इसके बाद याचिका वापस ले ली गई। गौरतलब है कि स्कूलों द्वारा अधिक फीस वसूलने के मुद्दे
पर हाई कोर्ट ने जस्टिस अनिल देव सिंह की अध्यक्षता में कमेटी का गठन किया था। कमेटी
ने वसूली गई अधिक फीस अभिभावकों को वापस करने की सिफारिश की थी। हाई कोर्ट ने छह सितम्बर
के अपने आदेश में कहा था कि अगर 14 दिन के भीतर निजी स्कूलों
ने 75 प्रतिशत राशि नहीं लौटाई तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई
होगी। पीठ ने स्कूलों को आदेश दिया था कि इस मामले में उनकी अपीलों पर तभी सुनवाई होगी
जब वे कुल रकम का 75 प्रतिशत हिस्सा कोर्ट में जमा करा दें। स्कूलों
ने कमेटी की सिफारिशों के अनुसार फीस वापस नहीं करने वाले स्कूलों का संचालन अपने हाथों
में लेने की सरकार की कार्रवाई के खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है। अब मामले
की अगली सुनवाई 27 अक्तूबर तय हो गई है। दूसरी तरफ सरकार ने पीठ
को बताया कि 22 सितम्बर तक 61 निजी स्कूलों
ने 60 करोड़ रुपए जमा करा दिए हैं। जैसा मैंने कहा कि दिल्ली
सरकार के सख्त कदमों की वजह से और दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश की वजह से इन निजी स्कूलों
पर नियंत्रण लगेगा। इनकी मनमानी, बिना ठोस वजह के फीस बढ़ाने
की आदत पर अंकुश लगेगा। अभिभावकों को इस लूट-खसोट से बचाया जाएगा।
-अनिल नरेन्द्र
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