Friday 27 October 2017

भारतीय वायुसेना का सबसे बड़ा टचडाउन

लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे पर अब तक के सबसे बड़े परिचालन अभ्यास में भारतीय वायुसेना ने मंगलवार को एक साथ 16 लड़ाकू विमान उतारकर दुनिया को अपनी ताकत दिखाई। सबसे ताकतवर लड़ाकू विमानों में शामिल जगुआर, सुखोई और मिराज फाइटर्स ने जहां टचडाउन किया, वहीं पहली बार 15 गरूड़ कमांडो को लेकर 35 हजार किलो वजनी हरक्यूलिस सी-130जे ग्लोबमास्टर ने भी सफल लैंडिंग की। तीन घंटे उन्नाव के बागरमऊ में लड़ाकू विमानों का रोमांच देख लोग रोमांचित हो उठे। एक के बाद एक 17 युद्धक विमानों का एक साथ लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे पर उतरना हमें एक साथ कई संदेश देता है। यह प्रदर्शन हमें बताता है भारतीय वायुसेना की तैयारियों का, उस सड़क का, जिस पर ध्वनि की गति से तेज चलने वाले ये बमवर्षक उतरे। बेशक यह पहली बार नहीं था जब वायुसेना के विमान एक्सप्रेस-वे पर उतरे पर निश्चित रूप से यह हमारे देश के इंफ्रास्ट्रक्चर के बारे में बहुत कुछ बताता है। इस तरह की कवायद हमें न सिर्फ सेना की तैयारियों को एक नया विस्तार देती है, बल्कि सेना में आम नागरिकों के भरोसे को भी कई तरह से बढ़ाती है। एयर ट्रैफिक पर नजर रखने के लिए अस्थायी एयर ट्रैफिक कंट्रोल रूम बनाया गया था। ऑपरेशनल एक्सरसाइज का संयोजन बीकेटी एयरफोर्स स्टेशन के ग्रुप कैप्टन जे. सुआरस ने किया जबकि मध्य एयर कमान मुख्यालय के सीनियर एयर स्टाफ एयर मार्शल एएस बुटोला लैंडिंग-ट्रैफिक के अवलोकन के लिए पहुंचे थे। आपातकाल स्थिति में एयरबेस की जगह एक्सप्रेस-वे व हाइवे का प्रयोग किया जा सके यह था मकसद इस प्रदर्शन का। जंग के दौरान सबसे पहले एयरबेस की रनवे और एयरपोर्ट पर ही सबसे पहले हवाई हमले करके तबाह करने का दुश्मन का इरादा होता है ताकि फाइटर प्लेन वहां से उड़ान न भर सकें। सबसे पहले द्वितीय महायुद्ध में जर्मनी में हिटलर ने ऐसी सड़कें बनाई थीं जिन्हें ऑटोबॉन के नाम से जाना जाता है जहां आपातकाल में लडाकू विमान उड़ान भर सकें और लैंडिंग कर सकें। मंगलवार को जो युद्धक विमान एक्सप्रेस-वे पर उतरे उनमें मिराज, सुखोई और जगुआर जैसे बमवर्षक तो थे ही, साथ ही सुपर हरक्यूलिस जैसा मालवाहक सैनिक विमान भी शामिल था। हरक्यूलिस की खूबी यह है कि जरूरत पड़ने पर इससे 200 कमांडो को कहीं भी पहुंचाया जा सकता है। यहां तक कि उन्हें पैराशूट के जरिये भी उतारा जा सकता है। आने वाले समय में वायुसेना इसी तरह की सड़कों पर झारखंड, ओडिशा और छत्तीसगढ़ के नक्सलवाद प्रभावित क्षेत्रों में इसी प्रकार की एक्सरसाइज कर सकती है। भारतीय वायुसेना को बधाई।

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