Thursday 5 October 2017

पार्किंग प्राब्लम तो दिल्ली की हर गली, मुहल्ले, रोड पर है

क्या दिल्ली में ट्रैफिक जाम, पार्किंग की समस्या खत्म करने के लिए जो नई पार्किंग पालिसी ड्राफ्ट की गई है वह इन समस्याओं को खत्म कर देगी? मूल समस्या जिस पर सरकारें ध्यान नहीं दे रही हैं वह है बढ़ते वाहनों की दिल्ली की सड़कें पर संख्या! प्रतिवर्ष 30 लाख के करीब दो पहिएतीन पहिए और चार पहिए वाले वाहन दिल्ली की सड़कें पर उतरते हैं। न हमारे पास इनके लिए रोड है, न पार्किंग स्पेस है, न ही पर्याप्त ट्रैफिक पुलिस की संख्या। ऐसे में हमें तो संदेह है कि जो नई नीति ड्राफ्ट हुई है वह इनमें से किसी भी समस्या का समाधान कर सके। हां सरकार की जेब जरूर भारी हो जाएगी और उपभोक्ता जो पहले से ही भारी टैक्सों से दबा है उस पर और बोझ पड़ जाएगा। सिंगापुर में तो आम लोग अपनी मर्जी से गाड़ियां तक नहीं खरीद सकते। वहां की सरकार ने इसके लिए बाकायदा कोटा और परमिट सिस्टम बना रखा है। रोटरी पार्किंग सिस्टम है, यानि एक के ऊपर एक गाड़ी खड़ी करना। मल्टीलेवल पार्किंग बनी हुई है। पार्किंग की जगह होने पर ही कार खरीद सकते हैं। इंटेलिजेंट ट्रांसपोर्ट सिस्टम के तहत मास्को (रूस) के तहत पार्किंग नियमों में बदलाव किया गया है। पहले खड़ी सड़कें पर 2.9 मीटर तक वर्टिकल पार्किंग की इजाजत थी। नियमें के मुताबिक रोड पर खाली जगह कम से कम 5.9 मीटर होनी चाहिए। अब गाड़ियों को सड़क के समान्तर पार्क करना होता है, जिससे सड़क पर खाली जगह 6 मीटर तक हो गई है। फुटपाथ पैदल चलने वालें के लिए उपलब्ध है। बीजिंग में कारों से सड़कें ठसाठस भरी रहती हैं। 2010 में  यहां 7 लाख कारों का रजिस्ट्रेशन हुआ था। इसके बाद अधिकारियों ने नए वाहनों पर रोक लगा दी। 2011 में केवल 2 लाख 40 हजार नई कारों का रजिस्ट्रेशन हुआ, वह भी लाटरी सिस्टम के तहत दिल्ली की कालोनियों में पार्किंग को लेकर रोज झगड़े होते हैं। दिल्ली के हर इलाके, कालोनी और गली में पार्किंग की समस्या है। मार्केट से लेकर रेजिडेंशियल इलाके में गाड़ी खड़ी करने के लिए स्पेस हासिल करना कोई जंग जीतने की तरह है। पुरानी बसी कालोनियों में हालात सबसे अधिक खराब हैं। यह कालोनियां तब की बसी हुई हैं जब पार्किंग की कोई समस्या नहीं थी। ड्राफ्ट पॉलिसी में रेजिडेंशियल इलाकों में आन स्ट्रीट पेड पार्किंग पर लोगों का कहना है कि पहले सरकार उन्हें गाड़ियां खड़ी करने के लिए पर्याप्त स्पेस दे। इसके बाद भी अगर लोग इधर-उधर गाड़ी खड़ी करें, तब उनसे पैसे वसूले जाएं। बिना सुविधा दिए रेजिडेंशियल कालोनियों में पार्किंग के लिए पैसे लेना सही नहीं है। फिर जब आदमी नई गाड़ी लेता है तो उसे रोड टैक्स भी देना पड़ता है। यह रोड टैक्स किस लिए लेते हैं जब पार्किंग तक की सुविधा नहीं दे सकते? दिल्ली में इस समय कुल 318 पार्किंग स्पेस हैं। सरफेस पार्किंग 264। अंडर ग्राउंड, मल्टीलेवल 54 कुल गाड़ियां खड़ी हो सकती हैं 72434 और दिल्ली में कुल गाड़ियां हैं 10093470

-अनिल नरेन्द्र

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