Wednesday, 4 October 2017

आतंकवाद किसी एक देश की समस्या नहीं यह वैश्विक चुनौती बन गई है

पिछले 24 घंटे में तीन मुल्कों में आतंकवादी हमलों ने यह साबित कर दिया है कि दुनिया का कोई कोना आतंकवाद से नहीं बच सका है। फ्रांस के भू-मध्यसागरीय तटीय शहर मार्सेज के मुख्य रेलवे स्टेशन पर रविवार को एक हमलावर ने दो लोगों की चाकू मारकर हत्या कर दी। जबकि कार्रवाई में हमलावर भी मारा गया। इस आतंकी हमले को लोन वुल्फ ने अंजाम दिया। हमलावर ने अल्लाह हो अकबर चिल्लाते हुए यह हमला किया। रविवार दोपहर 1.45 बजे 30 साल के हमलावर ने रेलवे स्टेशन के भीतर एक महिला का चाकू से गला काट डाला और दूसरी महिला के पेट में चाकू मारकर हत्या कर दी। पिछले दो सालों में फ्रांस में कई आतंकी हमले हो चुके हैं और देश पहले से ही अलर्ट मोड में है। उधर कनाडा के मांट्रियल में एक कार सवार ने पुलिस अफसर को टक्कर मारने के बाद चाकू से मार डाला। इसके कुछ ही घंटे बाद एक वैन ने पैदल यात्रियों को रौंद दिया, जिसमें चार लोग घायल हो गए। एडमेंटन पुलिस चीफ का कहना है कि ये दोनों घटनाएं एक-दूसरे से जुड़ी हैं। हम आतंकी हमले के एंगल से भी मामले की जांच कर रहे हैं। सबसे भयानक हमला अमेरिकी शहर लास वेगास में तब हुआ जब एक म्यूजिक कंसर्ट में एक व्यक्ति ने अंधाधुंध फायरिंग करके 58 लोगों को मौत के घाट उतार दिया और 575 लोग घायल हो गए। यह आधुनिक अमेरिकी इतिहास की सबसे घातक गोलीबारी की घटना मानी जा रही है। रविवार को हुए इस हमले में किसी भारतीय नागरिक के हताहत होने की खबर नहीं है। हमलावर की पहचान 64 वर्षीय स्टीफन पैडॉक के रूप में हुई है। वह स्थानीय निवासी है। अंतर्राष्ट्रीय समय के मुताबिक सोमवार सुबह पांच बजे हमलावर कंसर्ट स्थल के बगल में स्थित मैंडलेवे कसीनो में घुस गया और 32वीं मंजिल से ताबड़तोड़ फायEिरग शुरू कर दी। जिस वक्त गोलीबारी की गई, सिंगर जेसन एर्ल्डीन की परफार्मेंस चल रही थी और 22 हजार लोग मौजूद थे। प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि हमलावर 10 मिनट तक लगातार गोलीबारी करता रहा। उसके पास सात-आठ राइफल थीं और 32वीं मंजिल में एक कमरे की खिड़की से वह नीचे चल रहे कंसर्ट पर फायरिंग करता रहा। ऊंचाई से गोलीबारी के कारण ही नीचे कंसर्ट देख रहे लोग इतनी संख्या में मारे गए व घायल हुए। हमले की जिम्मेदारी आईएस ने ली है। उसका कहना है कि हमलावर ने कुछ समय पहले ही इस्लाम धर्म अपनाया था। पर एफबीआई ने आईएस के दावे को खारिज कर दिया है। एफबीआई ने कहा है कि लास वेगास अटैक का किसी अंतर्राष्ट्रीय संगठन से कोई संबंध नहीं है। हमलावर स्टीफन पैडॉक ने घटना को अकेले ही अंजाम दिया। वह अमेरिका का ही निवासी है। हालांकि इस खूनखराबे को अकेले शख्स ने अंजाम दिया, लेकिन उसकी गोलीबारी में 500 से ऊपर लोगों के घायल होने से घटना की भयावहता का पता चलता है। अमेरिकी पुलिस तत्काल किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सकी और सबूतों के अभाव में उसके लिए आतंकी संगठन आईएस के इस दावे पर यकीन करना कठिन हो रहा है कि लास वेगास में निर्दोष लोगों पर कहर ढाने का काम उसके अपने आदमी ने किया। चूंकि आईएस हर कहीं किसी भी आतंकी वारदात को अपने समर्थक द्वारा किया गया बताकर दहशत फैलाने की कोशिश में रहता है इसलिए फिलहाल यह कहना कठिन है कि लास वेगास नरसंहार पर उसने जो दावा किया है उसमें कितना दम है। यह हमारे लिए समझना मुश्किल है कि आखिर लास वेगास जैसे शहर में कोई व्यक्ति आठ-आठ राइफलों, गोला-बारूद के जखीरे के साथ पर्यटकों से गुलजार रहने वाले होटल में ठहरने में कैसे सफल हो गया? इतने लोगों के मरने व घायल होने से अनुमान लगाया जा सकता है कि उसके पास कितनी अधिक मारक क्षमता वाले हथियार रहे होंगे? पुलिसिया कार्रवाई और राहत कार्य को प्रभावित करने के मकसद से आसपास की कई जगहों पर ऐसी ही वारदात की अफवाह फैलाने की कोशिशें भी हुईं। मैनचेस्टर को शुरुआत माना जाए तो लास वेगास की इस घटना को आतंकवाद के नए चेहरे के तौर पर देखने की जरूरत है। इसने एक बार फिर विश्व समुदाय को आगाह किया है कि आतंक कहीं भी, कभी भी और किसी भी रूप में आ सकता है। जिस तरह पिछले कुछ अरसे में कभी पेरिस के फुटबॉल मैच, फ्रांस के राष्ट्रीय उत्सव, फ्लोरिडा के नाइट क्लब में जुटे जमावड़े को निशाना बनाने वाली घटनाएं सामने आई हैं, उसने यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि आतंकवाद की समस्या अब वैश्विक हो चुकी है। सोचना होगा कि आतंक जब हर दिन अपना चेहरा बदल रहा है, तब हमने अपने औजार कितने बदले हैं? भारत जो बात बार-बार कहता रहा है कि आतंकवाद किसी एक देश की अब समस्या नहीं है, इसने वैश्विक रूप धारण कर लिया है इन घटनाओं से साबित होता है। इसका मुकाबला तभी किया जा सकता है जब तमाम देश मिलकर इन दहशतगर्दों के मुकाबले के लिए दूरगामी प्रभावी रणनीति बनाएं।

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