Thursday, 26 October 2023

नवाज शरीफ की घर वापसी

पाकिस्तान के पूर्व प्राधानमंत्री नवाज शरीफ चार साल बाद पाकिस्तान लौट आए हैं। उन्होंने अपनी वापसी के पहले ही दिन में अपने समर्थकों की एक बड़ी रैली को संबोधित किया। लाहौर कभी पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज गुट का गढ़ माना जाता था। लेकिन बाद में इमरान खान के समर्थन में दिखने लगा था। नवाज शरीफ की रैली से उनके सियासी भविष्य का संकेत मिलता है। अनुमान लगाया जा रहा था कि वे आने वाले दिनों में होने वाले चुनाव को देखते हुए अपनी पाटा के रुख को स्पष्ट करेंगे। अपने भाषण में उन्होंने स्पष्टता से कहा कि उनका बदले की राजनीति में कोईं भरोसा नहीं है और वे देश को आर्थिक विकास की राह पर आगे बढ़ाना चाहते हैं। पाकिस्तान के राजनीतिक विश्लेषक उनके नजरिए की तारीफ कर रहे हैं, वहीं वुछ विश्लेषकों का मानना है कि उन्होंने अपने संबोधन से देश के सैन्य प्रातिष्ठान को कड़ा संदेश दे दिया है। नवाज शरीफ का मानना यह है कि सेना ने उन्हें सत्ता से हटाने में अहम भूमिका अदा की थी। वहीं वुछ आलोचकों का कहना है कि वे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का कोईं रोडमैप पेश नहीं कर सके। सबसे पहली बात नवाज शरीफ के संबोधन के खास बिदुओं की। नवाज शरीफ लाहौर के ग्रोट इकबाल पार्व में अपने समर्थकों से मिले। कईं सालों के बाद वे पहली बार अपने समर्थकों से मुखातिब थे। यहां पूरे पाकिस्तान से उनके समर्थक जुटे थे। समर्थकों में नवाज शरीफ की एक झलक पाने का उत्साह साफ दिखा। जब नवाज शरीफ स्टेज पर पहुंचे तो उनकी आंखों में भी आंसू दिखाईं दिए। नवाज ने अपने समर्थकों के साथ प्यार और अटूट रिश्ते के बारे में बताते हुए कहा कि आप लोगों को देखने के बाद मैं अपना सब दुख और दर्द भूल चुका हूं। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि 2017 के बाद मिले वुछ जख्म कभी नहीं भर पाएंगे। उन्होंने गालिब के शेर को याद करते हुए कहा जिन्दगी अपनी वुछ इस शक्ल से गुजरी ‘गालिब’, हम भी क्या याद करेंगे कि खुदा रखते थे, कांपती हुईं आवाज में उन्होंने बताया कि निर्वासन होने के चलते वे अपने पिता, मां और पत्नी के पार्थिव शरीर को कब्र में उतार नहीं पाए। उनकी राजनीति की कीमत उनके परिवार वालों को चुकानी पड़ी। उन्होंेने ये भी बताया कि जेल से उन्हें उनकी मर रही पत्नी से बात करने तक की अनुमति नहीं मिली और यह भी बताया कि किस तरह से उनकी बेटी को उनके सामने हिरासत में लिया गया। अपने संबोधन में बार-बार यह दोहराया कि वे इन सबका कोईं बदला नहीं चाहते हैं। उन्होंने तो सेना और न ही न्यायाधीशों के प्राति किसी कटु शब्द का इस्तेमाल किया। हालांकि उन्होंने माना कि सेना और न्यायाधीशों की साजिशों के वे शिकार हुए थे। उन्होंने राजनीति में अपने चालीस वर्ष के अनुभवों का जिव््रा करते हुए कहा कि इसका सार यही है कि संवैधानिक दायरे में सभी हिस्सेदारों को एकजुट होकर काम करने पर ही कोईं भी देश प्रागति कर सकता है। उन्होंने कहा हमें एक नईं शुरुआत करनी होगी। उन्होंने अपने संबोधन में धुर विरोधी इमरान खान का नाम केवल एक बार लिया और कहा कि वे अपने प्रातिद्वंद्वियों का नाम लेकर उनकी जैसी अशिष्टता नहीं दिखाना चाहते हैं। ——अनिल नरेन्द्र

No comments:

Post a Comment