Saturday, 14 October 2023

क्या वसुंधरा को किनारे करना महंगा पड़ेगा?

ऐसी चर्चाएं पहले से तेज थी लेकिन प्राधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लगातार दो जन सभाओं में मानों उन पर मुहर लगा दी। वह जिस खुली जीप पर सवार होकर आए, उनके साथ सिर्प भाजपा के प्रादेश अध्यक्ष और सांसद सीपी जोशी थे, पूर्व मुख्यमंत्री और प्रादेश की प्राभावशाली नेता वसुंधरा राजे नहीं थीं। मंच का संचालन दीया वुमारी कर रही थीं। मंच पर प्रादेश भाजपा की कईं महिला नेता भी मौजूद थीं। दीया वुमारी की संघनिष्ठ पर नेताओं का अप्रात्याशित समर्थन भी पाटा के पुराने पहरेदारों को चौंका रहा है। प्राधानमंत्री ने जयपुर की सभा में न तो पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का जिव््रा किया और न ही उनके नेतृत्व वाली पूर्ववर्ता भाजपा सरकार की उपलब्धियों का। राजस्थान में चेहरा विहीन भाजपा की इस स्थिति को लेकर चर्चाएं छिड़ गईं हैं। भाजपा ने नईं संसद के पहले ही सत्र में नारी शक्ति वंदन विधेयक को दोनों सदनों में पारित करवाया है। ऐसे समय में प्रादेश की एक ताकतवर महिला नेता अगर अग्राणी भूमिका में नहीं दिख रही हैं तो जाहिर है लोगों का ध्यान उस पर जाएगा ही। हैरान करने वाली बात यह है कि एक मनोभावों नेता की तरह वे अपने गुस्से और मान अनुभवों को लगातार पी रही हैं। उन्होंने अब तक ऐसी कोईं प्रातिव््िराया सार्वजनिक तौर पर नहीं दी है, जिसकी उम्मीद उनसे बहुत से राजनीतिक खेमे ने लगाईं हुए है। राजस्थान की राजनीति में करीब दस साल पहले अपने एक प्रातिद्वंद्वी को दी अशोक गहलोत की एक नसीहत याद करें। जो नेता इन प्रादेश में जहर पीना सीख जाता है। वह कामयाब हो जाता है और जो नहीं पी सकता वह दरकिनार हो जाता है। वुछ लोग मान रहे हैं कि वसुंधरा इस समय गहलोत की पुरानी सलाह पर अमल कर रही हैं। प्राधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सारे कयासों को दरकिनार करते हुए सोमवार को चित्ताैड़गढ़ के सांवरिया सेठ में हुईं सभा में साफ कहा, इस विधानसभा चुनाव में सिर्प एक ही चेहरा है और वह है कमल, हमारा उम्मीदवार सिर्प कमल है। इसलिए एकजुटता के साथ कमल को जिताने के लिए भाजपा कार्यंकर्ता काम करें। मौजूदा राजनीतिक परिप्रोक्ष्य में अब प्राश्न उठ खड़ा हुआ है कि भाजपा ने राज्य में किसी को मुख्यमंत्री का चेहरा क्यों नहीं बनाया है? इसके पीछे क्या वजह है? वसुंधरा राजे की अपेक्षा क्यों हो रही है? क्या यह स्थिति भाजपा के पक्ष में जाएगी? संघ और भाजपा के नेता अब पाटा को एक नए चरित्र में ढालने तो जा रही है, पाटा संगठन में वो जनरेशन शिफ्ट भी कर रहे हैं। एक प्रामुख संघनिष्ठ भाजपा नेता का कहना है, मोदी देश भर में अमृतकाल की टीम तैयार कर रहे हैं, जो 2047 में पाटा को अभूतपूर्व कामयाबी के दौर में ले जाए और आज जो चेहरे तय हो रहे हैं, वे अगले 25 साल के लिए होंगे। इसलिए अभी और बदलाव देखने को मिलेंगे। संघ के पुराने नेता व भाजपा में कईं राजनीतिक पीढ़ियों का उतार-चढ़ाव देख चुके एक अनुभवी संघी कहते हैं, देश हो या प्रादेश, अच्छे परिवर्तन हो रहे हैं। नए लोग आने ही चाहिए, नए तभी आएंगे, जब पुराने अपने अनुभवों से और नए अपने काम से संगठन को मजबूत बनाएंगे। एमएलए हो या एमपी तीन बार से अधिक मौका नहीं दिया जाना चाहिए, तभी तो युवा आगे आएंगे। प्रादेश में एक बार कांग्रोस और एक बार भाजपा वाले हिसाब से देखा जाए तो इस बार भाजपा की बारी है, ऐसे में भाजपा आलाकमान ने वसुंधरा जैसी ताकतवर नेता को दरकिनार करने का जो निर्णय लिया है वह कहीं भाजपा को भारी न पड़ जाए।

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