Sunday 29 October 2023

गाजा में इजरायली सेना की चुनौतियां

सेना की चुनौतियां इजरायली सेना ने बीते बुधवार गाजा पट्टी के उत्तरी हिस्सों में घुसकर वुछ जगहों पर निशाना लगाया। इजरायली सेना ने कहा है कि कईं घंटों तक भले इस मिशन में उनका एक भी सैनिक घायल नहीं हुआ है। इजरायली सेना इस तरह के जमीनी हमले के लिए पिछले कईं दिनों से तैयारियां कर रही थी। इस दिशा में पिछले कईं दिनों से गाजा पट्टी से लगती इजरायली सीमा पर इजरायली सैनिक और सैन्य साजो-सामान इकट्ठा होता दिखा है। इजरायल के जमीनी हमले को लेकर लगातार आशंकाएं जताईं जा रही थीं। हालांकि इसे एक बेहद जोखिमपूर्ण और अनिाितताओं से भरा अभियान बताया जा रहा था। बीबीसी अरबी सेवा के पेरास गिलानी ने मध्य पूर्व कईं मुद्दों को कवर किया है। उन्होंने पिछले कईं मौकों पर गाजा से रिपोर्ट की है। हमास ने सुरंगों का एक विशाल नेटवर्व बनाने के लिए गाजा पट्टी की जमीन को खोखला कर दिया है। हमास की ओर से खोदी गईं सुरंगें सैंकड़ों किलोमीटर तक फैली हुईं हैं। इन सुरंगों के जरिए हमास गाजा की संकरी और घनी आबादी वाली सड़कों के नीचे से सामान ले जाते हैं। यह काम पकड़ में भी नहीं आता है। इजरायल के प्राधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू ने 7 अक्टूबर के हमले के बाद हमास को वुचलने और खत्म करने की कसम खाईं है। इस हमले में 1400 से अधिक इजरायली मारे गए हैं। हमास के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक गाजा पर इजरायली सेना के हवाईं हमलों में अब तक करीब सात हजार लोग मारे जा चुके हैं। बुधवार को ही इन हमलों में 500 लोगों की मौत हुईं है। हमास के हथियार गाजा पर इजरायल के जमीनी हमले के बाद से ये सुरंगे हमास की युद्ध रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन जाएंगी। जमीनी हमले की आशंका के बाद से हमास भोजन, पानी और हथियार जमा कर रहा होगा। माना जाता है कि हमास की कईं सुरंगे इजरायल तक पैली हुईं हैं। हमास के लड़ाके इनके जरिए इजरायली सैनिकों पर घात लगाकर हमले कर सकते हैं। इजरायल का मानना है कि हमास को 30000 सैनिक स्वचालित राइफल, हैंड ग्रोनेड और एंटीटैंक मिसाइल चलाने में माहिर हैं। हमास को फिलस्तीनी इस्लामिक जिहाद और छोटे इस्लामिक गुटों जैसे अन्य समूहों का भी समर्थन हासिल है। मौसूल में इराकी सुरक्षा बलों और आईंएस के लड़ाकों के बीच लड़ाईं करीब 9 महीने चली थी। हाल के इतिहास ने हमें यह दिखाया है कि शहरी क्षेत्र में लड़ाईं कितनी खतरनाक हो सकती है। एक बड़ा खतरा है वो है निशाने बाजों का जो पूरे शहर की इमारतों और मलबे के बीच में घिरे रहते हैं और दुश्मन के सैनिकों को चुन-चुन कर निशाना बनाते हैं। इजरायली सेना के हमास के प्राशिक्षित निशानेबाजों से लड़ने का भारी जोखिम उठाने या उन्हें रोकने के लिए इमारतों को ऊपर से पूरी तरह समतल करने के विकल्प का सामना करना पड़ सकता है, अतीत में लोगों को ओर भी दूर भेजने के लिए सौदे किए गए हैं। साल 1982 में फिलस्तीन मुक्ति संगठन लेबनान की राजधानी बेरूत छोड़ने पर सहमत हुआ था। जहां उसे इजरायली सेना ने 3 महीने से घेरा हुआ था। वे अलग-अलग देशों में जाने पर सहमत हुए थे। इस तरह का समझौता गाजा के लड़ाको और नागरिकों की मौतों को कम करने का एक रास्ता हो सकता है लेकिन यह बेहद मुश्किल है कि यह राजनीतिक रूप से वैसे अमल में लाया जा सकता है। फिलस्तीनी लोग अपना वतन और जमीन छोड़ने पर कभी भी तैयार नहीं होंगे। इसलिए फिलहाल लड़ाईं जारी रहेगी। ——अनिल नरेन्द्र

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