Sunday, 29 October 2023

8 पूर्व सैनिकों को जासूसी के आरोप में मृत्युदंड

कतर की एक अदालत द्वारा बृहस्पतिवार को भारत के आठ पूर्व सैनिकों को मौत की सजा सुनाया जाना स्तब्ध और विचलित करने वाली है। इन सभी को पिछले साल अगस्त में इजरायल के लिए एक पनडुब्बी कार्यंव््राम पर जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। हाल की कतर प्राशासन की तरफ से इन पर लगे आरोपों को सार्वजनिक नहीं किया गया है। अल दहरा वंपनी के लिए काम करने वाले जिन पूर्व नौसैनिकों को सजा सुनाईं गईं है, उनमें वैप्टन नवतेज सिह गिल, वैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर पूण्रेंदु तिवारी, वैप्टन बीरेन्द्र वुमार वर्मा, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता, कमांडर अमित नागपाल और नाविक रागेश गोपावुमार शामिल हैं। अल दहरा एक ओमात्री नागरिक और रॉयल ओमानी वायुसेना के पूर्व अधिकारी के स्वामित्व वाली रक्षा सेवा प्रादाता वंपनी है। भारतीय नौसैनिकों को मौत की सजा सुनाईं जाने की जानकारी विदेश मंत्रालय की तरफ से दी गईं है। मंत्रालय ने बताया, हमारे पास अभी बस शुरुआती जानकारी आईं है कि कतर की कोर्ट फस्र्ट इंस्टांस ने इस मामले में सजा सुनाईं है। बयान में कहा गया है कि इन भारतीयों को फांसी की सजा से हम हतप्राभ हैं और ब्यौरे का इंतजार कर रहे हैं। इन आठ लोगों को बीते साल अक्टूबर में कतर में गिरफ्तार किया गया था। 26 अक्टूबर 2023 को कोर्ट ने इन्हें मौत की सजा सुनाईं है। स्थानीय मीडिया में आ रही रिपोर्टो के अनुसार इन पर इजरायल के लिए कतर के सबमरीन कार्यंव््राम की जासूसी करने का आरोप है। हालांकि अब तक कतर ने इस पर कोईं टिप्पणी नहीं की है। न तो भारत ने और न ही कतर ने इन लोगों पर लगे आरोपों के बारे में जानकारी दी है। पिछले साल 25 अक्टूबर को मीतू भार्गव नाम की एक महिला ने एक्स पर पोस्ट कर बताया था कि भारतीय सेना के आठ पूर्व अधिकारियों को दोहा में बीते 5-7 दिनों से रखा गया है। उन्होंेने भारत सरकार से इस मामले में जल्द कार्रवाईं की मांग की थी। मीतू 64 वषाय कमांडर (रिटायर्ड) पूर्णेदु तिवारी की बहन है। कतर प्राशासन ने अगस्त 2022 को 8 पूर्व नौसैनिकों को हिरासत में लिया था, लेकिन महीनों बाद तक यह नहीं बताया कि उन्हें किस आरोप में पकड़ा है। विदेश मंत्रालय की पहल पर यह मामला सुर्खियों में आ गया। तब कतर ने उन पर इजरायल के लिए जासूसी का आरोप मढ़ दिया। भारतीय नागरिकों पर लगे जासूसी के आरोप का इसलिए कोईं मूल्यमहत्व नहीं, क्योंकि वे कतर स्थित जिस वंपनी में काम कर रहे थे, वह ओमान के एक नागरिक की थी। कतर का भारत विरोधी रवैया नया नहीं है। भारत और कतर के संबंधों में हाल-फिलहाल मधुरता कम ही दिखी है। दोनों देशों के रिश्तों के बीच खटास हाल में तब दिखी जब पिछले साल जून में बीते दिनों भाजपा नेता नुपूर शर्मा ने पैंगेंबर मोहम्मद के खिलाफ विवादास्पद टिप्पणी की थी। कतर पहला देश था जिसने इसकी आलोचना की थी। उस दौरान भारतीय राजदूत को कतर सरकार की ओर से समन तक जारी किया गया था। उसने दोहा में पुटबाल विश्वकप के दौरान भारत से भागे जिहादी प्राचारक जाकिर नाइक की खातिरदारी की थी और नुपूर शर्मा के मामलों को भी तूल दिया था। अब जरूरी यह है कि भारत सरकार किसी भी तरह इन बंधक नौसैनिकों को बचाए। वूटनीतिक प्रायासों के साथ-साथ कानूनी दांवपेच सभी का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। हो सके तो प्राधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी इसमें सीधा हस्तक्षेप करना चाहिए।

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