Tuesday, 24 October 2023

मनमजा से गिरफ्तार नहीं कर सकती ईंडी

पिछले वुछ समय से प्रावर्तन निदेशालय यानि ईंडी विवादों में पंसी हुईं है। अदालतें कईं केसों में ईंडी को उसकी अधिकार सीमा की याद कराती है। ताजा केस धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा-19 को लेकर है। दिल्ली हाईंकोर्ट ने गुरुवार को कहा कि पीएमएलए की धारा-19 के तहत किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने की प्रावर्तन निदेशालय (ईंडी) के पास असीमित अधिकार नहीं है। कोर्ट की यह टिप्पणी आशीष मित्तल नामक व्यक्ति द्वारा एडुकॉम्प मामले में ईंसीआईंआर को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाईं के दौरान आईं। मामले की सुनवाईं के दौरान न्यायमूर्ति अनुप भंभानी अंसारी ने कहा कि किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने से पहले एजेंसी को सबसे पहले उचित विश्वास रखना चाहिए कि गिरफ्तार किया गया व्यक्ति पीएमएलए के तहत अपराध का दोषी है, न कि किसी अन्य अधिनियम के तहत, दूसरा ऐसे विश्वास के कारणों को लिखित रूप में दर्ज किया जाना चाहिए और तीसरा ऐसा विश्वास उस सामग्री पर आधारित होना चाहिए जो कि आरोपी के पास है। कोर्ट ने यह भी कहा कि पीएमएलए की धारा-50 के तहत समन जारी करने की ईंडी की शक्तियों में गिरफ्तारी की शक्तियां शामिल नहीं हैं। न्यायमूर्ति भंभानी ने आगे कहा कि ईंडी द्वारा गिरफ्तारी की आशंका वाला व्यक्ति अग््िराम जमानत के लिए आवेदन कर सकता है। भले ही उसे प्रावर्तन मामले की सूचना रिपोर्ट या अभियोजन शिकायत में आरोपी के रूप में नामित नहीं किया गया हो। न्यायमूर्ति भंभानी ने वी सेंथिल बनाम बालाजी बनाम राज्य मामले में सुप्रीम कोर्ट के पैसले का हवाला दिया और कहा कि पीएमएलए की धारा 19(1) का अनुपालन न करने से गिरफ्तारी ही रद्द हो जाएगी और धारा 19(2) का अनुपालन एक महत्वपूर्ण कार्यं है जिसमें कोईं अपवाद नहीं है। कोर्ट ने यह टिप्पणीे आशीष मित्तल नामक व्यक्ति द्वारा एडुकॉम्प मामले में ईंसीआईंआर को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाईं के दौरान की। याचिका में यह निर्देश देने की मांग की गईं थी कि ईंडी को उनकी स्वतंत्रता को कम करने के लिए उनके खिलाफ कोईं भी कठोर कदम उठाने से रोका जाए। याचिका में कहा गया था कि इस बात की प्राबल आशंका है कि ईंडी द्वारा अवैध रूप से हिरासत में लिया जाएगा या गिरफ्तार किया जाएगा और वंपनी के मुख्य प्रामोटरों/कथित मुख्य लाभार्थियों के हितों की रक्षा के लिए बलि का बकरा बनाया जाएगा। वहीं ईंडी ने याचिका पर प्रारंभिक आपत्ति जताईं और तर्व दिया कि वर्तमान याचिका दायर करने का कारण केवल पीएमएलए की धारा-50 के तहत जारी समन था और इससे अधिक वुछ नहीं, और यह स्थापित कानून है कि समन पर रोक लगाने या रद्द करने की मांग वाली रिट याटिका सुनवाईं योग्य नहीं है। कायदे से धनशोधन के मामले में प्रावर्तन निदेशालय को किसी भी व्यक्ति के खिलाफ तब तक गिरफ्तारी का कदम नहीं उठाना चाहिए जब तक कि उसका दोष सिद्ध न हो जाए। मगर ऐसे कईं उदाहरण हैं, जब उसने लोगों को सलाखों के पीछे भेज दिया। धनशोधन गंभीर निसंदेह गंभीर समस्या है और यह किसी बात नहीं है राजनीतिक संरक्षण में भ्रष्टाचार से जमा किया हुआ बहुत सारा पैसा सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया जाता है। निाित रूप से इस पर अंवुश लगना चाहिए। अगर इसका तरीका पारदशा हो, निष्पक्ष हो तभी जांच एजेंसियों की विश्वसनीयता कायम रह पाती है। चुनिदा लोगों को लक्ष्य बनाकर अगर कार्रवाईं की जाएगी तो स्वाभाविक ही इस पर उंगुलियां उठेंगी।

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