Tuesday, 31 October 2023

और ताकतवर हुए मनोहर लाल

भारतीय जनता पाटा (भाजपा) ने अपनी हरियाणा इकाईं के संगठन में बदलाव करते हुए शुव््रावार को पाटा सांसद नायब सिह सैनी को प्रादेश अध्यक्ष बनाया, जबकि अभी तक इस जिम्मेदारी को संभाल रहे ओम प्राकाश धनखड़ को राष्ट्रीय सचिव नियुक्त किया गया है। पाटा की ओर से जारी एक आधिकारिक बयान में इन नियुक्तियों की घोषणा की गईं। बयान में कहा गया, यह नियुक्ति तत्काल प्राभाव से लागू होगी। इस घोषणा के बाद धनखड़ ने एक्स पर किए गए एक ट्वीट के जरिए भाजपा के वेंद्रीय नेतृत्व से लेकर बूथ स्तर तक के नेतृत्व को धन्यवाद किया। उन्होंने कहा, आप सबने संगठन कार्यं हेतु परिश्रम की पराकाष्ठा की। दिल की गहराइयों से आभार, नमन, आपकी मेहनत को प्राणाम। धनखड़ हरियाणा सरकार में मंत्री रहे हैं और कईं प्रामुख विभागों के कामकाज संभाल चुके हैं। उन्होंने इस दायित्व के लिए नायब सिह सैनी को भी बधाईं दी। सैनी वुरुक्षेत्र से भाजपा के सांसद हैं। वह भाजपा के अन्य फिछड़ा वर्ग (ओबीसी) मोच्रे के उपाध्यक्ष भी हैं। पहली बार के सांसद सैनी (50) की नियुक्ति से पाटा को ओबीसी समुदाय के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने में मदद मिल सकती है, क्योंकि जाटों का समर्थन बड़े पैमाने पर कांग्रोस, जननायक जनता पाटा (जेजेपी) और इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के बीच बंटा हुआ है। नायब सिह सैनी की नियुक्ति से स्पष्ट हो गया है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल को भाजपा हाईंकमान ने और ज्यादा ताकतवर बना दिया है। मुख्यमंत्री की पसंद का अध्यक्ष देकर यह स्पष्ट संदेश दिया है कि पाटा मनोहर लाल के कामकाज से खुश है और वह हरियाणा में तीसरी बार सरकार बनाने के लिए मनोहर लाल को प्री हैंड दे रही है। नायब सैनी की प्रादेशाध्यक्ष पद पर नियुक्ति कराकर मनोहर लाल ने दिल्ली में अपनी पैठ और मजबूत कर ली है। इस नियुक्ति से मनोहर लाल विरोधी नेताओं को सांप सूंघ गया है। ——अनिल नरेन्द्र

हीरानंदानी को दिया था लॉग-इन-पासवर्ड

महुआ मोइत्रा ने माना हीरानंदानी को दिया था लॉग-इन-पासवर्ड। मोइत्रा ने एक अंग्रोजी अखबार से कहा है कि उन्होंने अपने मित्र और बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी को संसद का अपना लॉग-इन-पासवर्ड दिया था। हालांकि उन्होंने इस बात से इंकार किया कि उन्होंने इसके लिए उनसे वैश या महंगे तोहपे लिए थे। अखबार द इंडियन एक्सप्रोस को दिए एक इंटरव्यू में महुआ मोइत्रा ने कहा कि कोईं भी सांसद अपना सवाल खुद टाइप नहीं करता। मैंने उन्हें (दर्शन) को पासवर्ड और लॉग-इन दिया था ताकि उनके दफ्तर में कोईं कर्मचारी सवाल टाइप करके अपलोड कर दे। उन्होंने कहा, सवाल अपलोड करते वक्त फोन पर एक ओटीपी आता है। इसके लिए मेरा फोन नंबर दिया गया है.. ऐसे में ये सवाल नहीं उठता कि दर्शन या फिर कोईं और मेरी जानकारी के बिना सवाल अपलोड कर सकते थे। सीबीआईं को दी अपनी शिकायत में सुप्रीम कोर्ट के वकील जय अनंत देहाद्राईं ने महुआ मोइत्रा पर संसद में पैसे लेकर सवाल पूछने का आरोप लगाया था। देहाद्राईं शिकायत के आधार पर बीजेपी सांसद निशिकांत दुबे ने महुआ मोइत्रा पर आरोप लगाया कि हीरानंदानी समूह के सीईंओ दर्शन हीरानंदानी से वैश और महंगे तोहफों को लेकर संसद में सवाल पूछती हैं। उन्होंने लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला से महुआ मोइत्रा को निलंबित करने की मांग भी की। इस मामले को लेकर संसद की एथिक्स कमेटी जांच कर रही है। शुव््रावार को महुआ मोइत्रा ने एथिक्स कमेटी को एक पत्र लिखकर कहा कि वो 31 अक्टूबर को कमेटी के सामने पेश नहीं हो पाएंगी। बल्कि 5 नवम्बर को आ सवेंगी। अडानी समूह को लेकर उन्होंने माना कि संसद में पूछे गए उनके 9 सवाल अडानी समूह से जुड़े थे। उन्होंने अखबार से कहा कि सवाल एकदम वाजिब थे और राष्ट्रीय हित में थे। अडानी के खिलाफ सवाल पूछने के लिए हीरानंदानी से पैसे लेने के आरोप के बारे में उन्होंने कहा आप बताएं पैसे कहां है। मुख्य बात साबित करनी होगी कि इसमें आपसी मिलीभगत थी। दर्शन ने अपने हलफनामे में लिखा कि वो नरेन्द्र मोदी के बड़े पैन हैं, तो फिर उन्होंने अडानी पर हमला क्यों किया? मेरे सवालों को लेकर देहाद्राईं ने जो विश्लेषण दिया है वो मजाक है। उन्होंने देहाद्राईं की शिकायत को पूरी तरह से फजा बताया और कहा, अपने निजी रिश्तों में नाकाम रहे एक व्यक्ति का इस्तेमाल एक फजा शिकायत दर्ज कराने में किया और मेरे एक दोस्त (दर्शन) के सिर पर बंदूक तानकर उनसे ये करवाया। लेकिन चीजें मेल तो खानी चाहिए.. ये काम अधूरा पड़ गया है। उन्होंने कहा हमारे पास हीरानंदानी का एक हलफनामा है लेकिन उसमें वैश था कोईं जिव््रा नहीं है। हीरानंदानी से मिले महंगे तोहफों के बारे में उन्होंने कहा, जहां तक मुझे याद है दर्शन हीरानंदानी ने मेरे जन्मदिन पर मुझे एक हमैस स्कार्प दिया था। मैंने उनसे बॉबी बराउन मेकअप सैट मांगा था लेकिन उन्होंने मुझे एक मैक आईं शैडो और लिपस्टिक दिया। उन्होंने आगे अखबार को कहा कि जब भी वो मुंबईं या दुबईं में होती थी दर्शन हीरानंदानी की कार उन्हें एयरपोर्ट से पिक और ड्रॉप करती थीं। उन्होंने कहा मैं ये स्वीकार करती हूं कि निजी रिश्ते चुनने के मामले में मैंने गलती की है, लोगों को चुनने के मामले में मेरा टेस्ट खराब है। मैं मानती हूं कि मैं इसकी दोषी हूं और मुझे इससे जल्द बाहर आना चाहिए। तृणमूल कांग्रोस से समर्थन मिलने पर महुआ ने जवाब दिया मैं पाटा की वफादार सेवक हूं और मरते दम तक रहूंगी। ममता बनर्जा मेरी मां की तरह हैं।

Sunday, 29 October 2023

गाजा में इजरायली सेना की चुनौतियां

सेना की चुनौतियां इजरायली सेना ने बीते बुधवार गाजा पट्टी के उत्तरी हिस्सों में घुसकर वुछ जगहों पर निशाना लगाया। इजरायली सेना ने कहा है कि कईं घंटों तक भले इस मिशन में उनका एक भी सैनिक घायल नहीं हुआ है। इजरायली सेना इस तरह के जमीनी हमले के लिए पिछले कईं दिनों से तैयारियां कर रही थी। इस दिशा में पिछले कईं दिनों से गाजा पट्टी से लगती इजरायली सीमा पर इजरायली सैनिक और सैन्य साजो-सामान इकट्ठा होता दिखा है। इजरायल के जमीनी हमले को लेकर लगातार आशंकाएं जताईं जा रही थीं। हालांकि इसे एक बेहद जोखिमपूर्ण और अनिाितताओं से भरा अभियान बताया जा रहा था। बीबीसी अरबी सेवा के पेरास गिलानी ने मध्य पूर्व कईं मुद्दों को कवर किया है। उन्होंने पिछले कईं मौकों पर गाजा से रिपोर्ट की है। हमास ने सुरंगों का एक विशाल नेटवर्व बनाने के लिए गाजा पट्टी की जमीन को खोखला कर दिया है। हमास की ओर से खोदी गईं सुरंगें सैंकड़ों किलोमीटर तक फैली हुईं हैं। इन सुरंगों के जरिए हमास गाजा की संकरी और घनी आबादी वाली सड़कों के नीचे से सामान ले जाते हैं। यह काम पकड़ में भी नहीं आता है। इजरायल के प्राधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू ने 7 अक्टूबर के हमले के बाद हमास को वुचलने और खत्म करने की कसम खाईं है। इस हमले में 1400 से अधिक इजरायली मारे गए हैं। हमास के स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक गाजा पर इजरायली सेना के हवाईं हमलों में अब तक करीब सात हजार लोग मारे जा चुके हैं। बुधवार को ही इन हमलों में 500 लोगों की मौत हुईं है। हमास के हथियार गाजा पर इजरायल के जमीनी हमले के बाद से ये सुरंगे हमास की युद्ध रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन जाएंगी। जमीनी हमले की आशंका के बाद से हमास भोजन, पानी और हथियार जमा कर रहा होगा। माना जाता है कि हमास की कईं सुरंगे इजरायल तक पैली हुईं हैं। हमास के लड़ाके इनके जरिए इजरायली सैनिकों पर घात लगाकर हमले कर सकते हैं। इजरायल का मानना है कि हमास को 30000 सैनिक स्वचालित राइफल, हैंड ग्रोनेड और एंटीटैंक मिसाइल चलाने में माहिर हैं। हमास को फिलस्तीनी इस्लामिक जिहाद और छोटे इस्लामिक गुटों जैसे अन्य समूहों का भी समर्थन हासिल है। मौसूल में इराकी सुरक्षा बलों और आईंएस के लड़ाकों के बीच लड़ाईं करीब 9 महीने चली थी। हाल के इतिहास ने हमें यह दिखाया है कि शहरी क्षेत्र में लड़ाईं कितनी खतरनाक हो सकती है। एक बड़ा खतरा है वो है निशाने बाजों का जो पूरे शहर की इमारतों और मलबे के बीच में घिरे रहते हैं और दुश्मन के सैनिकों को चुन-चुन कर निशाना बनाते हैं। इजरायली सेना के हमास के प्राशिक्षित निशानेबाजों से लड़ने का भारी जोखिम उठाने या उन्हें रोकने के लिए इमारतों को ऊपर से पूरी तरह समतल करने के विकल्प का सामना करना पड़ सकता है, अतीत में लोगों को ओर भी दूर भेजने के लिए सौदे किए गए हैं। साल 1982 में फिलस्तीन मुक्ति संगठन लेबनान की राजधानी बेरूत छोड़ने पर सहमत हुआ था। जहां उसे इजरायली सेना ने 3 महीने से घेरा हुआ था। वे अलग-अलग देशों में जाने पर सहमत हुए थे। इस तरह का समझौता गाजा के लड़ाको और नागरिकों की मौतों को कम करने का एक रास्ता हो सकता है लेकिन यह बेहद मुश्किल है कि यह राजनीतिक रूप से वैसे अमल में लाया जा सकता है। फिलस्तीनी लोग अपना वतन और जमीन छोड़ने पर कभी भी तैयार नहीं होंगे। इसलिए फिलहाल लड़ाईं जारी रहेगी। ——अनिल नरेन्द्र

8 पूर्व सैनिकों को जासूसी के आरोप में मृत्युदंड

कतर की एक अदालत द्वारा बृहस्पतिवार को भारत के आठ पूर्व सैनिकों को मौत की सजा सुनाया जाना स्तब्ध और विचलित करने वाली है। इन सभी को पिछले साल अगस्त में इजरायल के लिए एक पनडुब्बी कार्यंव््राम पर जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। हाल की कतर प्राशासन की तरफ से इन पर लगे आरोपों को सार्वजनिक नहीं किया गया है। अल दहरा वंपनी के लिए काम करने वाले जिन पूर्व नौसैनिकों को सजा सुनाईं गईं है, उनमें वैप्टन नवतेज सिह गिल, वैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर पूण्रेंदु तिवारी, वैप्टन बीरेन्द्र वुमार वर्मा, कमांडर सुगुनाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता, कमांडर अमित नागपाल और नाविक रागेश गोपावुमार शामिल हैं। अल दहरा एक ओमात्री नागरिक और रॉयल ओमानी वायुसेना के पूर्व अधिकारी के स्वामित्व वाली रक्षा सेवा प्रादाता वंपनी है। भारतीय नौसैनिकों को मौत की सजा सुनाईं जाने की जानकारी विदेश मंत्रालय की तरफ से दी गईं है। मंत्रालय ने बताया, हमारे पास अभी बस शुरुआती जानकारी आईं है कि कतर की कोर्ट फस्र्ट इंस्टांस ने इस मामले में सजा सुनाईं है। बयान में कहा गया है कि इन भारतीयों को फांसी की सजा से हम हतप्राभ हैं और ब्यौरे का इंतजार कर रहे हैं। इन आठ लोगों को बीते साल अक्टूबर में कतर में गिरफ्तार किया गया था। 26 अक्टूबर 2023 को कोर्ट ने इन्हें मौत की सजा सुनाईं है। स्थानीय मीडिया में आ रही रिपोर्टो के अनुसार इन पर इजरायल के लिए कतर के सबमरीन कार्यंव््राम की जासूसी करने का आरोप है। हालांकि अब तक कतर ने इस पर कोईं टिप्पणी नहीं की है। न तो भारत ने और न ही कतर ने इन लोगों पर लगे आरोपों के बारे में जानकारी दी है। पिछले साल 25 अक्टूबर को मीतू भार्गव नाम की एक महिला ने एक्स पर पोस्ट कर बताया था कि भारतीय सेना के आठ पूर्व अधिकारियों को दोहा में बीते 5-7 दिनों से रखा गया है। उन्होंेने भारत सरकार से इस मामले में जल्द कार्रवाईं की मांग की थी। मीतू 64 वषाय कमांडर (रिटायर्ड) पूर्णेदु तिवारी की बहन है। कतर प्राशासन ने अगस्त 2022 को 8 पूर्व नौसैनिकों को हिरासत में लिया था, लेकिन महीनों बाद तक यह नहीं बताया कि उन्हें किस आरोप में पकड़ा है। विदेश मंत्रालय की पहल पर यह मामला सुर्खियों में आ गया। तब कतर ने उन पर इजरायल के लिए जासूसी का आरोप मढ़ दिया। भारतीय नागरिकों पर लगे जासूसी के आरोप का इसलिए कोईं मूल्यमहत्व नहीं, क्योंकि वे कतर स्थित जिस वंपनी में काम कर रहे थे, वह ओमान के एक नागरिक की थी। कतर का भारत विरोधी रवैया नया नहीं है। भारत और कतर के संबंधों में हाल-फिलहाल मधुरता कम ही दिखी है। दोनों देशों के रिश्तों के बीच खटास हाल में तब दिखी जब पिछले साल जून में बीते दिनों भाजपा नेता नुपूर शर्मा ने पैंगेंबर मोहम्मद के खिलाफ विवादास्पद टिप्पणी की थी। कतर पहला देश था जिसने इसकी आलोचना की थी। उस दौरान भारतीय राजदूत को कतर सरकार की ओर से समन तक जारी किया गया था। उसने दोहा में पुटबाल विश्वकप के दौरान भारत से भागे जिहादी प्राचारक जाकिर नाइक की खातिरदारी की थी और नुपूर शर्मा के मामलों को भी तूल दिया था। अब जरूरी यह है कि भारत सरकार किसी भी तरह इन बंधक नौसैनिकों को बचाए। वूटनीतिक प्रायासों के साथ-साथ कानूनी दांवपेच सभी का इस्तेमाल किया जाना चाहिए। हो सके तो प्राधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को भी इसमें सीधा हस्तक्षेप करना चाहिए।

Friday, 27 October 2023

हमास की चाल में पंसे अमेरिका-इजरायल

हमास की वूटनीतिक चालों के आगे अमेरिका, इजरायल और हमास के पािमी देश पेल होते नजर आ रहे हैं। इतने दिनों से इजरायल गाजा पट्टी पर जमीनी कार्रवाईं करने के लिए पुल अलर्ट पर खड़ा है पर गाजा में घुसने की हिम्मत नहीं कर पा रहा है। लाखों सैनिक टैंक बख्तरबंद गािड़यां, विमान सभी पुल अलर्ट पर हैं पर गाजा पर जमीनी हमला करने से कतरा रहा है। हमास की वूटनीतिक समझबूझ के आगे यह सब पेल होते नजर आ रहे हैं। इस दौरान हमास ने न केवल सारी दुनिया के मुसलमानों की हमददा ले ली है बल्कि अमेरिका और चीन को भी आमने-सामने खड़ा कर दिया है। इजरायल और हमास के बीच चल रही जंग में दुख से कहना पड़ता है कि अब यह जंग धीरे-धीरे वल्र्ड वॉर की ओर बढ़ रही है। समय के साथ इजरायल, हमास, हिजबुल्ला जंग और भयावह हो रही है, जिसमें धीरे-धीरे दूसरे मुल्कों की भी एंट्री हो रही है। अमेरिका का जंगी बेड़ा इजरायल के नजदीक समुद्र में खड़े होकर पहरा दे रहा है और इस बीच अब चीन ने भी अपने युद्ध पोतों को मिडल ईंस्ट भेज दिया है। मीडिया रिपोट्र्स के मुताबिक इजरायल-गाजा युद्ध पर पहले तनाव के बीच चीन ने मध्य पूर्व में छह युद्धपोत भेजे हैं। गाजा पट्टी में इजरायल और हमास आतंकियों में युद्ध के बीच 6 चीनी युद्धपोत मध्य पूर्व में काम कर रहे हैं। दावा किया जा रहा है कि चीन की 44वीं नौसेना एस्कार्ट टास्क फोर्स मईं से इस क्षेत्र में नियमित संचालन में है। पिछले हफ्ते उन्होंने ओमान की यात्रा के दौरान सेना के साथ चीनी सैनिकों ने एक संयुक्त अयास किया था। यहां से चीनी नौसेना एस्कार्ट फोर्स 18 अक्टूबर की सुबह निर्धारित कार्यंव््राम के अनुसार वुवैत के शुदैस बंदरगाह पर पहुंची। टास्क फोर्स पीपुल्स लिबरेशन ईंस्टर्न थिएटर से बनाईं जा रही है और इसमें लिबो, एक टाइप 052 डी गाइडिड मिसाइल विध्वंसक प््िरागेट जिग झोऊ और एकीवृत आपूर्ति जहाज कियानदाओईं शामिल है। चीन की ओर से युद्धपोत तब तैनात किए गए हैं जब अमेरिका इजरायल को समर्थन देने के लिए अपने दो एयरव््राफ्ट वैरियर भेज चुका है। अमेरिका को डर है कि इस युद्ध में ईंरान समर्थित आतंकी भी शामिल हो सकते हैं। खाड़ी में युद्ध और न बढ़े इस वजह से अमेरिका ताकत बढ़ा रहा है। ए-16 बाचौग और एफ-15 ईं लड़ावू विमान पिछले हफ्ते कईं एडंवास विमानों के साथ इस क्षेत्र में पहुंचे। इसके अलावा अमेरिका ने 2000 सैनिकों को 24 घंटे के अंदर कभी भी तैनात करने के लिए पुल अलर्ट पर रखा है। चीन ने इजरायल और हमास के बीच की जंग से मिडल ईंस्ट में बड़े पैमाने पर लड़ाईं भड़कने के खतरे को लेकर चेतावनी दी है, चीन के विशेष दूत ने चेतावनी दी कि गाजा के हालात गंभीर हैं और बड़े पैमाने पर जमीनी लड़ाईं का खतरा काफी बढ़ रहा है। जिसका असर क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बढ़ रहा है। संभावनाएं चिताजनक है। चीन ने कहा कि हम संयुक्त राष्ट्र और विपक्षी चैनलों के जरिए फिलस्तिनियों को आपातकालीन मानवीय सहायता देना जारी रखेंगे। अब चीन और अमेरिका आमने-सामने हैं और उम्मीद करें कि टकराव टल जाए नहीं तो..? ——अनिल नरेन्द्र

नरक से होकर आईं हूं

हमास के कब्जे से रिहा होने के बाद 85 साल की इजरायली नागरिक योचेवेद लिफशिट्ज कहती हैं, मैं नरक से होकर आईं हूं। दो हफ्ते तक बंधक रही, लिफशिट्ज और एक अन्य महिला नूरित कूपर को हमास ने सोमवार शाम को रिहा किया। रिहा होने के बाद लिफशिट्ज ने बताया कि हमास के बाइक सवार बंदूकधारियों ने उनका और उनके पति का अपहरण कर लिया था और उन्हें गाजा के नीचे बनी सुरंगों के मकड़जाल में ले गए थे। उन्होंने कहा कि यात्रा के दौरान उन्हें छड़ी से पीटा गया। लेकिन ज्यादातर बंधकों के साथ अच्छा बर्ताव किया गया। एक वीडियो में उन्हें रिहाईं से पहले हमास के बंदूकधारियों से हाथ मिलाते हुए दिखाया गया। इन्हें गाजा और मिरत्र के बीच रफा व््रासिग पर अंतर्राष्ट्रीय रेड व््राॉस को सौंपा गया। वह बंदूकधारी को शलोम कहते हुए नजर आती हैं। इस हिब्रू शब्द का अर्थ है - शांति। लिफाशिट्ज और उनके पति का 7 अक्टूबर को दक्षिणी इजरायल के किब्राव्ज से अपहरण कर लिया गया था। हमास ने किबुत्ज में तड़के हमला करके कोहराम मचा दिया था। यहां के हर चार में से एक व्यक्ति की जान चली गईं है या फिर उन्हें अगवा कर लिया गया है। इनमें बच्चे भी शामिल हैं। रिहाईं के चंद घंटों के बाद तेल अवीव के एक अस्पताल में पत्रकारों से बात करते हुए लिफशिट्ज ने बताया कि अपहरण के बाद उनके साथ क्या-क्या हुआ। उन्होंने बताया कि गाजा ले जाते समय उन्हें छड़ी से पीटा गया जिससे उन्हें चोटें आईं और सांस लेने में भी दिक्कत हुईं। उनकी बेटी शारोन पत्रकारों को अनुवाद करके बता रही थीं कि उनकी मां के साथ क्याक् या हुआ 85 साल की लिफशिट्ज ने कहा कि उन्हें वुछ किलोमीटर तक पैदल चलने को कहा गया जहां जमीन काफी गीली थी। शारोन ने कहा कि उनकी मां को गाजा के नीचे सुरंगों के एक बहुत बड़े नेटवर्व में ले जाया गया जो देखने में मकड़ी की जाल की तरह लग रहा था। वह बताती हैं कि उनकी मां समेत 25 बंधकों को सुरंग में ले जाया गया। इसके बाद बुजुर्ग लिफशिट्ज और किबुत्ज के 5 अन्य लोगों को अलग कमरे में ले जाया गया। एक अन्य बंधक का गाजा में इलाज किया गया जिसे वहां ले जाते समय बाइक का एक्सीडेंट होने के कारण चोटें आ गईं थीं। लिफशिट्ज कहती हैं कि वो इस बात का ख्याल रख रहे थे कि हम बीमार न पड़ें। हर दूसरे-तीसरे दिन डाक्टर की सुविधा दी जाती थी जो जरूरी दवाएं मुहैया कराते थे। शारोन ने बताया कि उनकी मां को वही खाना दिया जाता था जो हमास के गार्ड खाते थे। इसमें खमीरी ब्रेड, चीज और खीरा शामिल था। जब एक पत्रकार ने लिफशिट्ज से पूछा कि आपने बंदूकधारी से हाथ क्यों मिला तो उन्होंने जवाब दिया कि बंधक बनाने वालों ने उनके साथ अच्छा बर्ताव किया और बाकी बंधक भी अच्छी हालत में है। अब तक हमास ने वुल चार बंधक छोड़ें हैं इनमें अमेरिकी-इजरायली मां-बेटी जूडिय और नताली रानन भी शामिल हैं। जिन्हें शुव््रावार को रिहा किया गया था। इजरायल का कहना है कि हमास ने अभी भी 200 लोग बंधक बनाए हुए हैं। माना जा रहा है कि सोमवार रात को रिहा नूरित वूपर के पति भी इन बंधकों में शामिल हैं। इस बीच हमास शासित स्वास्थ्य मंत्रालय ने जानकारी दी है कि सात अक्टूबर से अब तक गाजा में 5,791 मौतें हुईं हैं और 700 लोग तो पिछले 24 घंटों में ही मारे गए हैं।

Thursday, 26 October 2023

नवाज शरीफ की घर वापसी

पाकिस्तान के पूर्व प्राधानमंत्री नवाज शरीफ चार साल बाद पाकिस्तान लौट आए हैं। उन्होंने अपनी वापसी के पहले ही दिन में अपने समर्थकों की एक बड़ी रैली को संबोधित किया। लाहौर कभी पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज गुट का गढ़ माना जाता था। लेकिन बाद में इमरान खान के समर्थन में दिखने लगा था। नवाज शरीफ की रैली से उनके सियासी भविष्य का संकेत मिलता है। अनुमान लगाया जा रहा था कि वे आने वाले दिनों में होने वाले चुनाव को देखते हुए अपनी पाटा के रुख को स्पष्ट करेंगे। अपने भाषण में उन्होंने स्पष्टता से कहा कि उनका बदले की राजनीति में कोईं भरोसा नहीं है और वे देश को आर्थिक विकास की राह पर आगे बढ़ाना चाहते हैं। पाकिस्तान के राजनीतिक विश्लेषक उनके नजरिए की तारीफ कर रहे हैं, वहीं वुछ विश्लेषकों का मानना है कि उन्होंने अपने संबोधन से देश के सैन्य प्रातिष्ठान को कड़ा संदेश दे दिया है। नवाज शरीफ का मानना यह है कि सेना ने उन्हें सत्ता से हटाने में अहम भूमिका अदा की थी। वहीं वुछ आलोचकों का कहना है कि वे पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का कोईं रोडमैप पेश नहीं कर सके। सबसे पहली बात नवाज शरीफ के संबोधन के खास बिदुओं की। नवाज शरीफ लाहौर के ग्रोट इकबाल पार्व में अपने समर्थकों से मिले। कईं सालों के बाद वे पहली बार अपने समर्थकों से मुखातिब थे। यहां पूरे पाकिस्तान से उनके समर्थक जुटे थे। समर्थकों में नवाज शरीफ की एक झलक पाने का उत्साह साफ दिखा। जब नवाज शरीफ स्टेज पर पहुंचे तो उनकी आंखों में भी आंसू दिखाईं दिए। नवाज ने अपने समर्थकों के साथ प्यार और अटूट रिश्ते के बारे में बताते हुए कहा कि आप लोगों को देखने के बाद मैं अपना सब दुख और दर्द भूल चुका हूं। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि 2017 के बाद मिले वुछ जख्म कभी नहीं भर पाएंगे। उन्होंने गालिब के शेर को याद करते हुए कहा जिन्दगी अपनी वुछ इस शक्ल से गुजरी ‘गालिब’, हम भी क्या याद करेंगे कि खुदा रखते थे, कांपती हुईं आवाज में उन्होंने बताया कि निर्वासन होने के चलते वे अपने पिता, मां और पत्नी के पार्थिव शरीर को कब्र में उतार नहीं पाए। उनकी राजनीति की कीमत उनके परिवार वालों को चुकानी पड़ी। उन्होंेने ये भी बताया कि जेल से उन्हें उनकी मर रही पत्नी से बात करने तक की अनुमति नहीं मिली और यह भी बताया कि किस तरह से उनकी बेटी को उनके सामने हिरासत में लिया गया। अपने संबोधन में बार-बार यह दोहराया कि वे इन सबका कोईं बदला नहीं चाहते हैं। उन्होंने तो सेना और न ही न्यायाधीशों के प्राति किसी कटु शब्द का इस्तेमाल किया। हालांकि उन्होंने माना कि सेना और न्यायाधीशों की साजिशों के वे शिकार हुए थे। उन्होंने राजनीति में अपने चालीस वर्ष के अनुभवों का जिव््रा करते हुए कहा कि इसका सार यही है कि संवैधानिक दायरे में सभी हिस्सेदारों को एकजुट होकर काम करने पर ही कोईं भी देश प्रागति कर सकता है। उन्होंने कहा हमें एक नईं शुरुआत करनी होगी। उन्होंने अपने संबोधन में धुर विरोधी इमरान खान का नाम केवल एक बार लिया और कहा कि वे अपने प्रातिद्वंद्वियों का नाम लेकर उनकी जैसी अशिष्टता नहीं दिखाना चाहते हैं। ——अनिल नरेन्द्र

गाजा, वेस्ट बैंक, सीरिया, लेबनान सभी निशाने पर

लेबनान सभी निशाने पर इजरायल के विमानों ने शनिवार रात भर और रविवार को पूरे गाजा में कईं जगह हमले किए। साथ ही उसने सीरिया में दमिश्क और अलेप्पो को एयरफोर्स और फिलस्तीनी क्षेत्र वेस्ट बैंक में एक मस्जिद पर हमला किया। कथित तौर पर इस मस्जिद का आतंकवादियों ने इस्तेमाल किया था। इजरायल ने लेबनान के हिजबुल्ला आतंकी गुट पर भी गोलाबारी की। हिजबुल्ला ने कहा है कि हमास के युद्ध में उसकी अहम भूमिका है। अगर इजरायल गाजा पट्टी पर जमीनी हमला करता है तो उसे इसकी भारी कीमत चुकानी होगी। हिजबुल्ला के उपनेता शेख नईंम कासिम का यह बयान उस वक्त आया जब इजरायल ने दक्षिणी लेबनान में बमबारी और ड्रोन से हमले किए। साथ ही हिजबुल्ला ने इजरायल की ओर राकेट और मिसाइलें दागी। हिजबुल्ला ने कहा कि हमले में शनिवार को उसके छह लड़ाके मारे गए जो दो हफ्ते पहले शुरू हुए युद्ध के बाद एक दिन में मारे गए लोगों की सबसे बड़ी संख्या है। उधर पूरी दुनिया में इजरायल द्वारा निदरेष फिलस्तीनियों पर हुए बर्बर हमले की निदा शुरू हो गईं है। साधारण फिलस्तीनी नागरिकों के मारे जाने से हाहाकार मच गया है। अब फिलस्तीनियों के लिए सब जगह से राहत सामग्री पहुंचने लगी है। भारत सरकार को यह अहसास हो गया लगता है कि उसने युद्ध में इजरायल का खुला समर्थन करके गलती की और अगले दिन ही उसने सुधार कर लिया और फिलस्तीनी लोगों के प्राति हमददा जाहिर कर दी। अब भारत ने इजरायल-हमास युद्ध के चलते खाने-पीने के सामान और दवाओं की कमी से जूझ रहे फिलस्तीनियों के लिए मानवीय मदद भेजी है। गाजियाबाद के हिडन एयरबेस से रविवार सुबह आठ बजे उड़ा भारतीय वायुसेना का सी-17 परिवहन विमान करीब 6.5 टन चिकित्सा सहायता और 32 टन आपदा राहत सामग्री लेकर शाम को मिरत्र की राजधानी काहिरा पहुंचा। भारत पहले ही स्पष्ट कर चुका है कि वह आतंकी संगठन हमास के खिलाफ इजरायल व निदरेष फिलस्तीनियों के साथ खड़ा है। इजरायल-हमास जंग के बीच अब गाजा की आखिरी उम्म्मीद डॉक्टर्स ही हैं। पिछले मंगलवार को गाजा के अल-अहली अरब अस्पताल पर एक हमले में करीब 500 लोगों की जान गईं थी। गाजा में खौफ सिर्प हवाईं हमलों का ही नहीं बल्कि यहां की चिकित्सक सुविधाओं के दम पर जान बचाने का भी है। जब यह जंग शुरू हुईं तब से बमबारी में 44 चिकित्साकर्मियों की मौत हो चुकी है और 77 से ज्यादा डॉक्टर घायल हैं। जब यह जंग शुरू हुईं थी तब गाजा के अस्पतालों में वुल 2500 बैड उपलब्ध थे। आज हालात यह हैं कि करीब 12500 घायल लोग अस्पतालों के दरवाजे पर हैं। क्षमता से 5 गुना ज्यादा संसाधनों की जरूरत है। गाजा में कईं अस्पताल बिना बिजली के काम कर रहे हैं, जिससे वहां काम करने वाले डॉक्टर्स को मोबाइल की लाइट पर निर्भर रहना पड़ रहा है। एनेस्थिसिया के बिना ही अस्पतालों के फर्श पर ही मरीजों की सर्जरी करनी पड़ रही है। लंदन से 9 अक्टूबर को गाजा पहुंचे डाक्टर कहते हैं कि मैं यहां शिफा अस्पताल में दिनभर आपरेशन थियेटर में रहता हूं और रात को यहीं स्ट्रेचर पर सोता हूं। अल अहली अरब अस्पताल में हमले के बाद यहां हजारों घायलों का सुविधाओं के अभाव में इलाज ढंग से नहीं हो पा रहा है। सेलफोन की रोशनी से आपरेशन करने पड़ रहे हैं। हम 7 दिनों में वुल 10 घंटे सो सके हैं।

Tuesday, 24 October 2023

सवालों में घिरी तृणमूल सांसद महुआ

संसद में सवाल के बदले रिश्वत लेने के मामले में तृणमूल सांसद महुआ मोइत्रा की मुश्किलें बढ़ गईं हैं। हीरानंदानी समूह के सीईंओ दर्शन हीरानंदानी ने बृहस्पतिवार को कहा कि महुआ ने प्राधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को बदनाम करने के लिए गौतम अडाणी पर निशाना साधा। हीरानंदानी पर अडाणी समूह के बारे में सवाल पूछने के लिए महुआ को भुगतान का आरोप लगा है। हीरानंदानी के निजी हलफनामे को उनके सरकारी गवाह बनने के रूप में देखा जा रहा है। हीरानंदानी के निजी हलफनामे को उनके सरकारी गवाह बनने के रूप में देखा जा रहा है। हीरानंदानी ने निजी हलफनामे के जरिए 12 बिदुओं में अपनी बात रखी है। हलफनामे में हीरानंदानी ने माना कि महुआ अडाणी पर निशाना साध सवें, इसलिए सांसद के लॉग-इन और पासवर्ड का इस्तेमाल कर रहे अडाणी के बारे में सूचनाएं दी। व्यवसायी का दावा है कि महुआ ने उनसे महंगी और विलासता की वस्तुओं की निरंतर मांग की। इनमें दिल्ली में उनके आधिकारिक बंगले को नवीनीकरण में सहायता, यात्रा खर्च और देश-विदेश की यात्राओं में मदद शामिल थी। हीरानंदानी ने आरोप लगाया कि मोदी को बदनाम करने के लिए गौतम अडाणी पर निशाना साधने में कईं पत्रकारों ने भी अपुष्ट सूचनाओं के जरिए महुआ की मदद की। उधर महुआ ने हीरानंदानी की स्वीकारोक्ति पर सवाल उठाया है। महुआ ने एक्स पर लिखा — हीरानंदानी ग्राुप ने तीन दिन पहले अधिकारिक विज्ञप्ति जारी कर सारे आरोपों को आधारहीन बताया था फिर 19 अक्टूबर को अनुमोदक हलफनामा (अप्राूवर एफिडेविट) दाखिल किया है। हीरानंदानी को अब तक सीबीआईं, लोकसभा एथिक्स कमेटी अथवा किसी जांच एजेंसी की ओर से समन नहीं किया गया है तो फिर उन्होंने किसे हलफनामा दिया है? जो बयान दिया है, वह उन्होंने लिखा है या फिर इसका मसौदा प्राधानमंत्री कार्यांलय ने तैयार किया है। बयान भी सपेद कागज पर लिखा है, अधिकारिक लैटर हैड पर नहीं। उनकी भी नोटरी भी नहीं हुईं है, सिर पर बंदूक ही ताने पर क्या हीरानंदानी जैसे उदृाोगपति इस तरह सपेद कागज पर हस्ताक्षर करेंगे। सांसद निशिकांत दुबे के अनुरोध पर लोकसभा अध्यक्ष ने उनके अनुरोध पत्र को आचार समिति को सौंप दिया। आचार समिति के चैयरमेन विनोद सोनकर ने कहा कि पहले सांसद निशिकांत दुबे के पत्र की जांच की जाएगी और हीरानंदानी के हलफनामे को परखा जाएगा। इनके बाद जरूरत पड़ी तो महुआ मोइत्रा को भी बुलाया जाएगा। महुआ के नियमों के उल्लघंन के सवालों पर सोनकर ने कहा कि मुझे लगता है कि मामला प्राथम दृष्टया से ऊपर चला गया है क्योंकि दर्शन हीरानंदानी ने खुद हलफनामा देकर पूरे मामले को साफ करने की कोशिश की है, बता दें कि निशिकांत दुबे ने महुआ मोइत्रा पर संसद में सवाल पूछने के लिए हीरानंदानी से पैसे और तोहपे लेने का आरोप लगाया था। दुबे ने लोकसभा अध्यक्ष को लिखे पत्र में कहा था कि हाल तक लोकसभा में महुआ के पूछे गए 61 सवालों में से 50 सवाल अडाणी समूह पर वेंद्रित थे। उधर दिल्ली हाईंकोर्ट में चल रहे महुआ द्वारा मानहानि केस में अदालत ने अगली सुनवाईं 31 अक्टूबर के लिए तय कर दी है। निशिकांत दुबे, हीरानंदानी द्वारा इस चव््राव्यूह में देखें, महुआ मोइत्रा वैसे बाहर निकलती हैं? ——अनिल नरेन्द्र

मनमजा से गिरफ्तार नहीं कर सकती ईंडी

पिछले वुछ समय से प्रावर्तन निदेशालय यानि ईंडी विवादों में पंसी हुईं है। अदालतें कईं केसों में ईंडी को उसकी अधिकार सीमा की याद कराती है। ताजा केस धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा-19 को लेकर है। दिल्ली हाईंकोर्ट ने गुरुवार को कहा कि पीएमएलए की धारा-19 के तहत किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने की प्रावर्तन निदेशालय (ईंडी) के पास असीमित अधिकार नहीं है। कोर्ट की यह टिप्पणी आशीष मित्तल नामक व्यक्ति द्वारा एडुकॉम्प मामले में ईंसीआईंआर को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाईं के दौरान आईं। मामले की सुनवाईं के दौरान न्यायमूर्ति अनुप भंभानी अंसारी ने कहा कि किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने से पहले एजेंसी को सबसे पहले उचित विश्वास रखना चाहिए कि गिरफ्तार किया गया व्यक्ति पीएमएलए के तहत अपराध का दोषी है, न कि किसी अन्य अधिनियम के तहत, दूसरा ऐसे विश्वास के कारणों को लिखित रूप में दर्ज किया जाना चाहिए और तीसरा ऐसा विश्वास उस सामग्री पर आधारित होना चाहिए जो कि आरोपी के पास है। कोर्ट ने यह भी कहा कि पीएमएलए की धारा-50 के तहत समन जारी करने की ईंडी की शक्तियों में गिरफ्तारी की शक्तियां शामिल नहीं हैं। न्यायमूर्ति भंभानी ने आगे कहा कि ईंडी द्वारा गिरफ्तारी की आशंका वाला व्यक्ति अग््िराम जमानत के लिए आवेदन कर सकता है। भले ही उसे प्रावर्तन मामले की सूचना रिपोर्ट या अभियोजन शिकायत में आरोपी के रूप में नामित नहीं किया गया हो। न्यायमूर्ति भंभानी ने वी सेंथिल बनाम बालाजी बनाम राज्य मामले में सुप्रीम कोर्ट के पैसले का हवाला दिया और कहा कि पीएमएलए की धारा 19(1) का अनुपालन न करने से गिरफ्तारी ही रद्द हो जाएगी और धारा 19(2) का अनुपालन एक महत्वपूर्ण कार्यं है जिसमें कोईं अपवाद नहीं है। कोर्ट ने यह टिप्पणीे आशीष मित्तल नामक व्यक्ति द्वारा एडुकॉम्प मामले में ईंसीआईंआर को रद्द करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाईं के दौरान की। याचिका में यह निर्देश देने की मांग की गईं थी कि ईंडी को उनकी स्वतंत्रता को कम करने के लिए उनके खिलाफ कोईं भी कठोर कदम उठाने से रोका जाए। याचिका में कहा गया था कि इस बात की प्राबल आशंका है कि ईंडी द्वारा अवैध रूप से हिरासत में लिया जाएगा या गिरफ्तार किया जाएगा और वंपनी के मुख्य प्रामोटरों/कथित मुख्य लाभार्थियों के हितों की रक्षा के लिए बलि का बकरा बनाया जाएगा। वहीं ईंडी ने याचिका पर प्रारंभिक आपत्ति जताईं और तर्व दिया कि वर्तमान याचिका दायर करने का कारण केवल पीएमएलए की धारा-50 के तहत जारी समन था और इससे अधिक वुछ नहीं, और यह स्थापित कानून है कि समन पर रोक लगाने या रद्द करने की मांग वाली रिट याटिका सुनवाईं योग्य नहीं है। कायदे से धनशोधन के मामले में प्रावर्तन निदेशालय को किसी भी व्यक्ति के खिलाफ तब तक गिरफ्तारी का कदम नहीं उठाना चाहिए जब तक कि उसका दोष सिद्ध न हो जाए। मगर ऐसे कईं उदाहरण हैं, जब उसने लोगों को सलाखों के पीछे भेज दिया। धनशोधन गंभीर निसंदेह गंभीर समस्या है और यह किसी बात नहीं है राजनीतिक संरक्षण में भ्रष्टाचार से जमा किया हुआ बहुत सारा पैसा सुरक्षित जगहों पर पहुंचाया जाता है। निाित रूप से इस पर अंवुश लगना चाहिए। अगर इसका तरीका पारदशा हो, निष्पक्ष हो तभी जांच एजेंसियों की विश्वसनीयता कायम रह पाती है। चुनिदा लोगों को लक्ष्य बनाकर अगर कार्रवाईं की जाएगी तो स्वाभाविक ही इस पर उंगुलियां उठेंगी।

Friday, 20 October 2023

खौफ की वो दास्तां जिसने देश को झकझोर दिया था

हैवानियत, वहशीपन और नृशंस्ता की हदें पार करने वाले निठारी कांड पर सोमवार सुबह 308 पेज का पैसला सुनाते हुए इलाहाबाद हाईं कोर्ट ने सीबीआईं जांच पर गंभीर सवाल उठाए। जस्टिस एसएएच रिजवी और जस्टिस अश्वनी मिश्रा की बैंच ने कहा कि निठारी कांड की जांच के लिए जिम्मेदार एजेंसी का रवैया जनता के साथ विश्वासघात से कम नहीं है। यह मामला इसलिए भी चिंताजनक है क्योंकि मासूम बच्चों और महिलाओं को अमानवीय तरीके से मारा गया। सुबूत जुटाने के बुनियादी मानदंडों का उल्लंघन हुआ। केन्द्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय द्वारा गठित उच्चस्तरीय कमेटी की अनुशंसा के बावजूद मानव अंग रैकेट की जांच नहीं की गईं, नौकर को राक्षस बनाकर पंसाने का आसान तरीका चुना गया। निठारी कांड ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया था। नोएडा के सेक्टर-31 स्थित निठारी गांव की कोठी नम्बर डी-5 में रहता था मोनिन्दर सिंह पंढेर और उसका नौकर सुरेन्द्र कोली मूल रूप से पंजाब का रहने वाला पंढेर साल 2000 में दिल्ली आया था और पत्नी बच्चों के साथ रहता था। 2003 में सुरेन्द्र कोली से मिला और उसे अपने यहां नौकर रख लिया। इसी के बाद पत्नी और बच्चे उसे छोड़कर चले गए। पंढेर अपनी कोठी पर कॉल गर्ल बुलाता था। एक बार कोली ने वहां आईं एक कॉल गर्ल से संबंध बनाने को कहा तो उसने वुछ ऐसा कह दिया जिससे कोली भड़क गया और उसकी हत्या करके लाश नाले में पेंक दी। उधर 8 फरवरी 2005 को 14 साल की एक लड़की रिम्पा हलदर के गायब होने की रिपोर्ट लिखाईं गईं। अगले ही महीने यानी मार्च 2005 में वुछ बच्चों को कोठी नम्बर डी-5 के पीछे नाले में एक प्लास्टिक बैग मिला, जिसमें लाश के टुकड़े थे। पुलिस ने किसी जानवर का अवशेष बताकर मामला रफा-दफा कर दिया। बवाल ज्यादा हुआ तो जांच सीबीआईं को सौंप दी गईं। इसके बाद 19 लड़कियों के वंकाल मिले। सीबीआईं ने पंढेर और कोली को गिरफ्तार कर लिया। जांच में पता चला कि सभी हत्याएं कोली ने की थी। वह सुबह 9 से शाम 4 बजे के बीच ड्राइंग रूम में मर्डर करता था। फिर लाश को सीढ़ियों से ऊपर बाथरूम में ले जाकर छोटे-छोटे टुकड़े करता था। फिर वुछ टुकड़ों को पकाकर खाता था। इसके बाद बाथरूम साफ करता था। कोठी के पीछे से कईं कपड़े और जूते भी बरामद हुए थे। 18 साल बाद भी 18 मासूमों और एक महिला को इंसाफ नहीं मिल सका। इन सभी की दुष्कर्म के बाद हत्या कर दी गईं थी। शरीर के अंग और वंकाल नाले, झािड़यों में मिले थे। जांच यूपी पुलिस से सबसे बड़ी जांच एजेंसी सीबीआईं तक पहुंची। खुद के वुबूलनामे पर सुरेन्द्र कोली व मोनिन्दर सिंह पंढेर आरोपी बनाए गए। ट्रायल कोर्ट अदालत ने फांसी की सजा दी, पर हाईं कोर्ट ने दोनों को सुबूतों के अभाव में बरी कर दिया है। यह सवाल अब भी जवाब मांग रहा है कि मासूमों की हत्या किसने की, बेरहमी से शवों के टुकड़े किसने किए, दुष्कर्म जैसा घिनौना वृत्य किसने किया? नरभक्षी कौन थे? पूरे देश को झकझोर कर रख देने वाले इस मामले की शुरुआत में पुलिस ने जो उदासीनता दिखाईं और फिर जांच एजेंसियों का वैसा रुख रहा है, उससे जनता के भरोसे के साथ खिलवाड़ नहीं तो क्या माना जाए। न्याय होना ही काफी नहीं, होते दिखना भी चाहिए। निठारी के मासूमों के साथ जो अपराध हुआ उससे ज्यादा दुख इस बात का है कि उनका अपराधी कौन है। ——अनिल नरेन्द्र

विश्वयुद्ध का खतरा मंडराने लगा है

हमास के हमले ने पश्चिमी एशिया ही नहीं, दुनिया को भी झकझोर कर रख दिया है। अब इजराइल बदला ले रहा है। मगर दूसरी शक्तियां भी इस युद्ध में न वूदें तो ही बेहतर है, लेकिन क्या ऐसा हो पाएगा? दुनिया की बड़ी शक्तियों को संयम बरतना चाहिए। जमीनी स्थितियां बन रही हैं, उनसे विश्व की चिंता बढ़नी स्वाभाविक ही है। समस्या तब ज्यादा गंभीर हो गईं जब गाजा के एक अस्पताल में भीषण बमबारी हुईं। अस्पताल में हुए इस भीषण हमले में 500 से ज्यादा निर्दोषों के मरने की आशंका है। हजारों घायल हो गए हैं। इजराइल का कहना है कि ये हमला हमास ने किया है। उनकी मिसाइल गलती से अस्पताल पर जा गिरी। वहीं हमास और शेष इस्लामी देशों का मानना है कि इजराइल ने सोची-समझी रणनीति के तहत गाजा के अल अहली अरब अस्पताल पर हमला किया है। हमास के नेता इस्माइल हानिया ने हमले के लिए अमेरिका को जिम्मेदार ठहारते हुए कहा कि उसने इजराइल को अपनी आव्रमणता के लिए संरक्षण दिया है। हानिया ने कहा, अस्पताल में इतना नरसंहार दुश्मन की व्रूरता और उसकी हार की भावना की पुष्टि करता है। सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, बहरीन, मिस्र, जार्डन और तुर्किए ने भी इजराइल पर गाजा शहर में अल अहली अरब अस्पताल पर बमबारी का आरोप लगाया है। हालांकि इजराइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहु ने एक बयान में कहा कि इन मौतों के लिए गाजा में व्रूर आतंकवादी जिम्मेदार हैं। पूरी दुनिया जानती है कि गाजा के अस्पताल पर हमला करने वाले गाजा के व्रूर आतंकवादी है न कि इजराइल डिपेंस फोर्सेस। उधर ईंरान ने इजराइल और उसका समर्थन करने वाले देशों को कड़ी चेतावनी दी है। ईंरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह खुमैनी ने मंगलवार को कहा कि अगर गाजा पर इजराइल के युद्ध अपराध नहीं रूके तो फिर दुनिया भर के मुसलमान इस जंग में उतरेंगे। कोईं भी दुनियाभर की मुस्लिम सेनाओं और ईंरान की फोर्स को रोक नहीं सकेगा। माना जाता है कि हमास और हिजबुल्लाह जैसे संगठनों को ईंरान पर्दे के पीछे से समर्थन दे रहा है। ईंरान के विदेश मंत्री हौसैन अमीर अब्दुल्लाहियन ने कहा कि इजराइल अगर गाजा में जमीनी कार्रवाईं करता है तो उसे नतीजे भुगतने होंगे। आने वाले समय में ईंरान की तरफ से बड़े पैमाने पर कार्रवाईं हो सकती है। दूसरी तरफ अमेरिका, ब्रिटेन, जर्मनी, प्रांस, आस्ट्रिया, कनाडा, पौलेंड, स्पेन और यूरोपीय संघ सहित अन्य देशों ने भी इजराइल का समर्थन किया है। उन्होंने इजराइल पर हमास के हमलों को बर्बरता बताया है। इजराइल और हमास, हिजबुल्लाह की जंग आव्रामक होती जा रही है। इस बीच दुनियाभर के नेता इजराइल पहुंचने लगे हैं। जर्मनी के चांसलर ओलाफ स्कोल्ज इजराइल पहुंच चुके हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन भी इजराइल पहुंच चुके हैं। प्रांस के राष्ट्रपति एमैनुअल मैव्रों भी पहुंच चुके हैं। इसके अलावा ब्रिटेन के प्रधानमंत्री त्रषि सुनक भी इजराइल पहुंच गए हैं। उधर हमास आतंकवादी समूह की सदस्य शाखा अल-कसम बिग्रेड ने कहा है कि गाजा में 200 से 250 इजराइली बंधक उसके कब्जे में हैं। इन्हें 7 अक्टूबर के हमले के बाद पकड़ा गया था। बंधकों में अमेरिकी और पश्चिमी देशों के नागरिक भी हैं। मगर छोटी सी चिंगारी और लगी तो यह कहीं तीसरे विश्वयुद्ध की शुरुआत न हो जाए?

Thursday, 19 October 2023

गाजा खाली करने की डेडलाइन खत्म

इजरायली सेना का कहना है कि उसने गाजा पट्टी पर छोटे स्तर पर छापेमारी शुरू कर दी है। सेना के प्रावक्ता के अनुसार इसका उद्देश्य आतंकवादियों और हथियारों को नष्ट करना और बंधकों को छुड़ाना है। इजरायल ने गाजा के रहने वालों को चेतावनी दी है कि वह वादी गाजा के उत्तर का पूरा इलाका खाली कर दक्षिण की तरफ चले जाएं। इससे 11 लाख लोग प्राभावित होंगे। संयुक्त राष्ट्र के प्रामुख एटोनियो गुटेरेस ने कहा है कि इतने बड़े पैमाने पर लोगों के पलायन से बेहद गंभीर मानवीय संकट पैदा हो सकता है। बीते सप्ताह इजरायल पर हमास के हमले में 1300 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं इसके बाद शुरू हुईं इजरायल की जवाबी कार्रवाईं में 2000 से ज्यादा फिलस्तनियों की जान जा चुकी है। इजरायली नेताओं ने चेतावनी दी है कि वह धरती से हमास का अस्तित्व हमेशा के लिए खत्म कर देंगे और गाजा फिर कभी पहले जैसा नहीं रहेगा। शनिवार को इजरायल के खिलाफ हुए हमास के बर्बर हमले में 1300 नागरिकों की मौत के बाद इजरायल के प्राधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू ने कहा है कि हम हमास के हर सदस्य को खत्म करेंगे। इसके लिए इजरायल ने हमास के खिलाफ सॉर्ड ऑफ आयरन नाम का अभियान शुरू किया है। इससे पहले गाजा में इस तरह के सैन्य अभियान को कभी अंजाम नहीं दिया गया था। लेकिन सॉर्ड ऑफ आयरन अभियान मिलना व्यावहारिक है? घनी आबादी वाले गाजा में इसे अंजाम देना इजरायली सेना के लिए कितना चुनौतीपूर्ण हो सकता है? और क्या इजरायली कमांडर इससे अपने उद्देश्यों को हासिल कर सवेंगे? अब तक इजरायल ने गाजा पट्टी पर हवाईं हमले किए हैं, जिसमें सैंकड़ों लोगों की जान गईं है और चार लाख से अधिक लोगों को अपना घर छोड़ना पड़ा है और भागना पड़ा है। सेना के पास एक और अहम जिम्मेदारी उन 150 बंधकों को छुड़ाने की भी है जिन्हें शनिवार को हमले के दौरान हमास के लड़ाके किडनैप कर ले गए थे। इन्हें गाजा में कहां रखा गया है इस बारे में इजरायली सेना के पास शायद उतनी जानकारी नहीं है। इजरायली डिपेंस फोर्स (आईंडीएफ) के चीफ ऑफ स्टाफ अहरॉन हलीवा ने हमास को जड़ से उखाड़ पेंकने की कसम खाईं है और गाजा में इसके राजनीतिक प्रामुख पर निशाना साधा है। लेकिन माना जा रहा है कि इजरायल की इस कार्रवाईं के बाद गाजा हमेशा-हमेशा के लिए बदल जाएगा, जो बीते 16 सालों से हमास के शासन का गवाह बना हुआ है। इजरायली आमा रेडियो से जुड़े सैन्य विश्लेषक आमिर कहते हैं, मुझे नहीं लगता कि इजरायल हमास के सभी सदस्यों को खत्म कर सकता है, क्योंकि इसके पीछे की सोच कट्टर इस्लाम से प्रोरित है। लेकिन वो इस संगठन कोइतना कमजोर जरूर कर सकता है कि किसी तरह के अभियान को निकट भविष्य में अंजाम देने की इनकी क्षमता खत्म हो जाए। साल 2014 में गाजा शहर के उत्तरी हिस्से में इजरायली सेना और हमास लड़ाकों के बीच संघर्ष हुआ था। उस दौरान हमास के लड़ाकों से लड़ाईं में इजरायल की पैदल सेना को काफी नुकसान झेलना पड़ा था। सवाल यह है कि अंतर्राष्ट्रीय दबाव में इजरायल कब तक अपनी यह मुहिम जारी रख सकेगा। —— अनिल नरेन्द्र

निशिकांत दुबे बनाम महुआ मोइत्रा

भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने रविवार को तृणमूल कांग्रोस की महुआ मोइत्रा पर संसद में सवाल पूछने के लिए एक कारोबारी से रिश्वत लेने का आरोप लगाया और लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला से उनके खिलाफ आरोपों की जांच के लिए एक जांच समिति गठित करने का आग्राह किया। दुबे ने रविवार को ओम बिरला को संसद में सवाल के लिए नकदी विषय पर पत्र लिखा, जिसमें सांसद महुआ मोइत्रा पर भारतीय दंड संहिता की धारा 120ए के तहत गंभीर विशेषाधिकार हनन, सदन की अवमानना और आपराधिक साजिश के लिए आरोप लगाया गया। एक वकील से मिले पत्र का हवाला देते हुए दुबे ने कहा कि वकील ने तृणमूल कांग्रोस (टीएमसी) नेता और एक कारोबारी के बीच रिश्वत के आदान-प्रादान के अव््राटा सबूत साझा किए हैं। दुबे ने बिरला से उनके खिलाफ आरोपों की जांच के लिए समिति गठित करने का आग्राह किया। भाजपा सांसद ने कहा, महुआ मोइत्रा द्वारा संसद में प्राश्न पूछकर एक कारोबारी दर्शन हीरानंदानी के कारोबारी हितों की रक्षा के लिए रची गईं आपराधिक साजिश के बारे में रत्ती भर भी संदेह नहीं है। जो 12 दिसम्बर 2005 के वैश फॉर क्वेरी प्राकरण की याद दिलाता है। इस बार पलटवार करते हुए महुआ मोइत्रा ने एक्स पर कहा, मैं अपनी सारी गलत कमाईं और उपहारों का इस्तेमाल एक कालेज, विश्वविदृालय खरीदने के लिए कर रही हूं जहां से दुबे आखिरकार एक असली डिग्री खरीद सकते हैं। लोकसभा अध्यक्ष को टैग करते हुए उन्होंने कहा, झूठे हलफनामों के लिए उनके खिलाफ जांच खत्म करें और फिर मेरी जांच के लिए समिति गठित करें। लोकसभा अध्यक्ष को लिखे अपने पत्र में दुबे नेकहा कि हाल तक लोकसभा में पूछे गए 61 सवालों में से 50 अडानी समूह पर वेंद्रित थे, जिस पर तृणमूल सांसद अक्सर कदाचार के आरोप लगाती रही है। हाईंकमान ने दुबे का सीधे तौर पर नाम लिए बिना उस पर पलटवार करने के लिए एक्स पर कईं संदेश पोस्ट किए और अडानी समूह पर नए सिरे से हमला किया। उन्होंने एक्स पर लिखा कि फजा डिग्री वाला और भाजपा के अन्य दिग्गजों के खिलाफ विशेषाधिकार हनन के कईं मामले लंबित हैं। अध्यक्ष द्वारा इन प्रास्तावों पर कार्रवाईं करने के तुरन्त बाद मेरे खिलाफ किसी भी प्रास्ताव का स्वागत है। मैं अपने दरवाजे पर आने से पहले अडानी कोयला घोटाले में ईंडी कईं अन्य लोगों द्वारा एफआईंआर दर्ज करने का इतंजार कर रही हूं। उन्होंेने कहा कि समय बर्बाद न करें अपने वकीलों का बुद्धिमानी से इस्तेमाल करें। बिरला को लिखे अपने पत्र में दुबे ने आरोप लगाया कि मोइत्रा का आचरण सवाल के बदले नकदी प्राकरण के फिर से उभर आने का प्रातीक है। बता दें कि वर्ष 2005 में यह कांड सामने आया था, जिसमें एक जांच समिति की सिफारिशों पर उसके गठन के 23 दिन के भीतर 11 सांसदों की सदस्यता रद्द कर दी गईं थी। राहुल गांधी, संजय सिह के बाद क्या अब महुआ मोइत्रा की सदस्यता पर प्राश्नचिह्न् लगने वाला कौन है? देखें, मामला आगे वैसे बढ़ता है?

Tuesday, 17 October 2023

तिहाड़ जेल पहुंचे संजय सिह

विवादित शराब नीति ने आखिरकार आप सांसद संजय सिह को भी सलाखों के पीछे पहुंचा दिया। जांच एजेंसी के अनुरोध पर अदालत ने उन्हें शुव््रावार को 27 अक्टूबर तक के लिए न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया है। उन्हें 16 किताबें जेल में ले जाने की अदालत ने इजाजत भी दे दी। संजय सिह को पुलिस सुरक्षा में कोर्ट से शुव््रावार शाम तिहाड़ जेल लाया गया। इन्हें जेल संख्या दो में जगह दी गईं है। आबकारी घोटाले से जुड़ी मनी लांड्रिंग मामले में सुनवाईं के दौरान राजनीतिक बयानबाजी पर राऊज एवेन्यू कोर्ट ने राज्यसभा सांसद संजय सिह को फटकार लगाईं। विशेष न्यायाधीश एम.के. नागपाल ने संजय सिह को चेतावनी देते हुए कहा कि अगर मुकदमें से संबंधित आपको वुछ कहना है तो बेझिझक कहिए। अदालत ने मौखिक रूप से कहा कि राजनीतिक बयान स्वीकार्यं नहीं हैं। अगर आगे आप ऐसा करते हैं तो आपकी पेशी वीडियो कांप्रोसिग से करने का आदेश दिया जाएगा। अदालत ने साथ ही संजय सिह के मुकदमे के इतर बयान नहीं देने का भी निर्देश दिया। अदालत ने यह टिप्पणी तब की जब सुनवाईं के दौरान संजय सिह ने कहा कि अडानी के विरुद्ध घोटालों की जांच के लिए ईंडी को शिकायत की थी। लेकिन जांच नहीं हुईं। इस पर आपत्ति जताते हुए अदालत ने कहा कि अगर आपको मोदी और अडानी को लेकर राजनीतिक बयानबाजी या भाषण देना है तो उनसे मैं वीडियो कांप्रोसिग से आपकी पेशी के लिए आदेश जारी करूंगा। सुनवाईं के दौरान संजय सिह ने यह भी कहा कि मुझे आठ दिन की ईंडी रिमांड पर भेजा गया ताकि आरोपियों से आमना-सामना कराया जा सके, लेकिन इस दौरान ईंडी ने केवल एक व्यक्ति से आमनासामना कराया। संजय सिह ने कहा कि उनसे आठ दिनों रोज केवल दो से तीन घंटे की पूछताछ की जाती थी और इसमें भी प्राकरण से जुड़े सवाल नहीं पूछे जाते थे। संजय सिह ने कहा कि उनसे जांच एजेंसी ने यह जानने की कोशिश की थी कि उन्होंने अपनी पत्नी को 10 हजार रुपए क्यों भेजे? पिता से उधार लेकर बच्चे के इलाज के लिए दिए गए एक लाख रुपए के बारे में सवाल पूछा गया? वहीं संजय सिह के अधिवक्ता ने कहा कि उनके मुवक्किल के खिलाफ केवल एक बड़ा कारण बनाने के लिए ईंडी ने आठ दिन की कस्टडी मांगी थी। उधर आबकारी घोटाले में ईंडी द्वारा गिरफ्तारी और रिमांड को चुनौती देने वाली आप सांसद संजय सिह की याचिका पर दिल्ली हाईंकोर्ट ने ईंडी से जवाब मांगा है। न्यायमूर्ति स्वर्ण कांता शर्मा की पीठ ने ईंडी को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया। इसके पहले संजय सिह के अधिवक्ता ने सुबह मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ के समक्ष मामले को तत्काल सूचीबद्ध करने का उल्लेख किया था। मुख्य पीठ ने मामले की तत्काल सुनवाईं की अनुमति दे दी थी। ईंडी ने कहा कि निचली अदालत ने संजय सिह को न्यायिक हिरासत में भेज दिया है और जवाब दाखिल करने के लिए दो दिन का अवसर दिया जाए। अदालत ने ईंडी के अनुरोध को स्वीकार कर सुनवाईं 17 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दी। —— अनिल नरेन्द्र

हमास की सुरंगें

इजरायल का कहना है कि वह गाजा में जमीन के नीचे बिछी सुरंगों के जाल को अब निशाना बना रहा है जिसे हमास ने तैयार किया है। शनिवार को इजरायल पर हुए हमले के जवाब में इजरायल लगातार गाजा को निशाना बना रहा है। लेकिन इजरायल के लिए बड़ी सिरददा व चुनौती वो सुरंगें हैं जिनका इस्तेमाल हमास इजरायल पर हमले के लिए करता है। इजरायल सेना के प्रावक्ता ने कहा था, गाजा की ऊपरी परत पर आम लोग रहते हैं। वहीं इनके नीचे एक दूसरी परत है जिसका इस्तेमाल हमास करता है। हम इस वक्त उस दूसरी परत को निशाना बना रहें हैं जो गाजा में जमीन के नीचे हैं। इजरायली प्रावक्ता का कहना है कि ये आम लोगों के लिए बने कोईं बंकर नहीं हैं। ये सिर्प हमास और अन्य आतंकवादी संगठनों के लिए हैं ताकि वे इजरायली राकेटों से बचे रहें हैं और अपने ऑपरेशन की योजना बनाते रहे हैं ताकि इजरायल पर हमले जारी रहें। गाजा में सुरंगों के नेटवर्व के सबूत का आंकलन करना मुश्किल काम है। इजरायल हमास की इन सुरंगों को गाजा मैट्रो बोलता है। ऐसा माना जाता है कि ये सुरंगें सारे गाजा में अटी पड़ी हैं। साल 2021 में हुए संघर्ष के बाद इजरायली सेना ने कहा था उन्होंने गाजा में 100 किलोमीटर लंबी टेढ़ी-मेढ़ी सुरंगें तबाह कर दी हैं। लेकिन हमास ने दावा किया था कि उन्होंने गाजा में 500 किलोमीटर लंबी सुरंगे बनाईं हैं और इजरायली हमले में सिर्प 5 प्रातिशत सुरंगे ही तबाह हुईं हैं। गाजा सुरंग इन आंकड़ों को ऐसे समझिए कि पूरे लंदन शहर में फैली अंडरग्राउंड मैट्रो सिर्प 400 किलोमीटर है और उसमें से भी अधिकतर जमीन के ऊपर है। साल 2005 में गाजा से इजरायली सेना और यहूदी बाशिदे पीछे हट गए थे। उसके बाद वहां सुरंगों का निर्माण शुरू हो गया था। लेकिन दो साल बाद हमास के हाथ में गाजा का नियंत्रण आ गया और फिर सुरंगों के इस जाल में बेतहाशा इजाफा होने लगा। हमास के सत्ता में आते ही इजरायल और मिरत्र ने अपनी बार्डर व््रासिग पर सामान लोगों की आवाजाही सीमित कर दी थी। इसके जवाब में हमास ने सुरंगों पर ध्यान देना शुरू किया। हमास ने दावा किया है कि उनके पास 500 किलोमीटर की सुरंगे हैं। साल 2006 में चरमपंथियों ने इजरायल की सरहद को पार करने वाली एक सुरंग के जरिए इजरायल के भीतर घुसकर दो सैनिक मार डाले थे। गिलाड नाम के एक सैनिक को अगवा कर लिया था और उसे 5 साल तक बंदी बनाकर रखा गया। साल 2013 में इजरायली सेना ने गाजा पट्टी से अपने एक गांव तक 18 मीटर गहरी और 1.6 किलोमीटर लंबी सुरंग खोजी थी। उसके अगले साल इजरायल ने इन सुरंगों को नष्ट किया था। लेकिन चरमपंथियों के हमले में चार सैनिक भी मारे गए थे। गाजा के भीतर सुरंगों का मकसद आम सुरंगों से अलग है। हमास वहां लंबे समय तक रहना चाहता है। उनमें व्यवस्थाएं मौजूद रहती हैं ताकि वहां जीवन जिया जा सके। वहां उनके नेता छिपे रहते हैं। उनका कमांड और वंट्रोल सिस्टम भी वहीं है। इन सुरंगों का इस्तेमाल ट्रांसपोर्ट के अलावा कम्युनिकेशन के लिए भी किया जाता है, इसमें बिजली, लाइट और रेल ट्रैक तक की सुविधा होती है। आप इनमें चल फिर सकते हैं। हमास ने सुरंगें खोदने में महारथ हासिल कर ली है। उन्होंने सीरिया में विद्रोही लड़ाकों से इस कला को सीखा है। कहा जाता है कि गाजा में सुरंगें जमीन से 30 मीटर नीचे है और उनमें घुसने के लिए घरों के बेसमेंट में रास्ते हैं। सुरंगों में मस्जिद, स्वूल और अन्य सार्वजनिक जगहों से भी दाखिल हुआ जा सकता है।

Saturday, 14 October 2023

चेतावनी को गंभीरता से नहीं लिया

अमेरिकी कांग्रोस की एक समिति के चेयरमैन ने कहा है कि बीते शनिवार को इजरायल पर हुए हमास के घातक हमले से तीन दिन पहले मिरत्र ने सीमा पार से संभावित हमले की चेतावनी दी थी। हाउस ऑफ रिप्रोजेन्टेटिव्स के विदेश मामलों की समिति के प्रामुख माइकल मैकॉल ने फिलस्तीन के समूह हमास की इस कथित चेतावनी के बारे में मीडिया से बात की। इजरायल के पीएम बेंजामिन नेतन्याहु ने इन रिपोर्टो को हालांकि बिल्वुल गलत बताया है। इजरायल के 75 साल के इतिहास में हमास ने कईं बार जानलेवा हमला किया है। अब तक 1100 से ज्यादा इजरायलियों की जान जा चुकी है। इजरायली खुफिया एजेंसी मौसाद पहले ही जांच के घेरे में है। कहा जा रहा है कि मौसाद को हमास के हमले की भनक क्यों नहीं लगी? इसे मौसाद की सबसे बड़ी नाकामी के रूप में देखा जा रहा है। समाचार एजेंसी एएफटी के अनुसार मध्य-पूर्व में जारी संकट को लेकर बुधवार को सांसदों के लिए बंद दरवाजों के पीछे एक खुफिया ब्रीफिग रखी गईं थी। इस बैठक के बाद माइकल मैकॉल ने बताया, हम जानते हैं कि मिरत्र ने हमास के हमले में तीन दिन पहले इजरायल के अधिकारियों को चेतावनी दी थी कि इस तरह की कोईं घटना हो सकती है। माइकल मैकॉल टेक्सास से सांसद है और रिपब्लिकन पाटा से हैं। उन्होंने कहा कि ये गोपनीय जानकारी है और मैं इसके बारे में ज्यादा विस्तार से बताना नहीं चाहता। मिरत्र की खुफिया एजेंसी के एक अधिकारी ने नाम न बताने की शर्त पर एसोसिएटिड प्रौस को बताया, हमने चेतावनी दी थी कि स्थिति विस्फोटक होने वाली है और यह बहुत जल्द होगा और बड़ा होगा लेकिन हमारी ऐसी चेतावनी को कम करके आंका गया। हमास के हमले के बाद इजरायल में बनी इमरजेंसी सरकार। इजरायल की आपातकालीन सरकार की पहली बैठक के बाद प्राधानमंत्री बेंजामिन नेतान्याहू ने चेतावनी दी है कि हमास के सभी सदस्यों को खत्म कर दिया जाएगा। नेतान्याहू के करीब मौजूद विपक्षी नेता बेनीगैरन्स ने कहा है कि यह युद्ध का वक्त है। वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा है कि उन्होंने नेतान्याहू से बात की है और स्पष्ट किया है कि इजरायल को युद्ध के नियमों का पूंरी तरह पालन करना होगा। बाइडन ने कहा, हम इजरायली नागरिकों का गुस्सा और उनकी परेशानियां समझते हैं। लेकिन हमने इजरायल से कहा है कि वो जेनेवा समझौते का पालन करें। बाइडन ने हमास के हमले का स्वागत करने के लिए ईंरान को भी चेतावनी दी और कहा कि सावधान रहें। हमास के हमले के चार दिन बाद बुधवार को नेतान्याहू और बेनीग्रौरन्स ने राजनीतिक प्रातिबद्धता को अलग रखते हुए युद्धकालीन सरकार बनाने के लिए साथ आने का पैसला किया था। वैचारिक मतभेद के कारण दोनों नेता एक-दूसरे के विरोधी बने हुए थे। नेतान्याहू के प्रास्तावित न्यायिक सुधारों की विपक्षी पार्टियां और जनता जमकर विरोध कर रही थीं और इसे लेकर उनके समर्थक व जनता देश भर में विरोध प्रादर्शन कर रहे थे। इन विरोध प्रादर्शनों को नेतान्याहू के राजनीतिक प्रातिद्वंद्वियों के अलावा सेना और खुफिया विभाग के पूर्व वरिष्ठ अधिकारियों, पूर्व चीफ जस्टिस और बिजनेस लीडर्स का भी समर्थन हासिल था। देश की नईं युद्धकालीन सरकार गठबंधन सरकार है, जिसमें नेतान्याहू और बेनीगैरंस के अलावा पूर्व रक्षा मंत्री शामिल हैं। वहीं वॉर वैबिनेट नाम से एक अस्थायी वैबिनेट भी बनाईं गईं है, जिसमें रक्षा मंत्री मौआव गैलान्ट शामिल हैं। देश के मुख्य विपक्षी नेता यलैपिड ने गठबंधन से दूर रहने का पैलसा किया है। कहा गया है कि युद्ध के दौरान किसी बिल पर बात नहीं होगी और ऐसे कोईं पैसले नहीं लिए जाएंगे, जिनका नाता युद्ध से न हो। ——अनिल नरेन्द्र

क्या वसुंधरा को किनारे करना महंगा पड़ेगा?

ऐसी चर्चाएं पहले से तेज थी लेकिन प्राधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने लगातार दो जन सभाओं में मानों उन पर मुहर लगा दी। वह जिस खुली जीप पर सवार होकर आए, उनके साथ सिर्प भाजपा के प्रादेश अध्यक्ष और सांसद सीपी जोशी थे, पूर्व मुख्यमंत्री और प्रादेश की प्राभावशाली नेता वसुंधरा राजे नहीं थीं। मंच का संचालन दीया वुमारी कर रही थीं। मंच पर प्रादेश भाजपा की कईं महिला नेता भी मौजूद थीं। दीया वुमारी की संघनिष्ठ पर नेताओं का अप्रात्याशित समर्थन भी पाटा के पुराने पहरेदारों को चौंका रहा है। प्राधानमंत्री ने जयपुर की सभा में न तो पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का जिव््रा किया और न ही उनके नेतृत्व वाली पूर्ववर्ता भाजपा सरकार की उपलब्धियों का। राजस्थान में चेहरा विहीन भाजपा की इस स्थिति को लेकर चर्चाएं छिड़ गईं हैं। भाजपा ने नईं संसद के पहले ही सत्र में नारी शक्ति वंदन विधेयक को दोनों सदनों में पारित करवाया है। ऐसे समय में प्रादेश की एक ताकतवर महिला नेता अगर अग्राणी भूमिका में नहीं दिख रही हैं तो जाहिर है लोगों का ध्यान उस पर जाएगा ही। हैरान करने वाली बात यह है कि एक मनोभावों नेता की तरह वे अपने गुस्से और मान अनुभवों को लगातार पी रही हैं। उन्होंने अब तक ऐसी कोईं प्रातिव््िराया सार्वजनिक तौर पर नहीं दी है, जिसकी उम्मीद उनसे बहुत से राजनीतिक खेमे ने लगाईं हुए है। राजस्थान की राजनीति में करीब दस साल पहले अपने एक प्रातिद्वंद्वी को दी अशोक गहलोत की एक नसीहत याद करें। जो नेता इन प्रादेश में जहर पीना सीख जाता है। वह कामयाब हो जाता है और जो नहीं पी सकता वह दरकिनार हो जाता है। वुछ लोग मान रहे हैं कि वसुंधरा इस समय गहलोत की पुरानी सलाह पर अमल कर रही हैं। प्राधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने सारे कयासों को दरकिनार करते हुए सोमवार को चित्ताैड़गढ़ के सांवरिया सेठ में हुईं सभा में साफ कहा, इस विधानसभा चुनाव में सिर्प एक ही चेहरा है और वह है कमल, हमारा उम्मीदवार सिर्प कमल है। इसलिए एकजुटता के साथ कमल को जिताने के लिए भाजपा कार्यंकर्ता काम करें। मौजूदा राजनीतिक परिप्रोक्ष्य में अब प्राश्न उठ खड़ा हुआ है कि भाजपा ने राज्य में किसी को मुख्यमंत्री का चेहरा क्यों नहीं बनाया है? इसके पीछे क्या वजह है? वसुंधरा राजे की अपेक्षा क्यों हो रही है? क्या यह स्थिति भाजपा के पक्ष में जाएगी? संघ और भाजपा के नेता अब पाटा को एक नए चरित्र में ढालने तो जा रही है, पाटा संगठन में वो जनरेशन शिफ्ट भी कर रहे हैं। एक प्रामुख संघनिष्ठ भाजपा नेता का कहना है, मोदी देश भर में अमृतकाल की टीम तैयार कर रहे हैं, जो 2047 में पाटा को अभूतपूर्व कामयाबी के दौर में ले जाए और आज जो चेहरे तय हो रहे हैं, वे अगले 25 साल के लिए होंगे। इसलिए अभी और बदलाव देखने को मिलेंगे। संघ के पुराने नेता व भाजपा में कईं राजनीतिक पीढ़ियों का उतार-चढ़ाव देख चुके एक अनुभवी संघी कहते हैं, देश हो या प्रादेश, अच्छे परिवर्तन हो रहे हैं। नए लोग आने ही चाहिए, नए तभी आएंगे, जब पुराने अपने अनुभवों से और नए अपने काम से संगठन को मजबूत बनाएंगे। एमएलए हो या एमपी तीन बार से अधिक मौका नहीं दिया जाना चाहिए, तभी तो युवा आगे आएंगे। प्रादेश में एक बार कांग्रोस और एक बार भाजपा वाले हिसाब से देखा जाए तो इस बार भाजपा की बारी है, ऐसे में भाजपा आलाकमान ने वसुंधरा जैसी ताकतवर नेता को दरकिनार करने का जो निर्णय लिया है वह कहीं भाजपा को भारी न पड़ जाए।

Wednesday, 4 October 2023

मामला पुरानी पेंशन बहाली का

अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में इस बार पुरानी पेंशन योजना का जादू सिर चढ़कर बोलेगा। रामलीला मैदान में रविवार को आयोजित पेंशन शंखनाद महारैली के दौरान लाखों लोगों ने नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम (एनएमओपीएस) के समर्थन में विपक्षी गठबंधन के घटक दलों के कईं नेता इसमें शामिल हुए। केन्द्र और राज्य सरकारों के कर्मचारियों व संगठनों के नेताओं ने पेंशन शंखनाद महारैली में कहा कि अगर सरकार अपनी जिद नहीं छोड़ती है तो वोट की चोट के आधार पर पुरानी पेंशन बहाल करवाएगी। कर्मचारी नेताओं की मानें तो सरकारी कर्मियों, पेंशनरों और उनके रिश्तेदारों को मिलाकर यह संख्या 10 करोड़ के पार चली जाती हैं। चुनाव में बड़ा उलटपेर करने के लिए यह संख्या निर्णायक साबित हो सकती है। इस रैली में केन्द्र एवं राज्यों के कर्मचारी संगठनों ने भाग लिया। रैली का आयोजन नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम के बैनर तले हुआ है। एनएमओपीएस के राष्ट्रीय अध्यक्ष विजय वुमार बंधु ने कहा कि पुरानी पेंशन कर्मियों का अधिकार है। वे इसे लेकर ही रहेंगे। देश भर से आए सरकारी कर्मचारियों से रामलीला मैदान खचाखच भरा हुआ था। कर्मचारी नेताओं की माने तो इस रैली की तैयारियां करीब एक वर्ष से चल रही थी। कईं राज्यों के कर्मचारी दो-तीन दिन पहले ही दिल्ली पहुंच गए थे। रेल, बसें और दूसरे वाहनों में बैठकर कर्मचारी दिल्ली पहुंचे थे। अनेक कर्मियों को रेल की तत्काल टिकट लेनी पड़ी। रविवार सुबह 11 बजे ही रामलीला मैदान पूरी तरह से भर चुका था। रामलीला मैदान के चारों तरफ की सड़कों पर कर्मियों के जत्थे चल रहे थे। कर्मियों द्वारा पेंशन का नारा लगाया जा रहा था। इससे पहले वेंद्रीय कर्मचारियों के संगठनों ने 10 अगस्त को रामलीला मैदान में एक विशाल रैली आयोजित की थी। अब नेशनल मूवमेंट फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम द्वारा पेंशन शंखनाद महारैली आयोजित की गईं। ओल्ड पेंशन स्कीम को लेकर मोदी सरकार की प्रातिव््िराया आ रही है। इसी साल बीते फरवरी में संसद में पीएम मोदी ने खुद राज्यों को बताया था और बिना ओल्ड पेंशन स्कीम का नाम लिए कहा था कि मैं राजनीति पर वैचारिक मतभेदों को अलग रखकर कहना चाहता हूं कि देश की आर्थिक सेहत से खिलवाड़ मत कीजिए। आप कोईं ऐसा पाप मत कीजिए जो अपने बच्चों के अधिकारों को छीन ले। कईं सालों से पूरे देश में इस मांग को लेकर आंदोलन चल रहे हैं, पिछले विधानसभा चुनावों में यह मुद्दा भी बना। राजस्थान, हिमाचल प्रादेश, छत्तीसगढ़ और झारखंड जैसे राज्यों ने अपने राज्य कर्मचारियों के लिए इसे लागू भी कर दिया है। पंजाब में आम आदमी पाटा सरकार ने नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। हालांकि अभी तक ये लागू नहीं हुआ है। हिमाचल में तो यह कांग्रोस का बड़ा चुनावी वादा था। —— अनिल नरेन्द्र

स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव

इस बार विधानसभा चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों को अखबारों में विज्ञापन देकर अपने आपराधिक रिकार्ड को बताना होगा। अभी यह व्यवस्था पर्चा भरते समय केवल फार्म में लिखने तक सीमित थी। चुनाव आयोग राजस्थान में होने वाले विधानसभा चुनाव में इसे लागू करेगा। एक और पहल के तहत राजनीतिक दलों को यह कारण बताना होगा कि उन्होंने अपने उम्मीदवार को किस आधार पर चुना है। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव वुमार ने जयपुर में रविवार को कहा कि चुनाव आयोग स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव के लिए प्रातिबद्ध है। जिसमें मतदान आम आदमी के लिए आसान बनाना और मतदान प्रातिशत बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया गया है। आयुक्त ने यह भी कहा कि आयोग के समक्ष अनिवार्यं मतदान का कोईं प्रास्ताव नहीं है। मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव वुमार ने रविवार को कहा कि राजस्थान विधानसभा चुनाव में पहली बार बुजुर्ग मतदाताओं के साथ-साथ 40 फीसदी दिव्यांगता वाले व्यक्तियों के लिए भी घर पर ही वोट देने की सुविधा उपलब्ध होगी। आयोग अक्टूबर के दूसरे हफ्ते में राजस्थान में विधानसभा चुनाव की तिथियों की घोषणा कर सकता है। राज्य में 200 विधानसभा सीटें हैं और राज्य विधानसभा का कार्यंकाल 14 जनवरी को खत्म होगा। घर से मतदान की पहल मतदान प्रातिशत बढ़ाने और मतदान में आसानी बढ़ाने के लिए की गईं है। साथ ही राज्य के कानून प्रावर्तन एजेंसियों को सीमा क्षेत्र खासकर हरियाणा और पंजाब सीमा पर शराब और नकदी के परिवहन की जांच करने के सख्त निर्देश दिए गए हैं। आयोग ने तीन दिवसीय दौरे के दौरान राजनीतिक दलों के प्रातिनिधियों, मुख्य सचिव, पुलिस महानिदेशक, जिला कलैक्टरों, जिला पुलिस अधीक्षकों और अन्य अधिकारियों के साथ बैठक की। चुनाव में 1600 मतदान केन्द्रों का प्राबंधन महिलाएं, 200 केन्द्रों का प्राबंधन दिव्यांगजन और 1600 वेंद्रों का प्राबंधन नवनियुक्त युवाओं द्वारा किया जाएगा। वुल 51756 मतदान केन्द्रों में से 50 प्रातिशत की वेबकास्टिंग भी की जाएगी। आयोग ने मतदान बढ़ाने के लिए इस बार 75 फीसदी मतदान का नारा दिया है। यह मिशन सभी 5,756 मतदान केन्द्रों पर चलेगा। 2018 के विधानसभा चुनाव में राज्य में 74 फीसदी मतदान हुआ था। इसमें महिला मतदाताओं की संख्या 74.68 फीसदी और पुरुष मतदाताओं की संख्या 73.83 फीसदी थी। केवल 103 ऐसे पोलिग बूथ थे जहां पर राज्य के औसत से कम मतदान हुआ था। इसमें 17,500 संवेदनशील मतदान वेंद्र थे। हम चुनाव आयोग के इन कदमों का स्वागत करते हैं। स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव हो यह लोकतंत्र की नींव है। चुनाव आयोग ने ईंवीएम मशीनों में गड़बड़ी पर भी ध्यान देने की बात की है। उन्होंेने कहा कि कहीं से भी ईंवीएम में छेड़छाड़ की खबर मिलते ही डेढ़ घंटे के अंदर आयोग की टीम जांच करने पहुंच जाएगी। देखना यह है कि राजनीतिक दल आयोग के निर्देशों का कितना पालन करते हैं?