14 मार्च को दिनेश त्रिवेदी ने संसद में रेल बजट पेश किया था। इसमें उन्होंने यात्री किरायों में बढ़ोतरी का प्रस्ताव किया था। इस प्रस्ताव को लेकर तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो ममता बनर्जी इतनी खफा हुईं कि उन्होंने त्रिवेदी को तुरन्त पद से इस्तीफा देने को कह दिया। उन्होंने ऐलान किया कि त्रिवेदी ने कांग्रेस के कुछ नेताओं से साठगांठ करके यात्री किराया बढ़ाने का फैसला कर लिया है जबकि इस बारे में उन्होंने किसी भी स्तर पर पार्टी से मंत्रणा नहीं की। ऐसे में उन्होंने पार्टी का विश्वास खो दिया है। नाराज ममता ने उसी दिन प्रधानमंत्री को एक फैक्स भेज दिया था। इसमें कहा गया था कि दिनेश त्रिवेदी की जगह उनकी पार्टी से मुकुल रॉय को रेल मंत्री बना दिया जाए। चार दिन के हाई वोल्टेज ड्रॉमे के बाद दिनेश त्रिवेदी को अंतत इस्तीफा देना पड़ा जो स्वीकार भी हो गया है। दिनेश त्रिवेदी ने दरअसल वह काम किया जो पूर्ववर्ती रेल मंत्रियों, ममता बनर्जी खुद और लालू प्रसाद यादव के आठ साल से रेल यात्री किराया न बढ़ाने के फैसले की परम्परा तोड़कर किया। वैसे दिनेश त्रिवेदी एक अच्छे नेता हैं। 61 वर्षीय त्रिवेदी तृणमूल कांग्रेस के गठन से ही ममता के खास रहे हैं। उनकी वफादारी की वजह से ही उन्हें ममता ने अपनी जगह केंद्रीय कैबिनेट में दी। ममता ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री बनने के बाद स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्यमंत्री से पदोन्नत कर उन्हें अपनी जगह रेल मंत्री बनाया। त्रिवेदी राजनीति के आपराधिकरण के खिलाफ वर्षों से लड़ रहे हैं। उन्होंने कई जनहित याचिकाएं भी दायर कीं। वोहरा कमेटी की वजह से ही सूचना अधिकार कानून बन सका। यह समिति त्रिवेदी की कोर्ट में दायर याचिका की वजह से ही गठित की गई थी। अन्ना हजारे के पिछले पांच अप्रैल से जन्तर-मन्तर पर जब अनशन शुरू किया तो त्रिवेदी ने उन्हें पत्र भेजकर पद छोड़ने की इच्छा जताई थी। वह अन्ना हजारे और अरविन्द केजरीवाल से भी जुड़े रहे। इनसे दिनेश ने कहा कि वह भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई को मजबूती देने को तैयार हैं। राज्यसभा में दो बार चुने गए त्रिवेदी ने 2009 के लोकसभा चुनाव में माकपा के हेवीवेट तारित टोपदार को बैरकपुर से हराया था। मूल रूप से कांग्रेसी त्रिवेदी वीपी सिंह के नेतृत्व वाली जनता दल में भी शामिल हो गए थे। कोलकाता यूनिवर्सिटी से बी.कॉम, टैक्सास यूनिवर्सिटी से एमबीए किए दिनेश त्रिवेदी ने पायलट का लाइसेंस भी हासिल किया। दिनेश त्रिवेदी को रेलवे में यात्री किराये में बढ़ोतरी के अपने बहादुरी भरे फैसले के कारण अपना पद गंवाना पड़ा। त्रिवेदी के अपने रेल बजट में सभी श्रेणियों के रेल किराये में वृद्धि के प्रस्ताव का सबसे पहले विरोध उन्हीं के पार्टी के नेता और केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री सुदीप बंदोपाध्याय ने किया था। प्रधानमंत्री और वित्त मंत्री, दोनों ने ममता को बहुत समझाने की कोशिश की कि बजट खत्म होने दो फिर बदल देना पर ममता तैयार नहीं हुईं। चार दिनों तक सियासी ड्रॉमा होता रहा। विपक्ष को भी हथियार मिल गया सरकार को कठघरे में खड़ा करने का। दिनेश त्रिवेदी ने भी कह दिया कि मुझसे लिखकर इस्तीफा मांगा जाएगा तब दूंगा पर फिर जब ममता से उनकी फोन पर बात हुई तो वह इस्तीफा देने को तैयार हो गए। ममता ने एक बार फिर साबित कर दिया कि वह अपनी जिद की पक्की हैं और एक बार वह जो कुछ ठान लें, उसे पूरा करके ही मानती हैं। ऐसा करने की कीमत चाहे उन्हें कुछ भी चुकानी पड़े। अब मुकुल रॉय नए रेल मंत्री होंगे।
Anil Narendra, Daily Pratap, Mamta Banerjee, Manmohan Singh, Prime Minister, Rail Minister, Vir Arjun
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