हालांकि दिल्ली नगर निगम के चुनाव पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव जितना महत्व तो नहीं रखते पर फिर भी राजधानी होने के नाते नगर निगम चुनाव महत्व रखते हैं। पांच राज्यों के चुनावों के बाद अब सबकी निगाहें दिल्ली नगर निगम चुनाव पर आ टिकी हैं। राजधानी में सोमवार से आचार संहिता लागू हो गई है। आचार संहिता लागू होते ही नई परियोजनाओं की घोषणा अथवा उद्घाटनों पर विराम लग जाएगा। हालांकि चुनाव की आचार संहिता 19 मार्च से लागू होगी क्योंकि नामांकन प्रक्रिया 19 मार्च से शुरू होगी। यह संहिता आगामी 17 अप्रैल तक लागू रहेगी। ज्ञात हो कि 17 अप्रैल को एमसीडी चुनाव में मतगणना होगी। इस आचार संहिता के कारण दिल्ली में अगले डेढ़ महीने तक सरकारी एजेंसियां लोक-लुभावनी परियोजनाओं को मंजूरी नहीं दे सकती हैं। आचार संहिता के तहत राज्य चुनाव आयोग धन-बल और शराब माफिया के दुरुपयोग के अलावा राजधानी की सम्पत्तियों पर पोस्टर-बैनर चिपकाने पर भी नजर रखेगा। दिल्ली में भी नियमों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कड़ाई से पेश आया जाएगा। दूसरी ओर चुनाव तिथि घोषित होते ही राजधानी में घोषणाओं की झड़ी लग गई। महज तीन दिनों के अन्दर सैकड़ों करोड़ रुपये की परियोजनाओं को हरी झंडी दे दी गई। महज शुक्रवार और शनिवार को ही एमसीडी स्थायी समिति ने 200 करोड़ रुपये से अधिक की परियोजनाओं को मंजूरी दी। चुनाव के ऐन मौके पर 11500 सिलाई मशीनें वितरित करने की परियोजना को हरी झंडी दी गई। इसके अलावा शनिवार को स्थायी समिति की बैठक में 60 से अधिक परियोजनाएं पास की गईं। साथ ही रविवार को महापौर प्रो. रजनी अब्बी की ओर से सभी अखबारों में एमसीडी की सफलताओं को लेकर बड़े पैमाने पर विज्ञापन जारी किया। जहां भाजपा के लिए यह चुनौती होगी कि वह नगर निगमों पर पुन कमल खिलाए वहीं दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित की प्रतिष्ठा भी इस चुनाव से सीधी जुड़ी है। दिल्ली नगर निगम चुनाव को लेकर राजनीतिक पार्टियां चाहे जो रणनीति बना लें पर चुनाव में मुख्य मुद्दा दिल्ली सरकार ही रहेगी। कांग्रेस जहां अपनी सरकार के 13 साल की कामयाबी को भुनाने पर जोर देगी, वहीं भाजपा सरकार की नाकामी और भ्रष्टाचार को मुद्दा बनाएगी। दोनों दलों के नेता मानते हैं कि चुनाव में मुद्दा दिल्ली सरकार ही रहेगी। दिल्ली सरकार की आज की तारीख में सबसे बड़ी उपलब्धि दिल्ली नगर निगम का तीन भागों में बंटवारा तथा महिलाओं का आरक्षण बढ़ाकर 33 से 50 फीसदी करने को बताती है। वहीं कांग्रेस सरकार द्वारा प्रदान की गई सुविधाओं को भी भुनाने का प्रयास होगा। वहीं भाजपा लगातार मुख्यमंत्री पर घोटालों को लेकर आक्रामक रही है। साथ ही कानून व्यवस्था का मुद्दा भी भाजपा जरूर उछालेगी। पिछले दिनों भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष विजेन्द्र गुप्ता द्वारा किया गया जनसम्पर्प अभियान खासा सफल रहा है। उनके निशाने पर दिल्ली सरकार व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित, दोनों ही रहे। अपने 15 दिन की यात्रा में उन्होंने दिल्ली सरकार की नाकामियों को पानी पी-पीकर गिनाईं। वैसे भाजपा नेता भी मानते हैं कि पार्टी चाहे जितना भी शीला दीक्षित की बुराई कर ले पर एमसीडी बंटवारे की चाल पार्टी पर भारी पड़ सकती है। पांच राज्यों के चुनाव परिणाम भी जरूर थोड़ा बहुत असर नगर निगम चुनाव पर डालेंगे। भाजपा उत्साहित है, कांग्रेस का मनोबल थोड़ा प्रभावित जरूर होगा। देखें नगर निगम चुनाव में प्रचार के दौरान क्या-क्या मुद्दे उठते हैं?
Anil Narendra, Daily Pratap, Delhi, Elections, MCD, Vir Arjun
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