उत्तर प्रदेश में अखिलेश यादव की पारी आरम्भ हो गई है। बृहस्पतिवार को खांटी गंवई रंग-ढंग में अभिजात्य छुअन, नए तेवर और कलेवर के साथ अपने बलबूते पर उत्तर प्रदेश में पहली बार बहुमत के साथ काबिज हुई सपा के 38 वर्षीय युवा चेहरे अखिलेश यादव और उनके मंत्रिपरिषद के सदस्यों ने पद की गोपनीयता की शपथ ली। राज्यपाल बीएल जोशी ने लखनऊ के स्थानीय `लॉ मार्टिनियर कॉलेज' मैदान में आयोजित भव्य समारोह में प्रदेश के सबसे युवा मुख्यमंत्री की पारी शुरू कराई। अखिलेश के साथ 19 मंत्रियों ने भी शपथ ली। हालांकि इससे पहले अखिलेश के पिता श्री मुलायम सिंह यादव तीन बार प्रदेश के मुख्यमंत्री बने पर उन्हें हर बार दूसरों के समर्थन की बैसाखी पर ही खड़ा होना पड़ा है। इस बार सत्ता के लिए स्पष्ट जनादेश मिला है तो नए मुख्यमंत्री के लिए चुनौतियों का भी पहाड़ सामने है। शपथ समारोह से भी विवाद आरम्भ हो गए हैं। उनकी ताजपोशी के साथ विवादास्पद निर्दलीय विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्प राजा भैया का कैबिनेट मंत्री बनना चौंकाने वाला था। राजा भैया के खिलाफ हत्या की कोशिश, डकैती, अपहरण समेत आठ आपराधिक मुकदमें दर्ज हैं। अखिलेश ने सफाई देते हुए कहा कि राजा भैया के खिलाफ लगे आरोप राजनीतिक साजिश थे। शपथ के बाद का अखिलेश और शपथ से पहले में फर्प आ गया है। यही अखिलेश हैं जिन्होंने डीपी यादव के पार्टी में प्रवेश पर आपत्ति की थी। अखिलेश के लिए एक बड़ी चुनौती गुंडाराज न लौटने की है। इधर अखिलेश शपथ ले रहे थे तो उधर उनकी पार्टी वाले ग्रेटर नोएडा के दादरी क्षेत्र में बसपा परिवारों को मारने-पीटने में लगे थे। उल्लेखनीय है कि इसी क्षेत्र में पूर्व मुख्यमंत्री मायावती का गांव बादलपुर भी है। मायावती राज में सपा कार्यकर्ताओं की बहुत पिटाई हुई थी अब स्वाभाविक है कि वह बदला लेना चाहेंगे। इसी पर अखिलेश को नियंत्रण लगाना होगा। उनके मंत्रिपरिषद और पार्टी में बहुत वरिष्ठ नेता गण हैं। उन पर अंकुश लगाना आसान नहीं होगा। बच्चा कहकर कुछ मंत्री, संत्री अपनी मनमानी करना चाहेंगे। देखें अखिलेश इस समस्या का क्या समाधान निकालते हैं और सीनियरों की मनमानियों को रोकते हैं। 11 लाख युवाओं की उम्मीदों पर खरा उतरना आसान नहीं होगा। बेरोजगारी भत्ता का चुनावी वादा पूरा करने के लिए अखिलेश को डेढ़ हजार करोड़ रुपये जुटाने होंगे। पार्टी ने इससे पहले के कार्यकाल में जहां 500 रुपये महीना भत्ता दिया था वहीं इस बार बेरोजगार नौजवानों को 1000 रुपये देने का वादा किया है। अखिलेश ने दो वर्ष में गांवों के लिए 20 घंटे व शहर को 22 घंटे बिजली देने का वादा किया है। किसानों की तरह गरीब बुनकर को भी मुफ्त बिजली देने की बात घोषणा पत्र में कही गई है। उद्योग व कृषि क्षेत्र को भरपूर बिजली देने के साथ ही निजी व सरकारी क्षेत्र में बिजली उत्पादन को प्राथमिकता देते हुए नए बिजली घरों का निर्माण व पुराने का सुधार तथा बिजली चोरी रोकने को लाइन लॉस घटाने की घोषणा की गई है। गौर करने की बात यह है कि अभी बिजली उत्पादन व उपलब्धता की जो स्थिति है उससे ज्यादातर शहरों को ही
16-18 घंटे बिजली नहीं मिल पाती जबकि गांवों को तो औसतन 9 घंटे बिजली की आपूर्ति हो रही है। चूंकि बिजली घर स्थापित करने में 4 वर्ष लगते हैं इसलिए फिलहाल बिजली की स्थिति में उल्लेखनीय सुधार अखिलेश के लिए चुनौती होगी। मुफ्त बिजली देने से डेढ़-दो हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का अतिरिक्त बोझ उस पॉवर कारपोरेशन पर पड़ेगा जो पहले से ही 8 हजार करोड़ रुपये से अधिक के घाटे में है। अब बारी आती है टैबलेट व लैपटॉप देने के मुद्दे पर। सपा के हाई स्कूल व इंटर पास विद्यार्थियों को मुफ्त लैपटॉप और टैबलेट पीसी बांटने का वादा किया है। इस वर्ष हाई स्कूल पास विद्यार्थियों की संख्या 25 लाख व इंटर पास 21 लाख रहने का अनुमान है। अगर टैबलेट पीसी का न्यूनतम मूल्य 50 डालर यानि 2500 रुपये ही माना जाए तो हाई स्कूल उत्तीर्ण विद्यार्थियों को उसे देने के लिए सालाना 625 करोड़ का खर्च आएगा। दोनों को मिलाकर अखिलेश को 3800 करोड़ रुपये का प्रबंध करना होगा। विशेषज्ञों ने अनुमान लगाया है कि अगर सपा सरकार अपने वादों पर अमल शुरू करने लगी तो उसे करीब 66 हजार करोड़ रुपये की सालाना व्यवस्था करने का प्रबंध करना पड़ेगा जबकि जगजाहिर है कि प्रदेश की आर्थिक स्थिति काफी खोखली हो चुकी है। पिछले वित्त वर्ष में यहां पर 18,959 करोड़ रुपये के घाटे का बजट था। इस वर्ष यह घाटा और बड़ी छलांग लगा सकता है। जाहिर है ऐसे में अखिलेश की सरकार को अपने चुनावी वादे पूरा करना आसान नहीं होगा। लेकिन इतना तय है कि यदि अखिलेश सरकार ने वाकई दृढ़ राजनीतिक संकल्प जताया तो इस लक्ष्य को पाना असम्भव भी नहीं है। हम अखिलेश को बधाई देने के साथ उम्मीद करते हैं कि वह प्रदेश की जनता की उम्मीदों पर खरे उतरेंगे।
Akhilesh Yadav, Anil Narendra, Daily Pratap, Mulayam Singh Yadav, Samajwadi Party, Uttar Pradesh, Vir Arjun
16-18 घंटे बिजली नहीं मिल पाती जबकि गांवों को तो औसतन 9 घंटे बिजली की आपूर्ति हो रही है। चूंकि बिजली घर स्थापित करने में 4 वर्ष लगते हैं इसलिए फिलहाल बिजली की स्थिति में उल्लेखनीय सुधार अखिलेश के लिए चुनौती होगी। मुफ्त बिजली देने से डेढ़-दो हजार करोड़ रुपये से ज्यादा का अतिरिक्त बोझ उस पॉवर कारपोरेशन पर पड़ेगा जो पहले से ही 8 हजार करोड़ रुपये से अधिक के घाटे में है। अब बारी आती है टैबलेट व लैपटॉप देने के मुद्दे पर। सपा के हाई स्कूल व इंटर पास विद्यार्थियों को मुफ्त लैपटॉप और टैबलेट पीसी बांटने का वादा किया है। इस वर्ष हाई स्कूल पास विद्यार्थियों की संख्या 25 लाख व इंटर पास 21 लाख रहने का अनुमान है। अगर टैबलेट पीसी का न्यूनतम मूल्य 50 डालर यानि 2500 रुपये ही माना जाए तो हाई स्कूल उत्तीर्ण विद्यार्थियों को उसे देने के लिए सालाना 625 करोड़ का खर्च आएगा। दोनों को मिलाकर अखिलेश को 3800 करोड़ रुपये का प्रबंध करना होगा। विशेषज्ञों ने अनुमान लगाया है कि अगर सपा सरकार अपने वादों पर अमल शुरू करने लगी तो उसे करीब 66 हजार करोड़ रुपये की सालाना व्यवस्था करने का प्रबंध करना पड़ेगा जबकि जगजाहिर है कि प्रदेश की आर्थिक स्थिति काफी खोखली हो चुकी है। पिछले वित्त वर्ष में यहां पर 18,959 करोड़ रुपये के घाटे का बजट था। इस वर्ष यह घाटा और बड़ी छलांग लगा सकता है। जाहिर है ऐसे में अखिलेश की सरकार को अपने चुनावी वादे पूरा करना आसान नहीं होगा। लेकिन इतना तय है कि यदि अखिलेश सरकार ने वाकई दृढ़ राजनीतिक संकल्प जताया तो इस लक्ष्य को पाना असम्भव भी नहीं है। हम अखिलेश को बधाई देने के साथ उम्मीद करते हैं कि वह प्रदेश की जनता की उम्मीदों पर खरे उतरेंगे।
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