Saturday 31 March 2012

जनरल वीके सिंह के पत्र ने खड़े किए सवाल

Vir Arjun, Hindi Daily Newspaper Published from Delhi
Published on 31 March 2012
अनिल नरेन्द्र
थल सेनाध्यक्ष जनरल वीके सिंह द्वारा प्रधानमंत्री को लिखी चिट्ठी जिसमें बताया गया है कि हमारे सुरक्षा बलों के पास हथियारों की कमी है, गोला-बारुद इत्यादि की कमी है, ने कई प्रश्न खड़े कर दिए हैं। क्या जनरल को ऐसा पत्र लिखना चाहिए था? क्या रिटायरमेंट से कुछ दिन पहले इसको लिखने का सही समय था? यह पत्र किसने और क्यों लीक किया? इसका फालआउट क्या होगा? यह हैं जो प्रश्न आज चर्चा में हैं। जहां तक जनरल का पत्र है तो मैं समझता हूं कि अगर थल सेनाध्यक्ष देश के प्रधानमंत्री को यह चौकस करना चाहता है कि उनकी लचर नीतियों, अनिर्णयता के कारण हमारी सेनाओं में जरूरी सामान की आपूर्ति नहीं हो रही और अगर जंग होती है तो हम उसे जीत नहीं सकते, तो इसमें गलत क्या है? क्या सेनाध्यक्ष को यह राजनेताओं को बताना नहीं चाहिए कि भारतीय सेनाओं की क्षमता से समझौता किया जा रहा है और अगर इस कमी को अविलम्ब पूरा नहीं किया गया तो यह सेना के लिए घातक होगा। जहां तक इस पत्र के समय की बात है तो जनरल की आयु विवाद के बाद लिखने से थोड़ी-सी बदनीयती की बू जरूर आती है। कुछ लोग कह सकते हैं कि चूंकि सरकार ने जनरल की आयु विवाद में उनका विरोध किया था इसलिए जनरल ने बदले की भावना से यह पत्र लिखा। सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न तो यह है कि यह पत्र किसने लीक किया? यह पत्र या तो आर्मी से हो सकता है या फिर प्रधानमंत्री कार्यालय से। मुझे नहीं लगता कि जनरल ने खुद इसे लीक किया होगा। मुझे शक पीएमओ पर है। अकसर पीएमओ से गोपनीय दस्तावेज लीक होते ही रहते हैं। 2जी स्पैक्ट्रम घोटाले में भी कई दस्तावेज प्रधानमंत्री कार्यालय से लीक हुए। रिपोर्ट है कि जनरल ने यह पत्र चीन की बढ़ती सैन्य क्षमता को लेकर लिखा था। पत्र में सीधे तौर पर चीन की तैयारियों के मुकाबले भारत की तैयारियों को रखा गया है। यह भी कहा गया है कि भारत के रक्षा तंत्र के आधुनिकीकरण पर नौकरशाही अड़ंगे डाल रही है। जनरल सिंह ने लिखा तिब्बत स्वायत्त क्षेत्र में चीन खुलेआम निर्माण कार्य कर रहा है। वहीं भारतीय सेना की मौजूदगी संतोषजनक नहीं है। भारत की सैन्य तैयारियां खोखली हैं। सैन्य विशेषज्ञों का मानना है कि हम चीन के सामने कहीं नहीं ठहरते और पाकिस्तान को हम आज भी हराने की स्थिति में हैं। वैसे सैन्य सामग्री की आपूर्ति में सैनिक अधिकारियों का भी कसूर कम नहीं। जनरल के पत्र से यह तो साफ हो ही गया है कि कई सेनाओं के अफसर बतौर कमीशन एजेंट काम कर रहे हैं। जब एमूनेशन की कमी है तो प्रैक्टिस में इतना गोला-बारुद क्यों वेस्ट किया गया? 1971 के बाद से हमारी सेना ने कोई बड़ी जंग नहीं लड़ी। इसलिए सही मायनों में हमें अपनी सेनाओं की ताजा स्थिति की सही जानकारी नहीं है। जनरल सिंह पिछले कई महीनों से अपनी आयु के विवाद में तो लगे रहे पर उन्हें सेना की तैयारी की चिन्ता नहीं हुई। क्या जनरल सिंह ने यह मिसाइल इसलिए तो नहीं दागी  कि यूपीए सरकार रक्षा बजट पर पूरा ध्यान दे और सैन्य सामग्री की आपूर्ति को प्राथमिकता दे। जो कुछ भी हो पर यह न तो देश के लिए अच्छा है और न ही हमारी सेनाओं के लिए शुभ संकेत है कि हमारी तैयारी पिछड़ चुकी है। ताजा जानकारी का देश के दुश्मन फायदा उठा सकते हैं। सरकार और सेना प्रमुख में इतनी भारी खाई भी देशहित में नहीं। अन्त में प्रश्न यह उठता है कि क्या जनरल सिंह झूठ बोल रहे हैं? क्या सैन्य सामग्री की आपूर्ति पर्याप्त नहीं है? क्या पीएमओ से यह पत्र लीक हुआ? उत्तर है आंशिक रूप से यह सभी सही हैं।

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