रविवार को एक पत्रकार ने लखनऊ में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से प्रश्न किया कि क्या समाजवादी पार्टी यूपीए सरकार में शामिल होगी? जवाब में अखिलेश ने कहा कि हम यूपीए सरकार में शामिल होंगे या नहीं, इस पर अंतिम फैसला पार्टी अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव (नेता जी) ही करेंगे। सपा के केंद्र सरकार में सहयोगी बनने संबंधी दिग्विजय सिंह के बयान पर अखिलेश ने कहा कि नेता जी दिल्ली जा रहे हैं। केंद्र में सपा की भूमिका का फैसला वही करेंगे। मुलायम सिंह यादव (नेता जी) से जब दिल्ली में यही प्रश्न पूछा गया तो उन्होंने कहा कि न तो हमसे किसी ने ऐसा करने का अनुरोध किया है और न ही हमने किसी से अनुरोध किया है। नेता जी की बातों से ऐसा लगा कि वह मनमोहन सिंह सरकार में शामिल होने के लिए ज्यादा उत्साहित नहीं हैं। केंद्र सरकार बेशक ममता से आजिज मुलायम सिंह की तरफ भले ही बड़ी हसरत से देख रही हो, लेकिन सपा की इसमें ज्यादा दिलचस्पी नहीं लगती। यहां तक कि सपा न तो केंद्र सरकार में शामिल होगी और न ही उसे उपसभापति के पद की दरकार है। हालांकि यह भी साफ है कि सपा मनमोहन सिंह सरकार को गिराने का कोई प्रयास नहीं करेगी और समर्थन जारी रखेगी। संप्रग सरकार को लेकर सपा का नजरिया बिल्कुल साफ है। सूत्रों के मुताबिक उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भारी-भरकम जीत के बाद सपा अब आगामी लोकसभा चुनाव तक उस पर कोई आंच नहीं आने देना चाहती। खासतौर से उस स्थिति के मद्देनजर जब बीते वर्षों में भ्रष्टाचार एवं घोटालों जैसे कई मोर्चों पर केंद्र सरकार का दामन दागदार रहा है। इतना ही नहीं, पार्टी उत्तर प्रदेश में किसानों की बेहतरी के कई वादों पर भी जीती है जबकि केंद्रीय बजट में आने वाले समय में डीजल के मूल्य वृद्धि के संकेत हैं। पार्टी का मानना है कि ऐसे में केंद्र सरकार में शामिल होकर उन्हें गुनाहों का भागीदार बनना इसके लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है। लिहाजा उसे दूर रहने में ही भलाई है। सपा के उच्च पदस्थ सूत्रों ने तो दावा किया कि कांग्रेस की अगुवाई वाली केंद्र सरकार में शामिल होने का सवाल ही नहीं। इसके पीछे एक तर्प यह भी है कि बीते वर्षों में सपा ने भले ही कई मोर्चों पर आगे बढ़कर केंद्र सरकार का साथ दिया हो, लेकिन उत्तर प्रदेश के बीते विधानसभा के चुनाव तक कांग्रेस ने भी कभी उसके साथ दोस्ताना रिश्ते का परिचय नहीं दिया। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के बीते विधानसभा चुनाव में कांग्रेस बसपा एवं मायावती को छोड़कर सपा पर ही सबसे ज्यादा हमलावर रही थी। एक अन्य सपा नेता ने यह भी स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार में शामिल होने के लिए कांग्रेस की तरफ से कोई ठोस प्रस्ताव वैसे भी अभी तक नहीं आया है। कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने सोमवार को मुलायम सिंह की जमकर तारीफ की थी। सपा की प्राथमिकता हमें तो साफ लगती है। सपा की प्राथमिकता उत्तर प्रदेश में एक अच्छी सरकार चलाना और उत्तर प्रदेश में पार्टी को और मजबूत करना है, न कि किसी दूसरी पार्टी की गलतियों में शरीक होना।
रविवार को एक पत्रकार ने लखनऊ में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से प्रश्न किया कि क्या समाजवादी पार्टी यूपीए सरकार में शामिल होगी? जवाब में अखिलेश ने कहा कि हम यूपीए सरकार में शामिल होंगे या नहीं, इस पर अंतिम फैसला पार्टी अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव (नेता जी) ही करेंगे। सपा के केंद्र सरकार में सहयोगी बनने संबंधी दिग्विजय सिंह के बयान पर अखिलेश ने कहा कि नेता जी दिल्ली जा रहे हैं। केंद्र में सपा की भूमिका का फैसला वही करेंगे। मुलायम सिंह यादव (नेता जी) से जब दिल्ली में यही प्रश्न पूछा गया तो उन्होंने कहा कि न तो हमसे किसी ने ऐसा करने का अनुरोध किया है और न ही हमने किसी से अनुरोध किया है। नेता जी की बातों से ऐसा लगा कि वह मनमोहन सिंह सरकार में शामिल होने के लिए ज्यादा उत्साहित नहीं हैं। केंद्र सरकार बेशक ममता से आजिज मुलायम सिंह की तरफ भले ही बड़ी हसरत से देख रही हो, लेकिन सपा की इसमें ज्यादा दिलचस्पी नहीं लगती। यहां तक कि सपा न तो केंद्र सरकार में शामिल होगी और न ही उसे उपसभापति के पद की दरकार है। हालांकि यह भी साफ है कि सपा मनमोहन सिंह सरकार को गिराने का कोई प्रयास नहीं करेगी और समर्थन जारी रखेगी। संप्रग सरकार को लेकर सपा का नजरिया बिल्कुल साफ है। सूत्रों के मुताबिक उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भारी-भरकम जीत के बाद सपा अब आगामी लोकसभा चुनाव तक उस पर कोई आंच नहीं आने देना चाहती। खासतौर से उस स्थिति के मद्देनजर जब बीते वर्षों में भ्रष्टाचार एवं घोटालों जैसे कई मोर्चों पर केंद्र सरकार का दामन दागदार रहा है। इतना ही नहीं, पार्टी उत्तर प्रदेश में किसानों की बेहतरी के कई वादों पर भी जीती है जबकि केंद्रीय बजट में आने वाले समय में डीजल के मूल्य वृद्धि के संकेत हैं। पार्टी का मानना है कि ऐसे में केंद्र सरकार में शामिल होकर उन्हें गुनाहों का भागीदार बनना इसके लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है। लिहाजा उसे दूर रहने में ही भलाई है। सपा के उच्च पदस्थ सूत्रों ने तो दावा किया कि कांग्रेस की अगुवाई वाली केंद्र सरकार में शामिल होने का सवाल ही नहीं। इसके पीछे एक तर्प यह भी है कि बीते वर्षों में सपा ने भले ही कई मोर्चों पर आगे बढ़कर केंद्र सरकार का साथ दिया हो, लेकिन उत्तर प्रदेश के बीते विधानसभा के चुनाव तक कांग्रेस ने भी कभी उसके साथ दोस्ताना रिश्ते का परिचय नहीं दिया। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के बीते विधानसभा चुनाव में कांग्रेस बसपा एवं मायावती को छोड़कर सपा पर ही सबसे ज्यादा हमलावर रही थी। एक अन्य सपा नेता ने यह भी स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार में शामिल होने के लिए कांग्रेस की तरफ से कोई ठोस प्रस्ताव वैसे भी अभी तक नहीं आया है। कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने सोमवार को मुलायम सिंह की जमकर तारीफ की थी। सपा की प्राथमिकता हमें तो साफ लगती है। सपा की प्राथमिकता उत्तर प्रदेश में एक अच्छी सरकार चलाना और उत्तर प्रदेश में पार्टी को और मजबूत करना है, न कि किसी दूसरी पार्टी की गलतियों में शरीक होना।
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रविवार को एक पत्रकार ने लखनऊ में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव से प्रश्न किया कि क्या समाजवादी पार्टी यूपीए सरकार में शामिल होगी? जवाब में अखिलेश ने कहा कि हम यूपीए सरकार में शामिल होंगे या नहीं, इस पर अंतिम फैसला पार्टी अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव (नेता जी) ही करेंगे। सपा के केंद्र सरकार में सहयोगी बनने संबंधी दिग्विजय सिंह के बयान पर अखिलेश ने कहा कि नेता जी दिल्ली जा रहे हैं। केंद्र में सपा की भूमिका का फैसला वही करेंगे। मुलायम सिंह यादव (नेता जी) से जब दिल्ली में यही प्रश्न पूछा गया तो उन्होंने कहा कि न तो हमसे किसी ने ऐसा करने का अनुरोध किया है और न ही हमने किसी से अनुरोध किया है। नेता जी की बातों से ऐसा लगा कि वह मनमोहन सिंह सरकार में शामिल होने के लिए ज्यादा उत्साहित नहीं हैं। केंद्र सरकार बेशक ममता से आजिज मुलायम सिंह की तरफ भले ही बड़ी हसरत से देख रही हो, लेकिन सपा की इसमें ज्यादा दिलचस्पी नहीं लगती। यहां तक कि सपा न तो केंद्र सरकार में शामिल होगी और न ही उसे उपसभापति के पद की दरकार है। हालांकि यह भी साफ है कि सपा मनमोहन सिंह सरकार को गिराने का कोई प्रयास नहीं करेगी और समर्थन जारी रखेगी। संप्रग सरकार को लेकर सपा का नजरिया बिल्कुल साफ है। सूत्रों के मुताबिक उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भारी-भरकम जीत के बाद सपा अब आगामी लोकसभा चुनाव तक उस पर कोई आंच नहीं आने देना चाहती। खासतौर से उस स्थिति के मद्देनजर जब बीते वर्षों में भ्रष्टाचार एवं घोटालों जैसे कई मोर्चों पर केंद्र सरकार का दामन दागदार रहा है। इतना ही नहीं, पार्टी उत्तर प्रदेश में किसानों की बेहतरी के कई वादों पर भी जीती है जबकि केंद्रीय बजट में आने वाले समय में डीजल के मूल्य वृद्धि के संकेत हैं। पार्टी का मानना है कि ऐसे में केंद्र सरकार में शामिल होकर उन्हें गुनाहों का भागीदार बनना इसके लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है। लिहाजा उसे दूर रहने में ही भलाई है। सपा के उच्च पदस्थ सूत्रों ने तो दावा किया कि कांग्रेस की अगुवाई वाली केंद्र सरकार में शामिल होने का सवाल ही नहीं। इसके पीछे एक तर्प यह भी है कि बीते वर्षों में सपा ने भले ही कई मोर्चों पर आगे बढ़कर केंद्र सरकार का साथ दिया हो, लेकिन उत्तर प्रदेश के बीते विधानसभा के चुनाव तक कांग्रेस ने भी कभी उसके साथ दोस्ताना रिश्ते का परिचय नहीं दिया। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के बीते विधानसभा चुनाव में कांग्रेस बसपा एवं मायावती को छोड़कर सपा पर ही सबसे ज्यादा हमलावर रही थी। एक अन्य सपा नेता ने यह भी स्पष्ट किया कि केंद्र सरकार में शामिल होने के लिए कांग्रेस की तरफ से कोई ठोस प्रस्ताव वैसे भी अभी तक नहीं आया है। कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह ने सोमवार को मुलायम सिंह की जमकर तारीफ की थी। सपा की प्राथमिकता हमें तो साफ लगती है। सपा की प्राथमिकता उत्तर प्रदेश में एक अच्छी सरकार चलाना और उत्तर प्रदेश में पार्टी को और मजबूत करना है, न कि किसी दूसरी पार्टी की गलतियों में शरीक होना।
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