Tuesday, 28 March 2017

अब भाजपा की नजरें हिमाचल, गुजरात और कर्नाटक चुनाव पर

पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों से निपटने के साथ ही भारतीय जनता पार्टी ने अपना अगला मिशन शुरू कर दिया है। अटकलें तो यह भी लगाई जा रही हैं कि गुजरात में समय से पहले विधानसभा चुनाव हो सकते हैं। पार्टी के अंदर की चर्चाओं के संकेत हैं कि गुजरात के विधानसभा चुनाव भाजपा सरकार मई या जून में करा सकती है। यह संकेत कांग्रेस अध्यक्ष भरत सिंह सोलंकी ने दिए हैं। सोलंकी ने कहा कि भाजपा 31 मार्च को विधानसभा भंग कर सकती है और मई-जून में राज्य में चुनाव हो सकते हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि अब हिमाचल, गुजरात और कर्नाटक के बारे में कई चीजें नजर आएंगी। उनमें दूसरे दलों के नेताओं का भाजपा में स्वागत करने का सिलसिला भी शामिल है। कर्नाटक में वरिष्ठ कांग्रेस नेता एसएम कृष्णा के आगमन से यह सिलसिला शुरू हो चुका है। हिमाचल और गुजरात में इसी साल के अंत में चुनाव हैं। कर्नाटक में अगले साल विधानसभा चुनाव हैं। लगता है कि भाजपा की सेंट्रल लीडरशिप तीनों राज्यों में यूपी और उत्तराखंड को दोहराने के इरादे से काम कर रही है। इन दोनों राज्यों में भी चुनाव से पहले दूसरे दलों के कई नेता भाजपा में आए थे। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह की नीति अपने पार्टी संगठन को मजबूत करने और दूसरे दलों को कमजोर करने की लगती है। यानि दो समानांतर प्रयास। संगठन को मजबूत करने हेतु देशभर में 10 करोड़ से ज्यादा सदस्य बनाए गए हैं। कमजोरी को दूर करने के लिए कई तरह के प्रयास हो रहे हैं। जहां अपने यहां मजबूती नहीं है, वहां दूसरे दल के नेताओं को लाकर कमी दूर करने की कोशिश है। यूपी और उत्तराखंड में भी यही किया गया। उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा को मिली ऐतिहासिक जीत की पृष्ठभूमि में एक बात जो साफ उभरकर आई है वह यह है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नए हिन्दुस्तान में भाजपा मुसलमानों के लिए अछूती नहीं रही। देवबंद, बरेली और कई मुस्लिम बहुल सीटों पर भाजपा की जीत इसका प्रमाण है। तथाकथित धर्मनिरपेक्ष पार्टियां अब तक मुसलमानों की ठेकेदार बनकर वोटों का सौदा करती थीं। मोदी जी ने इन ठेकेदारों का कारोबार बंद कर दिया। अब तथाकथित धर्मनिरपेक्ष दल शायद ही मुसलमानों को वोट बैंक के तौर पर इस्तेमाल कर सकें। तीन तलाक का मुद्दा मुस्लिम महिलाओं को भा गया और गुजरात और कर्नाटक में भी इसका असर दिखेगा। अंत में बता दें कि भाजपा के तीन सांसद योगी आदित्यनाथ, मनोहर पर्रिकर और केशव प्रसाद मौर्य जुलाई के अंत तक अपना इस्तीफा लोकसभा से नहीं देंगे क्योंकि राष्ट्रपति चुनाव में पार्टी उनका वोट खोना नहीं चाहती।

-अनिल नरेन्द्र

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