पांच
राज्यों में विधानसभा चुनाव के परिणाम जब आप इस कॉलम को पढ़ेंगे आ चुके होंगे। एग्जिट
पोल के नतीजे आ चुके हैं। चाहे वह एग्जिट पोल हों या सट्टा मार्केट। इन्होंने जो ट्रेंड
पेश किए हैं कमोबेश लगभग वही ट्रेंड शनिवार सुबह सामने आ रहे हैं। दिग्गजों ने चुनावी
मैदान मार लेने में कोई कसर बाकी नहीं रखी। सरकार बनाने के लिए हर पार्टी व नेता ने
अपने तरकश से सभी तीर चला लिए। राजनीति के पंडित अपने-अपने अनुभवों के आधार पर अनुमान लगाते
रहे लेकिन सटोरिये शुरू से ही उत्तर प्रदेश में भाजपा को नम्बर वन बताते रहे और लगता
है कि अंतिम परिणाम भी ऐसा ही हो। पंजाब में जो कांटे की टक्कर कुछ पोलस्टर बता रहे
थे वह साबित न हों क्योंकि जो शुरुआती रुझान आ रहे हैं उससे लगता है कि कांग्रेस नम्बर
वन रहेगी। उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर में कमोबेश वही ट्रेंड नजर
आ रहे हैं जैसे एग्जिट पोल में दिखाए गए थे। अगर हम एग्जिट पोल की बात करें तो लोकतंत्र
के इस महापर्व में चुनावी नतीजों से पहले आने वाले एग्जिट पोल ने अहम भूमिका निभाई
है। 2014 से अब तक देश के सात चुनावों में छह बार एग्जिट पोल
के दावे नतीजे बदलते दिखे। 2016 में तमिलनाडु विधानसभा के नतीजों
को छोड़ दें तो 2014 के लोकसभा चुनाव के साथ पांच विधानसभा चुनावों
में एग्जिट पोल स्टीक रहे। 2014 के लोकसभा चुनावों में सभी एग्जिट
पोल भाजपा को सबसे बड़ी पार्टी बता रहे थे। नतीजों में भाजपा नीत गठबंधन को 334
सीटों पर जीत के साथ स्पष्ट बहुमत मिला था। इसके बाद 2016 में असम, पश्चिम बंगाल, केरल,
पुडुचेरी में हुए विधानसभा चुनावों में भी एग्जिट पोल के दावे नतीजों
में बदले। वहीं 2015 के बिहार विधानसभा चुनावों में सभी एग्जिट
पोल महागठबंधन को लगभग 130-140 सीटें मिलती दिखा रहे थे,
नतीजों में महागठबंधन को 178 सीटों के साथ स्पष्ट
बहुमत प्राप्त हुआ था। इनके अलावा सिर्फ 2016 तमिलनाडु विधानसभा
चुनावों में एग्जिट पोल के आंकड़े गड़बड़ाए थे। जहां सभी एग्जिट पोल डीएमके-कांग्रेस गठबंधन की जीत का दावा कर रहे थे, वहीं इसके
उलट एआईडीएमके ने जीत दर्ज की थी और जयललिता मुख्यमंत्री बनीं। पश्चिम बंगाल के चुनावों
में इंडिया टुडे ने तृणमूल कांग्रेस की कमतर जीत का अनुमान लगाया था, जो सही साबित हुआ। 294 सीटों वाली विधानसभा में ममता
बनर्जी की पार्टी को 211 सीटें मिली थीं। चाणक्य ने अपने सर्वे
में टीएमसी को 210, सी-वोटर ने
167 सीटें दी थीं। ज्यादातर एग्जिट पोल में केरल में सत्ताधारी यूडीएफ
के बेदखल होने का अनुमान जताया था। यह अनुमान सही साबित हुए और 140 सीटों वाली केरल विधानसभा में लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट ने 91 सीटें जीतीं। हाल के दिनों में एग्जिट पोल्स को सबसे बड़ा झटका बिहार विधानसभा
चुनावों में लगा था। अक्तूबर-नवम्बर 2015 में हुए चुनावों में ज्यादातर सर्वे में एनडीए और महागठबंधन के बीच करीबी मुकाबला
बताया गया था, लेकिन महागठबंधन ने भाजपा को करारी मात दी।
243 सीटों वाली विधानसभा में एबीपी-निलसन सर्वे
में महागठबंधन को 108 सीटें मिलने का अनुमान लगाया गया था। टाइम्स
नाऊ ने सी-वोटर के साथ किए गए सर्वे में महागठबंधन को
122 और भाजपा लीडरशिप वाले एनडीए को 111 सीटें
दी थीं। लेकिन चुनावों के नतीजे एकदम उलट आए थे। जनता ने आरजेडी-जेडीयू के महागठबंधन को विधानसभा की 178 सीटों पर जीत
दिलाई। इन पांच राज्यों के चुनाव नतीजों का दूरगामी प्रभाव होगा। राष्ट्रपति चुनाव
से लेकर 2019 के लोकसभा चुनाव में अब ज्यादा वक्त नहीं है। लोकसभा
चुनाव में तो अब महज दो साल का वक्त बचा है। इससे पहले इस जनादेश का अर्थ होगा कि न
सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, बल्कि उनके नोटबंदी जैसे कठोर
आर्थिक कदम को भी पूरा समर्थन मिला है। नतीजे अगर एग्जिट पोल के अनुसार ही आए (जो लग रहा है) तो गठबंधन राजनीतिक, जातिगत समीकरण जैसे विषयों के साथ-साथ भाजपा,
कांग्रेस व समाजवादी पार्टी की अंदरूनी राजनीति पर भी सीधा असर पड़ेगा।
सबसे ज्यादा असर सपा, बसपा और कांग्रेस पर पड़ सकता है। एक बार
फिर यह साबित हो जाएगा कि मोदी मैजिक अब भी बरकरार है। यूपी जैसे सूबे में मुख्यमंत्री
उम्मीदवार न प्रोजेक्ट करना, उत्तराखंड में भी किसी स्थानीय नेता
को न आगे बढ़ाने की रणना]ित कामयाब होती दिख रही है। आप अगर पंजाब में हारती है तो
इसका सीधा प्रभाव दिल्ली की राजनीति पर भी पड़ेगा। नगर निगम चुनाव सिर पर हैं। उसमें
इस हार का क्या सीधा प्रभाव पड़ेगा? राहुल गांधी के नेतृत्व पर
एक बार फिर कांग्रेस में सुगबुगाहट शुरू हो जाएगी। ब्लेम गेम कई दिनों तक चलेगा। सफाइयों
का दौर शनिवार से ही शुरू हो जाएगा। टीवी चैनल्स को अब कई दिनों का मसाला मिल गया।
जिन चैनलों के आंकड़े गलत स]िबत हुए हैं पता नहीं अपनी सफाई में क्या कहेंगे। इन परिणामों
का दूरगामी प्रभाव पड़ेगा।
-अनिल नरेन्द्र
No comments:
Post a Comment