Thursday 9 March 2017

अपने ही पूर्व एनएसए से बेनकाब होता पाकिस्तान

मुंबई हमले के साजिशकर्ताओं को सजा दिलाने के मुद्दे पर अपनी भूमिका पर टाल-मटोल करता पाकिस्तान अब खुद पाकिस्तान के पूर्व एनएसए (राष्ट़ीय सुरक्षा सलाहकार) महमूद अली दुर्रानी की सनसनीखेज स्वीकृति से कटघरे में खड़ा हो गया है। पाकिस्तान की पोल दुर्रानी ने खोल दी है। दुर्रानी ने कहा है कि मुंबई (26/11) हमले को पाकिस्तान के आतंकी संगठन ने अंजाम दिया और यह सीमा पार आतंकवाद का शानदार उदाहरण है। सोमवार को 19वीं एशिया रक्षा कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए दुर्रानी का यह बयान नया तो नहीं है। लेकिन इससे भारत से सबूत मांग रहे पाकिस्तान की पोल जरूर खुल जाती है। भारत में हुई छानबीन से आरंभ में ही यह स्पष्ट हो गया था कि हमले की साजिश से लेकर अमल तक की खतरनाक जमीन पाकिस्तान में ही तैयार की गई थी और हमले के दौरान भी वहीं से आतंकवादियों को निर्देश जारी किए जा रहे थे। अमेरिका सहित दुनिया के दूसरे देश भी यह बात मान चुके हैं। अब दुर्रानी के कथन के बाद भारत का पक्ष कहीं ज्यादा मजबूत हुआ है। बता दें कि महत्वपूर्ण बात यह है कि महमूद अली दुर्रानी उस दौरान पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार थे, जब हमला हुआ था। हालांकि दुर्रानी ने इस बार पाक सरकार और आईएसआई का बचाव किया है। उन्होंने कहा कि मुंबई हमले में पाकिस्तान सरकार व आईएसआई का हाथ नहीं था। पर यह बात इसलिए किसी के गले नहीं उतरती कि जब पाकिस्तान में पनाह पाए आतंकियों ने हमला किया तो फिर पाकिस्तान सरकार को दोषी क्यों नहीं माना जाना चाहिए? दुर्रानी ने कहा कि हाफिज सईद के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। मगर यह बात छिपी नहीं है कि भारत सरकार की ओर से सईद के खिलाफ पेश किए गए तमाम खुलासों व सबूतों को पाकिस्तान सरकार खारिज करती रही है। मुंबई हमलों के बाद कुछ समय के लिए गिरफ्तार जरूर किया गया था, पर पाक सरकार की ओर से पेश सबूतों के आधार पर अदालत ने उसे बरी कर दिया था। दुर्रानी ने यह बातें नई दिल्ली में आयोजित 19वीं एशियाइ रक्षा कांन्फ्रेंस में कही हैं, जहां आतंकवाद के विरुद्ध अंतर्राष्ट्रीय कार्रवाई को परिभाषित किए जाने पर विचार-विमर्श के साथ आतंकवाद से निपटने के लिए ठोस नीति व कुछ नियम बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं। ऐसे सम्मेलन में अगर दुर्रानी मुंबई हमले को सीमापार आतंकवाद का क्लासिक उदाहरण बताते हुए कहते हैं कि हर देश को सुनिश्चित करना चाहिए कि किसी दूसरे देश पर हमला करने के लिए उसकी धरती का इस्तेमाल हो तो क्या इसका सीधा निष्कर्ष यह नहीं निकलता कि भारत में आतंकवादी हमलों के लिए पाकिस्तानी जमीन का इस्तेमाल हो रहा है और यह हर हाल में रुकना चाहिए।


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