Friday 3 March 2017

मोदी की प्रतिष्ठा, मायावती की सोशल इंजीनियरिंग दांव पर होगी

उत्तर प्रदेश के महासंग्राम में छठवें चरण की जंग रोचक होने जा रही है। इस चरण में सात जिलों की 49 सीटों पर चार मार्च को वोट पड़ेंगे। जिन सीटों पर वोट पड़ने हैं उनमें हैंöमहाराजगंज, कुशीनगर, गोरखपुर, देवरिया, आजमगढ़, मऊ और बलिया। 2012 के विधानसभा चुनाव में सपा को पूर्वांचल के छह जिलों में शानदार सफलता मिली थी। आजमगढ़, जौनपुर, देवरिया, गाजीपुर, बलिया और भदोही की 43 में से 35 सीटों पर उसने कब्जा जमाया था। इन सीटों को बरकरार रखने के साथ ही कमजोर जिलों में अपनी तादाद बढ़ाने के लिए समाजवादी पार्टी-कांग्रेस गठबंधन ने पूरी ताकत झोंक रखी है। प्रदेश में अब तक 313 सीटों पर चुनाव हो चुका है। पूर्वांचल की 89 सीटों पर दो चरणों में चुनाव होना है। छठवें और सातवें चरण में 14 जिलों की जिन 89 सीटों पर चुनाव होने हैं, वहां बसपा सुप्रीमो मायावती के प्रयोगों की भी परीक्षा होगी। बहन जी ने इस अंचल में कई प्रयोग किए हैं। बसपा ने विधानसभा चुनाव के लिए सबसे पहले प्रत्याशियों का ऐलान किया था, लेकिन सपा-कांग्रेस गठबंधन के बाद मायावती ने मुस्लिम मतदाताओं को आकृष्ट करने के लिए पूर्वांचल की करीब एक दर्जन सीटों पर असर रखने वाले माफिया मुख्तार अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल का बसपा में विलय कर लिया। साथ ही अपने तीन घोषित उम्मीदवारों के टिकट काटकर मुख्तार अंसारी, मुख्तार के बेटे अब्बास अंसारी व भाई सिगबतुल्ला अंसारी को दे दिए। देखना होगा कि मायावती का यह प्रयोग कितना असर दिखाता है। दलित-मुस्लिम समीकरण फिट बैठता है या दलितों में बिखराव नजर आता है। इसी तरह बसपा ने पूर्वांचल में प्रभाव रखने वाले सपा सरकार के दो पूर्व वरिष्ठ मंत्रियों अम्बिका चौधरी व नारद राय को भी चुनाव के बीच बसपा में शामिल कर लिया। इन्हें भी घोषित प्रत्याशियों का टिकट काटकर प्रत्याशी बनाया। जानकार कहते हैं कि ताबड़तोड़ टिकट काटकर जिस तरह ऐन चुनाव के समय बाहरी लोगों को मौका दिया गया है, उससे कई सीटों पर काडर के भीतर असंतोष है। इसके अलावा बसपा ने पूर्वांचल के कई मौजूदा विधायकों का टिकट काटा है और कुछेक का क्षेत्र बदल दिया। उधर भाजपा ने भी इन आखिरी दो चरणों के लिए पूरी ताकत झोंक दी है। यूपी की फतेह के लिए पीएम मोदी अपनी शैली में याचक बनकर एक-एक वोट के लिए झोली पसार रहे हैं। मोदी की व्यूहरचना से सपा-कांग्रेस गठबंधन, सपा व बसपा सभी दल पशोपेश में हैं। तीन मार्च को पीएम मिर्जापुर तथा चार मार्च को जौनपुर में भाजपा की रैली में पहुंचेंगे। जौनपुर में सभा के बाद मोदी अपने संसदीय क्षेत्र वाराणसी में आ जाएंगे। वाराणसी में पीएम रात्रि-विश्राम करेंगे। पांच मार्च को मोदी की सभा है जबकि रोड शो की भी तैयारी है। यदि एसपीजी व सुरक्षा एजेंसियों ने ग्रीन सिग्नल दिया तो रोड शो तभी हो पाएगा। उल्लेखनीय है कि आखिरी दौर में पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह, केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह, केंद्रीय मंत्री कलराज मिश्र, साध्वी उमा भारती, योगी आदित्यनाथ सहित कई मंत्रियों की सभाएं अलग-अलग क्षेत्रों में होनी हैं। चर्चा गरम है कि आखिरी दौर में भगवा टोलियां भी जहां घर-घर दस्तक दे रही हैं, वहां मोदी की सभाओं से माहौल को भाजपा के पक्ष में करने हेतु पूरी ताकत झोंक रही है। पार्टी का मिशन फतेह के तहत सीधा लक्ष्य है कि बकाया 89 विधानसभा सीटों पर ज्यादा से ज्यादा कमल खिलाया जा सके। पूर्वांचल के मोर्चे पर भगवा टोली को इसलिए भी ज्यादा पसीना बहाना पड़ रहा है क्योकि इसमें पीएम मोदी का संसदीय क्षेत्र भी है। इसके अलावा राजनाथ सिंह व कलराज मिश्र भी मूल रूप से इसी इलाके के रहने वाले हैं। योगी आदित्यनाथ भी पूर्वांचल में रहते हैं। पार्टी के लिए प्रतिष्ठा की लड़ाई इसलिए भी है क्योंकि बसपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे आपराधिक छवि वाले मुख्तार अंसारी का कुनबा भी यहां चुनौती दे रहा है। आने वाले दिन सभी दलों के लिए अग्निपरीक्षा से कम नहीं हैं।

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