Tuesday 5 December 2017

बहुजन समाज पार्टी की छोटी सी जीत के बड़े सियासी संकेत

2012 2017 के विधानसभा चुनाव और 2014 के लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी का उत्तर प्रदेश से सूपड़ा साफ हो गया था। बसपा ने इसे सुनियोजित साजिश करार दिया था। ईवीएम में धांधली का आरोप भी लगाया था। ईवीएम  के खिलाफ प्रदेश में विरोध दिवस का आयोजन  तक किया। हालिया उत्तर प्रदेश के स्थानीय निकाय चुनाव में भी ईवीएम से वोटिंग का विरोध किया, लेकिन जिस ईवीएम पर बसपा ने सवाल उठाया था, शुक्रवार को उसी ईवीएम के जरिए अलीगढ़ और मेरठ में नगर निगम की सीट उसे मिली। ईवीएम के फैसले से ही मेरठ में बसपा प्रत्याशी सुनीता वर्मा महापौर बनीं। इसी तरह अलीगढ़ नगर निगम  की सीट पर बसपा के मुहम्मद फुरकान को जीत हासिल हुई। बसपा की इस छोटी जीत के बड़े सियासी संकेत हैं। शहरों में मिली सफलता बसपा में जान फूंकने वाली है। निकाय चुनाव का परिणाम बसपा के लिए अच्छे दिन का अहसास कराने वाला साबित हुआ। सालों बाद सिंबल पर निकाय चुनाव लड़ी बसपा को भले ही बड़ी सफलता न मिली हो पर उसके लिए यह फायदेमंद जरूर रहा। पूर्वी यूपी से पश्चिमी यूपी तक उसे फायदा मिला। सही मायनों में उसके लिए यह जीत संजीवनी का काम करेगी। बसपा ने विधानसभा और लोकसभा चुनाव में लगातार निराशाजनक प्रदर्शन के बाद जोरदार वापसी की है। पार्टी ने अलीगढ़ के साथ मेरठ के महापौर की कुर्सी पर कब्जा करने के साथ पार्षद की 147 सीटों पर कब्जा जमाया है। इससे साफ हो गया कि काडर अभी भी बहन जी के साथ है। सपा की परवान चढ़ती उम्मीदों को इन नतीजों ने झटका दिया है। पार्टी को युवाओं में अपनी लोकप्रियता पर भरोसा था तो मुसलमानों की डोर खुद से बंधी होने का आत्मविश्वास भी था। बूचड़खाने, लव जेहाद, ताजमहल, एंटी रोमियो स्क्वाड जैसे मुद्दों से हुए वोटों के ध्रुवीकरण का फायदा भाजपा को तो हुआ। इसके उलट फायदा सपा के बजाय बसपा को ज्यादा हुआ। लगता है कि दोनें ही वोट बैंक सपा के बजाए भाजपा, बसपा व अन्य की ओर भी खिसके हैं। शहरी क्षेत्र के लिए इन चुनावों में नए जातीय समीकरण के भी संकेत मिले हैं। लोकसभा से लेकर विधानसभा चुनाव में रहने वाला जातीय समीकरण बदलता हुआ दिख रहा है। इस चुनाव में मिली सफलता से खुश बहुजन समाज पार्टी प्रमुख मायावती ने भारतीय जनता पार्टी को चुनौती देते हुए कहा कि यदि वह लोकतंत्र में यकीन करती है तो 2019 के आम चुनाव ईवीएम के बदले बैलेट पेपर से करवाए। उन्होंने कहा कि अगला लोकसभा चुनाव 2019 में है और यदि भाजपा कहती है कि उनके साथ जनसमूह है और पूरे देश की जनता उसके साथ है तो वह बैलेट पेपर से चुनाव करवाकर दिखाए। मैं यकीन के साथ कहती हूं कि भाजपा कभी नहीं जीत पाएगी।


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