Friday 8 December 2017

सीपीईसी के खिलाफ पाकिस्तान में असंतोष

चीन-पाकिस्तान इकनोमिक कारिडोर (सीपीईसी) के तहत पाकिस्तान के ग्वादर पोर्ट पर चीन ने विकास कार्य शुरू किया था। बता दें कि करीब 60 अरब डॉलर की अनुमानित लागत वाला यह चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा चीन के प्रतिष्ठित वन बेल्ट, वन रोड परियोजना का हिस्सा है। ऐसा कहा जा रहा है कि यह परियोजना पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) के एक हिस्से से भी गुजरेगा। इस परियोजना के जरिये चीन का शिनजियांग क्षेत्र पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत से जुड़ जाएगा। पाकिस्तान सरकार ने चीन के साथ हुई इस संधि को बड़े जोरशोर से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद बताया और प्रचार किया। लेकिन हकीकत इसके ठीक उलट है। पाकिस्तान के पोर्ट और शिपिंग मंत्री मीर हासिल विजेजो ने संसद के सामने जो तस्वीर रखी उसने चीन-पाकिस्तान के बीच के समझौते की पोल खोल दी। मंत्री जी ने बताया कि अगले 40 साल तक ग्वादर पोर्ट से कमाई का 91 प्रतिशत हिस्सा चीन के हिस्से जाएगा और बाकी का नौ प्रतिशत पाकिस्तान के खाते में आएगा। समझौता अगले 40 सालों के लिए बिल्ड-आपरेट और ट्रांसफर (बीओटी) मॉडल पर आधारित है। इसका अर्थ है कि पोर्ट की कार्गो क्षमता बढ़ाने के लिए इस पूरे समय तक यहां का कामकाज और आधारभूत सुविधाएं पाकिस्तान के जिम्मे होंगी। पाकिस्तान की संसद ने सीपीईसी समझौते पर पाकिस्तान सरकार द्वारा चुप्पी साधने पर सवालिया निशान खड़ा किया था और समझौते का फायदा चीन को होने की आशंका जताई थी। पाकिस्तान मुस्लिम लीग नवाज पार्टी की सांसद कलसुम परवीन ने कहा था कि सीपीईसी समझौता बराबरी के आधार पर नहीं हुआ है। जब पूरे पाकिस्तान में इस समझौते के खिलाफ आवाज बुलंद हो रही है, ऐसे में इस समझौते के पक्ष में बोलते हुए पीएमएल-एन के सांसद जावेद अब्बासी ने कहा कि सीपीईसी के अंतर्गत आने वाले पॉवर प्रोजेक्ट पाकिस्तान की ऊर्जा संकट को कम करेगा। उन्होंने कहा कि ज्यादातर पॉवर प्रोजेक्ट बलूचिस्तान और सिंध प्रांत में बनेंगे, जिससे पाकिस्तान में 56 बिलियन डॉलर का निवेश आएगा। सीपीईसी के अंतर्गत इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट और कई इंडस्ट्रीयल जोन भी आएंगे जिससे देश में रोजगार बढ़ेगा। लेकिन हकीकत यह है कि पाकिस्तान में कुल विदेशी निवेश का 60 प्रतिशत चीन से ही आ रहा है। इसका असर यह हो रहा है कि पाकिस्तान की सारी कारोबारी नीति चीन को ध्यान में रखकर बनाई जा रही है। जिस सीपीईसी को पाकिस्तान के फायदे में बताया जा रहा था, अब उसकी असली तस्वीर सामने आ रही है। ताजा रिपोर्ट के अनुसार इस समझौते के तहत बन रही कम से कम तीन बड़ी परियोजनाओं में भ्रष्टाचार की खबरें सामने आने के बाद चीन ने इन परियोजनाओं के लिए फंडिंग रोकने का फैसला लिया है। पाक समाचार पत्र डॉन ने जारी अपनी रिपोर्ट में इसका खुलासा किया है। डॉन की रिपोर्ट के मुताबिक चीन सरकार के इस फैसले के कारण पाकिस्तान नेशनल हाइवे अथारिटी (एनएचए) की एक लाख करोड़ डॉलर की सड़क परियोजनाओं को झटका लगेगा। यही नहीं, इस फैसले की वजह से कम से कम तीन परियोजनाओं में देरी की आशंका पैदा हो गई है। चीन के इस कदम से पाक अधिकारी हैरान हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बीजिंग द्वारा नए दिशानिर्देश जारी किए जाने के बाद अब परियोजनाओं से संबंधित फंड जारी किए जाएंगे। पाकिस्तान में इस बात को लेकर रोष है कि जो समझौता किया गया है वह पाकिस्तान के हक में नहीं दिखता।

No comments:

Post a Comment