Sunday 24 December 2017

एक लाख 76 हजार करोड़ का घोटाला जो कभी हुआ ही नहीं

अब तक 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले को देश का सबसे बड़ा घोटाला कहा जाता था, लेकिन सीबीआई की स्पेशल कोर्ट में यह एक रुपए का भी नहीं साबित हुआ। अदालत ने तो यहां तक कह दिया कि यह घोटाला है ही नहीं, सरकारी दस्तावेजों से निकली केवल एक अफवाह है। Šजी स्पेक्ट्रम के आवंटन से जुड़े मामलों में सीबीआई के विशेष जज ओपी सैनी ने सारे आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया। बेशक सीबीआई ने इस फैसले को उच्च न्यायालय में चुनौती देने की घोषणा की है। लेकिन कटु सत्य तो यही है कि वह और प्रवर्तन निदेशालय पिछले सात साल में Šजी स्पेक्ट्रम के आवंटन में हुई अनियमितताओं, भ्रष्टाचार और धन के लेनदेन के आरोपों को साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं जुटा सकी, नतीजतन विशेष जज ने पूर्व संचार मंत्री ए. राजा, द्रमुक सांसद कनिमोझी, पूर्व संचार सचिव सिद्धार्थ बेहुरा सहित तीन दूरसंचार कंपनियोंöस्वान, यूनीटेक और रिलायंस के अधिकारियों को आरोपमुक्त कर दिया। इस पूरे मामले ने यूपीए सरकार के कार्यकाल में तब भूचाल ला दिया था, जब तत्कालीन नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक विनोद राय ने अपनी रिपोर्ट में यह अंदेशा जताया था कि 2007-08 में Šजी स्पेक्ट्रम के लाइसेंसों का आवंटन 2001 की दरों पर किया गया जिससे सरकार को अनुमानित 1.76 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। हालांकि सीबीआई ने जो मामले दर्ज किए उनमें उसने 30 हजार करोड़ रुपए के नुकसान की बात की थी। डॉ. मनमोहन सिंह के नेतृत्व में यूपीए ने 2009 में फिर से जीत हासिल कर अपना दूसरा कार्यकाल यानी यूपीए-2 शुरू किया था। कांग्रेस की अगुवाई वाली सरकार का कामकाज सब ठीक चल रहा था, तभी 2जी घोटाले की गूंज ने न सिर्फ कांग्रेस, बल्कि पूरे देश की राजनीति की दशा और दिशा को हमेशा के लिए बदल दिया। ऐसे में जब गुरुवार को स्पेशल कोर्ट ने इसके आरोपियों को केस से बरी कर दिया तो उसके मायने का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि आदेश आने के महज 30 मिनट के अंदर कांग्रेस की ओर से पूर्व पीएम मनमोहन सिंह, पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदम्बरम, पूर्व टेलीकॉम मंत्री कपिल सिब्बल समेत पार्टी के प्रवक्ता आक्रामक होकर मीडिया के सामने आ गए। स्वाभाविक ही है कि Šजी स्पेक्ट्रम में आरोपियों के बरी होने से कांग्रेस उत्साहित है। पार्टी इस मामले को बड़ी जीत के रूप में प्रचारित भी करना चाहेगी। राहुल गांधी के अध्यक्ष बनने के बाद उनकी पहली कार्यसमिति की बैठक में यह फैसला हुआ कि पूरे देश में यह संदेश दिया जाए कि 2जी स्पेक्ट्रम घोटाले के नाम पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा ने पूरे देश में कांग्रेस को बिना वजह बदनाम किया। कांग्रेस Šजी स्पेक्ट्रम में एक लाख 76 हजार करोड़ रुपए के घोटाले का अनुमान लगाने वाले तत्कालीन सीएजी विनोद राय को खलनायक की तरह पेश करना चाहती है और देश को बताना चाहती है कि उन्होंने सीएजी की ड्राफ्ट रिपोर्ट लीक करके भाजपा के साथ हाथ मिला लिया था। इसी क्रम में पार्टी प्रधानमंत्री के सचिव नृपेन्द्र मिश्रा को भी नहीं छोड़ना चाहती जो 2जी स्पेक्ट्रम के वक्त ट्राई के प्रमुख थे और उनकी ही सिफारिश पर स्पेक्ट्रम का आवंटन किया गया था। 2जी स्पेक्ट्रम मामले में पूर्व मंत्री ए. राजा समेत सभी आरोपियों को बरी करते हुए स्पेशल जज ओपी सैनी ने कहा कि एक भी सबूत नहीं है जिससे इसमें कोई घोटाला नजर आए। जज महोदय ने कहाöपिछले सात वर्षों से वर्किंग डेज में, समर वोकेशन के दौरान भी मैं पूरे विश्वास के साथ सुबह 10 बजे से लेकर शाम पांच बजे तक ओपन कोर्ट में बैठा रहा और इंतजार करता रहा कि किसी के पास से कोई तो सबूत निकले। लेकिन कुछ भी निकलकर नहीं आया। इससे जाहिर होता है कि हर कोई अफवाह, गॉसिप और कल्पनाओं से बनी आम धारणा में बह रहा था। हालांकि जनता की सोच न्यायिक कार्यवाहियों में कोई महत्व नहीं रखती। उधर कांग्रेस के मीडिया प्रभारी रणदीप सुरजेवाला ने कहा कि 2जी मामले में भाजपा की पोल खुल गई। राज्यसभा में विपक्ष के उपनेता आनंद शर्मा ने कहा कि 2जी मामले के बाद इनाम के तौर पर पूर्व कैग चीफ विनोद राय को बीसीसीआई में महत्वपूर्ण पद देने के साथ-साथ बैंकों में सुधार के लिए बनी कमेटी की अध्यक्षता दी गई। वहीं गुलाम नबी आजाद ने कहा कि आज उस 2जी मामले में फैसला आया है जिसके कारण हम विपक्ष में आए और एनडीए सत्ता में आई। सीबीआई सूत्रों ने कहाöफैसले से निराशा हुई, लेकिन हमें पुख्ता विश्वास है कि हाई कोर्ट में अपनी बात साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत पेश करेंगे। पूरे केस में हमारे पास पांच ऐसे तथ्य हैं जिससे ऊपरी अदालत में केस का रुख मुड़ेगा। उधर केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने कहा कि कांग्रेस फैसले को ईमानदारी का सर्टिफिकेट मान रही है लेकिन यह भ्रष्ट नीति थी। कांग्रेस इस फैसले को ईमानदारी का तमगा मान रही है जो सही नहीं है। 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने स्पेक्ट्रम आवंटन के प्रत्येक मामले को मनमाना और अनुचित बताते हुए रद्द किया था। दूरसंचार मंत्री मनोज सिन्हा ने कहा कि आठ कंपनियों के रद्द हुए 122 दूरसंचार लाइसेंसों का भविष्य सीबीआई के अगले कदम पर निर्भर करेगा।

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