Saturday, 2 December 2017

गुजरात के पहले चरण में पाटीदारों के गढ़ में वोट पड़ेंगे

गुजरात विधानसभा चुनाव अपने शबाब पर है, इसे 2019 के आम चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा है। 22 साल से राज्य में भाजपा की सरकार है। पहली बार माना जा रहा है कि कांग्रेस भाजपा को राज्य में कड़ी टक्कर दे रही है। पिछले कई चुनावों में बैकफुट पर रही कांग्रेस इस बार आक्रमक मुद्रा में है। कांग्रेस को इस बार उम्मीद है कि राहुल गांधी के धुंआधार चुनावी दौरों से राज्य में कांग्रेस का वनवास खत्म होगा। इस बार चुनाव में एक तरह से कांग्रेस को अन्य धर्मनिरपेक्ष दलों ने वॉक ओवर दे दिया है। पिछले चुनावों में क्षेत्री क्षत्रपों के चलते कांग्रेस को नुकसान उठाना पड़ा था लेकिन इस बार राज्य के सियासी घमासान में छोटे-छोटे दलों ने एक तरह से भाजपा को हटाने की कमान राहुल गांधी के हाथों में सौंप दी है। लालू, अखिलेश, शरद, अजीत सिंह जैसे दिग्गज सब कांग्रेस के साथ हैं। इतना ही नहीं आप पार्टी का भी पूरा जोर राज्य में भाजपा को हटाने पर है। वहीं भाजपा का पूरा केंद्रीय मंत्रिमंडल, राज्यों के मुख्यमंत्री और वरिष्ठ नेता भी मोदी के गढ़ को बचाने के लिए लगे हुए हैं। कांग्रेस की ओर से चुनाव लड़ रहे युवा ओबीसी नेता तथा ठाकोर सेना के अध्यक्ष अल्पेश ठाकोर ने दावा किया कि गुजरात में इस बार मुख्यमंत्री विजय रुपाणी और उप मुख्यमंत्री नीतिन पटेल दोनों चुनाव हार जाएंगे और कांग्रेस को दो तिहाई यानी कुल 182 में 125 सीटें मिलेंगी। उधर पाटीदार आरक्षण आंदोलन समिति (पास) के नेता हार्दिक पटेल ने दावा किया कि कांग्रेस इस बार 22 साल से सत्ता में जमी भाजपा को पराजित कर देगी। उन्होंने दावा किया कि कांग्रेस 182 में से करीब 100 सीटें जीत कर सामान्य बहुमत के साथ सरकार बनाएगी जबकि इस बार 150 से अधिक सीटें जीतने का दावा कर रही भाजपा मात्र 70 से 75 सीटों पर सिमट जाएगी। गुजरात विधानसभा चुनाव के पहले चरण में 89 सीटों पर 9 दिसंबर को वोटिंग होगी। ये सीटें सौराष्ट्र, कच्छ और दक्षिण गुजरात में आती हैं। यह पाटीदारों का गढ़ है। पिछले चुनावों में भाजपा यहां 70-80 फीसदी तक वोट पाती रही है। इस बार मुकाबला कड़ा है। भाजपा ने गुजरात में सामाजिक समीकरणों को साधते हुए पिछड़ा व पाटीदार समुदाय को सबसे ज्यादा टिकट दिए हैं, राज्य में सबसे ज्यादा लगभग 35 फीसदी पिछड़ा वर्ग से 61 व पाटीदार समुदाय से 52 नेताओं को उम्मीदवार बनाया है। पाटीदार आंदोलन के बाद सतर्क भाजपा ने न केवल इस समुदाय के अधिकांश मौजूदा विधायकों को उतारा है बल्कि पिछली बार से 7 से ज्यादा पाटीदारों को टिकट भी दिया है।


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